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This Article is From Mar 18, 2017

'बहुमत बनाम सर्वमत' में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ की

'बहुमत बनाम सर्वमत' में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ की
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि संसद में व्यवधान पड़ने से वह दुखी हैं (फाइल फोटो)
मुंबई: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसदीय लोकतंत्र के महत्व पर रोशनी डालते हुए कहा है कि हमें पूरे देश को साथ लेकर चलने की जरूरत है और सत्ता में बैठे लोगों को इसका ख्याल रखना चाहिए कि विचार-विमर्श और सर्वसम्मति ही शासन करने का सबसे अच्छा तरीका होता है. यही नहीं, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा की शानदार जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो भाषण दिया था, राष्ट्रपति ने उसकी सराहना करते हुए कहा ‘विचार..विमर्श और सर्वसम्मति ही शासन का श्रेष्ठ रास्ता होता है.’ मुखर्जी ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में प्रचंड बहुमत के खुमार से बचना चाहिए और जो सत्ता में है, उन्हें पूरे देश को शासन प्रक्रिया से जोड़ना चाहिए और सबको साथ लेकर चलना चाहिए.

राष्ट्रपति मुखर्जी ने चुनाव में शानदार जीत के बाद दिए मोदी के बधाई भाषण की तारीफ करते हुए कहा कि ‘मैं यह सुनकर बहुत खुश हूं कि प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश और अन्य राज्य विधानसभाओं के हालिया चुनाव में अपनी पार्टी को मिली जीत के बाद विनम्रता की बात कही.’ उन्होंने कहा ‘चुनावी फैसले हालांकि बहुमत के आधार पर तय किए जाते हैं लेकिन राज्यों का शासन ‘सर्वमत’ के सिद्धांत पर होना चाहिये. यह भारत की परंपरा भी है और हमारे लोगों का बहुमत इसे कार्यरूप में देखने की आकांक्षा रखता है.’

गौरतलब है कि विधानसभा चुनावों में जीत के बाद पीएम मोदी ने पिछले रविवार बीजेपी कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि बेशक 'लोकतंत्र में सरकार बनती है बहुमत से, लेकिन चलती है सर्वमत से.' प्रधानमंत्री ने कहा था कि ये सरकार सबकी है, जिन्होंने वोट दिया उनकी भी और जिन्होंने नहीं दिया उनकी भी है.

इसी दौरान राष्ट्रपति ने संसद में अक्सर पड़ने वाले व्यवधान के मुद्दे को भी उठाते हुए कहा कि ‘मैं थोड़ी नाराजगी के साथ बोल रहा हूं क्योंकि मेरा पूरा सार्वजनिक जीवन संसद में मेरी भूमिका से परिभाषित हुआ है.’ उन्होंने कहा ‘इसलिए मेरे लिए भारतीय लोकतंत्र के इस मूलभूत स्तंभ को निष्प्रभावी बनते देखना मुश्किल है.’ मुखर्जी ने कहा कि उनके विचार से संसद की कार्यवाही में लगातार व्यवधान पड़ने, सदस्यों की कम उपस्थिति, संसद और राज्य विधानमंडलों में सत्र के दिनों की घटना और बजट और वित्तीय प्रस्तावों सहित अहम विधेयकों का गैर जिम्मेदाराना तरीके से पारित होने का कोई औचित्य नहीं है.

राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया का भी ज़िक्र किया और अलग राय रखने वाले लोगों को निशाना बनाए जाने पर कहा कि मुक्त भाषण और अभिव्यक्ति की गारंटी न सिर्फ हमारा संविधान देता है बल्कि यह हमारी एक अहम सभ्यता और परंपरा भी रही है. उन्होंने कहा कि डॉ मनमोहन सिंह के अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उदार पांडित्य और महान विद्वता से काफी कुछ सीखा है जो बरसों तक एक सहकर्मी और मित्र रहे हैं. साथ ही उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि ‘‘मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्पष्ट रूख, उर्जा और कड़ी मेहनत करने की क्षमता से भी बहुत प्रभावित हुआ हूं.’

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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