अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के घर से लौटते सीताराम येचुरी
श्रीनगर:
जब मैं 2010 में गिलानी साहब के घर गया था, तब उन्होंने मुझे काली चाय पिलायी थी... कहा था घर में दूध और शक्कर नहीं है, क्यूंकि घाटी में कर्फ्यू लगा है. लेकिन इस बार उन्होंने हमसे मिलने से इनकार कर दिया- यह कहना है कश्मीर में हालात सामान्य बनाने की कोशिश के तहत वहां सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनकर गए सीपीएम नेता सिताराम येचुरी का...
सिताराम येचुरी के साथ चार अन्य सांसद हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी से मिलने उनके घर गए थे, लेकिन गिलानी ने यह कह कर उनसे मिलने से इनकार कर दिया कि इनका कोई फायदा नहीं. गिलानी ने इन सांसदों के लिए घर का दरवाज़ा भी नहीं खोला. सिर्फ खिड़की से पर्ची ली और थोड़ी देर बाद मिलने से इनकार कर दिया.
वैसे कश्मीर गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल ये नेता, जब गिलानी के घर पहुंचे, तो लोगों ने उन्हें घेर लिया और भारत के खिलाफ खूब नारेबाजी की. जेडीयू सांसद शरद यादव को तो भीड़ ने धक्का भी दिया. इस पर शरद यादव ने गुस्साई भीड़ से कहा, 'आप हमें क्यों धक्का दे रहे है, हम तो आपके साथ हैं. आप तो हमें ही कमज़ोर कर रहे हैं.'
जब हालत ज्यादा खराब होने लगे, तब ये सांसद हैदरपुरा से चले गए. वैसे ये लोग उसके बाद यासीन मालिक, शब्बीर शाह और प्रोफेसर गनी भट्ट से मिलने गए. वैसे प्रतिनिधिमंडल में शामिल इन नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार कश्मीरियत, जम्हुरियत और इंसानियत की बात तो करती है, लेकिन जमीन पर कुछ कार्रवाई नहीं दिखाई पड़ती.
सिताराम येचुरी ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, 'अगर वाजपेयी जी ने इन बातों का हवाला दिया था, तो उन्होंने हिज्बुल मुजाहिद्दीन से बातचीत भी की थी और रमज़ान के दौरान संघर्ष विराम भी घोषित किया था'. येचुरी के मुताबिक प्रधानमंत्री विकास और विश्वास के बारे में बड़ी-बड़ी बात करते है, लेकिन उन पर अमल नहीं हो रहा.
आपको बता दें कि जो भी सांसद अलगावादी नेताओं से मिलने उनके पास गए थे, वे अपने निजी इच्छा पर गए थे, प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनकर नहीं. इससे पहले हुर्रियत ने एक बयान जारी कर महबूबा मुफ़्ती की बातचीत की पेशकश पहले ही ठुकरा दी थी और कहा था कि जम्मू कश्मीर की सीएम के पास कश्मीरियों की तरफ से बोलने का कोई अधिकार नहीं है. हालांकि इस बयान के बावजूद ये नेता हुर्रियत नेताओं से मिलने उनके घर गए थे.
उधर सुरक्षा एजेंसियों ने हुर्रियत के बयान को लेकर सवाल खड़े किए हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, 'जब सभी अलगवादी नेता नज़रबंद हैं, तो ये साझा बयान कैसे जारी हो रहा है.'
सिताराम येचुरी के साथ चार अन्य सांसद हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी से मिलने उनके घर गए थे, लेकिन गिलानी ने यह कह कर उनसे मिलने से इनकार कर दिया कि इनका कोई फायदा नहीं. गिलानी ने इन सांसदों के लिए घर का दरवाज़ा भी नहीं खोला. सिर्फ खिड़की से पर्ची ली और थोड़ी देर बाद मिलने से इनकार कर दिया.
वैसे कश्मीर गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल ये नेता, जब गिलानी के घर पहुंचे, तो लोगों ने उन्हें घेर लिया और भारत के खिलाफ खूब नारेबाजी की. जेडीयू सांसद शरद यादव को तो भीड़ ने धक्का भी दिया. इस पर शरद यादव ने गुस्साई भीड़ से कहा, 'आप हमें क्यों धक्का दे रहे है, हम तो आपके साथ हैं. आप तो हमें ही कमज़ोर कर रहे हैं.'
जब हालत ज्यादा खराब होने लगे, तब ये सांसद हैदरपुरा से चले गए. वैसे ये लोग उसके बाद यासीन मालिक, शब्बीर शाह और प्रोफेसर गनी भट्ट से मिलने गए. वैसे प्रतिनिधिमंडल में शामिल इन नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार कश्मीरियत, जम्हुरियत और इंसानियत की बात तो करती है, लेकिन जमीन पर कुछ कार्रवाई नहीं दिखाई पड़ती.
सिताराम येचुरी ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, 'अगर वाजपेयी जी ने इन बातों का हवाला दिया था, तो उन्होंने हिज्बुल मुजाहिद्दीन से बातचीत भी की थी और रमज़ान के दौरान संघर्ष विराम भी घोषित किया था'. येचुरी के मुताबिक प्रधानमंत्री विकास और विश्वास के बारे में बड़ी-बड़ी बात करते है, लेकिन उन पर अमल नहीं हो रहा.
आपको बता दें कि जो भी सांसद अलगावादी नेताओं से मिलने उनके पास गए थे, वे अपने निजी इच्छा पर गए थे, प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनकर नहीं. इससे पहले हुर्रियत ने एक बयान जारी कर महबूबा मुफ़्ती की बातचीत की पेशकश पहले ही ठुकरा दी थी और कहा था कि जम्मू कश्मीर की सीएम के पास कश्मीरियों की तरफ से बोलने का कोई अधिकार नहीं है. हालांकि इस बयान के बावजूद ये नेता हुर्रियत नेताओं से मिलने उनके घर गए थे.
उधर सुरक्षा एजेंसियों ने हुर्रियत के बयान को लेकर सवाल खड़े किए हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, 'जब सभी अलगवादी नेता नज़रबंद हैं, तो ये साझा बयान कैसे जारी हो रहा है.'
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