देश का पहला पॉलीनेटर (परागण सहयोगी) पार्क उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी में बनकर तैयार हो गया है, जहां तितलियों, मधुमक्खियों, पक्षियों और कीटों की 50 से ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं. मुख्य वन संरक्षक (शोध) संजीव चतुर्वेदी ने बताया, कि उत्तराखंड वन विभाग की शोध शाखा द्वारा चार एकड़ से ज्यादा जमीन पर विकसित इस रंगबिरंगे पार्क का मंगलवार को प्रख्यात तितली विशेषज्ञ पीटर स्मेटासेक ने उद्घाटन किया. उन्होंने बताया कि इस पार्क को विकसित करने का उद्देश्य विभिन्न पॉलिनेटर प्रजातियों को संरक्षित करना, इन प्रजातियों को संरक्षित करने के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करना तथा परागण के विभिन्न पहलुओं जैसे उनके आवासों पर खतरे तथा प्रदूषण का उन पर प्रभाव आदि पर शोध को बढ़ावा देना है.
Uttarakhand: Chief Conservator of Forest (Research), Sanjiv Chaturvedi said, "Our objective is to conserve various pollinator species, to create awareness among the general public about importance of pollination, & to promote further research on various aspects of pollination." https://t.co/zXpAkONni9
— ANI (@ANI) December 29, 2020
पार्क में पॉलीनेटरों की 50 से ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं जिनमें कॉमन जेजेबेल, कॉमन इमाइग्रेंट, रेड पैरट, प्लेन टाइगर और लाइम बटरफ्लाई आदि शामिल हैं. चतुर्वेदी ने बताया कि पार्क में रस और परागकण पैदा करने वाले फूलों जैसे गेंदा, गुलाब, गुडहल, चमेली आदि की पौध लगाकर विभिन्न पॉलीनेटरों के लिए उपयुक्त प्राकृतिक आवास बनाए गए हैं जहां मधुमक्ख्यिां, तितली, पक्षी और कीटों को अनुकूल वातावरण मिलेगा. उन्होंने बताया कि पार्क में साल्विया, आस्टर, कॉसमोस आदि सर्दियों के पौधे तथा सूरजमुखी, गिनी आदि गर्मियों के मौसमी पौधे भी लगाए गए हैं. पक्षियों और तितलियों की विभिन्न प्रजातियों को आकर्षित करने के लिए पक्षियों के लिए खाना जैसे अनाज और कटे फल तथा घोंसले भी पूरे पार्क में रखे गए हैं. इसी प्रकार जामुन तथा नीम और सेमल आदि फलों और आश्रय देने वाले वृक्ष भी पार्क में उगाए गए हैं जबकि पोखर आदि बनाकर जल की व्यवस्था की गयी है.
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पॉलीनेटर 1.80 लाख से ज्यादा विभिन्न वनस्पतियों को उनके परागकण फैलाने में सहयोग देते हैं और उनके न होने से मिट्टी, हवा, पोषक तत्व तथा जीवन के लिए जरूरी अन्य कारकों की मौजूदगी के बावजूद पौधों की मौजूदा संख्या में गिरावट आ जाएगी. चतुर्वेदी ने कहा कि पॉलीनेटरों के महत्व को पश्चिम में काफी पहले ही पहचाना जा चुका है और उन्हें संरक्षित करने के लिए अमेरिका जैसे देशों में बड़े पैमाने पर पॉलीनेटर पार्क, बगीचे और रास्ते बनाए गए हैं.
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