सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली की तीन बिजली वितरण कंपनियों के खातों का ऑडिट CAG से कराने का मामला अब देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुंच गया है। दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट के उस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें हाई कोर्ट ने निजी क्षेत्र की तीन बिजली वितरण कंपनियों के खातों का ऑडिट कैग से कराने के 'आप' सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था।
दरअसल हाई कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार को बिजली कंपनियों के खातों का सीएजी से ऑडिट कराने का अधिकार नहीं है क्योंकि पहले ही इसके लिए DERC यानी दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन बनाया गया है जो उनके हिसाब किताब पर नजर रखता है। ऐसे में इन कंपनियों की समानांतर जांच नहीं कराई जा सकती।
साल 2014 में दिल्ली की बिजली कंपनियों के ऑडिट का आदेश दिया गया था जिसे दिल्ली की तीन बिजली कंपनियां टाटा पावर दिल्ली ड्रिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड, बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। कंपनियों ने दलील दी थी कि वो निजी क्षेत्र की कंपनियां हैं इसलिए उनका सीएजी से ऑडिट नहीं कराया जा सकता। जबकि दिल्ली सरकार की दलील थी कि बिजली कंपनियों के साथ सरकार की भी साझेदारी है और जनता से जुड़े होने के कारण इनका ऑडिट कराया जा सकता है।
दरअसल हाई कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार को बिजली कंपनियों के खातों का सीएजी से ऑडिट कराने का अधिकार नहीं है क्योंकि पहले ही इसके लिए DERC यानी दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन बनाया गया है जो उनके हिसाब किताब पर नजर रखता है। ऐसे में इन कंपनियों की समानांतर जांच नहीं कराई जा सकती।
साल 2014 में दिल्ली की बिजली कंपनियों के ऑडिट का आदेश दिया गया था जिसे दिल्ली की तीन बिजली कंपनियां टाटा पावर दिल्ली ड्रिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड, बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। कंपनियों ने दलील दी थी कि वो निजी क्षेत्र की कंपनियां हैं इसलिए उनका सीएजी से ऑडिट नहीं कराया जा सकता। जबकि दिल्ली सरकार की दलील थी कि बिजली कंपनियों के साथ सरकार की भी साझेदारी है और जनता से जुड़े होने के कारण इनका ऑडिट कराया जा सकता है।
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