किरेन रिजीजू ने कहा है कि हिन्दी थोपी नहीं जा रही, उसके प्रयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है.
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार ने आज साफ किया कि वह जबरन हिंदी को प्रमोट नहीं कर रही बल्कि उसे अन्य किसी रीजनल भाषा की तरह प्रमोट कर रही है. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि "हम किसी से जबरदस्ती नहीं कर रहे कि वह हिंदी में ही काम करे, बस उसे किसी रीजनल भाषा की तरह प्रमोट कर रहे हैं."
गृह मंत्रालय के तहत भाषाओं को प्रमोट करने वाला विभाग यानी कि डिपार्टमेंट ऑफ अफिशियल लेंग्वेज आता है. केंद्रीय मंत्री को यह सफाई इसलिए देनी पड़ी क्योंकि कई स्थानों से यह शिकायत आ रही थी कि केंद्र सरकार जबरन लोगों से कह रही है कि वे हिंदी का प्रयोग करें. खासकर यह शिकायत उन राज्यों से आ रही जहां हिंदी नहीं बोली जाती.
डीएमके नेता एमके स्टालिन ने बयान दिया कि केंद्र सरकार हिंदी नहीं बोलने वालों को दूसरे दर्जे का नागरिक मानती है और जबरदस्ती भारत को हिंदी भाषाई देश बनाना चाहती है.
यह विवाद तब शुरू हुआ जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसदीय कमेटी की वह राय मान ली जिसके तहत सब मंत्रियों, अहम लोगों से कहा गया कि जो हिंदी बोल या लिख सकते हैं वे अपने भाषण हिंदी में ही दें.
गृह मंत्रालय के तहत भाषाओं को प्रमोट करने वाला विभाग यानी कि डिपार्टमेंट ऑफ अफिशियल लेंग्वेज आता है. केंद्रीय मंत्री को यह सफाई इसलिए देनी पड़ी क्योंकि कई स्थानों से यह शिकायत आ रही थी कि केंद्र सरकार जबरन लोगों से कह रही है कि वे हिंदी का प्रयोग करें. खासकर यह शिकायत उन राज्यों से आ रही जहां हिंदी नहीं बोली जाती.
डीएमके नेता एमके स्टालिन ने बयान दिया कि केंद्र सरकार हिंदी नहीं बोलने वालों को दूसरे दर्जे का नागरिक मानती है और जबरदस्ती भारत को हिंदी भाषाई देश बनाना चाहती है.
यह विवाद तब शुरू हुआ जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसदीय कमेटी की वह राय मान ली जिसके तहत सब मंत्रियों, अहम लोगों से कहा गया कि जो हिंदी बोल या लिख सकते हैं वे अपने भाषण हिंदी में ही दें.
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