राज्यसभा (Rajya Sabha) में 20 सितंबर को कृषि विधेयकों (Farm Bills) को पारित किया गया था. बिल ध्वनि मत से पास किए गए. NDTV को मिली फुटेज में बिलों के पारित होने के समय सदन की कार्यवाही के दौरान नियमों का पालन करने को लेकर सरकार के बयान पर सवाल खड़े हो रहे हैं. दरअसल राज्यसभा नियमावली के नियम-37 के अनुसार, सभापति सदन की कार्यवाही की समय सीमा में बदलाव सबकी सहमति से 'सेन्स ऑफ द हाउस' लेकर ही कर सकते हैं. कृषि बिलों पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता ने यह सवाल उठाया था लेकिन सभापति ने उसे नहीं माना.
विपक्ष का दूसरा ऐतराज है कि नियम 252 (4) के तहत किसी भी प्रस्ताव या बिल पर विभाजन की मांग की जाती है तो उसे सभापति को मानना चाहिए. विपक्षी दलों का आरोप है कि सांसद सभापति से यह मांग करते रहे लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया. विपक्ष का तीसरा ऐतराज है कि कोई भी सदस्य बिल को सलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव रख सकता है लेकिन बिल को सलेक्ट कमेटी के पास भेजने के प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं कराई गई.
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DMK सांसद तिरुचि शिवा ने इस बारे में कहा, 'हम डिवीजन-डिवीजन चिल्लाते रहे लेकिन स्पीकर ने हमारी तरफ देखा तक नहीं.' सीपीएम सांसद केके रागेश ने कहा, 'मैंने अपने प्रस्ताव पर वोटिंग की मांग रखी लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया.' वहीं दूसरी ओर सरकार ने इस हंगामे के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया है. साफ है, दोनों पक्ष इस विवाद के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
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सरकार का आरोप है कि विपक्षी सांसदों ने उपसभापति के साथ अभद्र व्यवहार किया था और उपसभापति ने नियमों के तहत ही बिल पारित कराए. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'उपसभापति जी के साथ विपक्षी दलों के सांसदों ने जो किया, उसकी जितनी भी भर्त्सना की जाए, कम है.' केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'आप सदन में माइक तोड़ेंगे, आप उसके तार खीचेंगे, आप रूलबुक को फाड़ेंगे, आप रूलबुक को फेकेंगे, टेबल पर डांस करेंगे और सस्पेंशन पर बाहर नहीं जाएंगे.' बता दें कि राज्यसभा में हुए इस हंगामे के आरोप में 8 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था.
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