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This Article is From Oct 02, 2017

गांधी इतना पैदल चले कि धरती के दो चक्कर लग जाते, पढ़ें उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें

आज 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती है. पूरा देश बापू को याद कर रहा है. इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं गांधी जी के बारे में ऐसी दिलचस्प बातें जो बहुत कम लोग जानते हैं.

गांधी इतना पैदल चले कि धरती के दो चक्कर लग जाते, पढ़ें उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें
25 वर्षों में गांधी जी करीब 79,000 किलोमीटर पैदल चले.
नई दिल्ली: महात्मा गांधी मानते थे कि पैदल चलना व्यायाम का राजा है, इसलिए वे बहुत लंबी दूरी के लिए भी किसी साधन की बजाय पैदल चलने को तरजीह देते थे. पढ़ाई के लिए इंग्लैंड और वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में रहते समय वे पैसे बचाने के लिए पैदल चला करते थे. इसका जिक्र उन्होंने अपनी आत्मकथा में भी किया है. वे अपने पूरे जीवन में औसतन रोज 18 किलोमीटर पैदल चले. इतनी पैदल यात्रा में तो वे दो बार धरती का चक्कर लगा सकते थे!

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1913 से 1938 तक विभिन्न आंदोलनों के दौरान 25 वर्षों में वे करीब 79,000 किलोमीटर पैदल चले. उन्होंने खुद एक जगह लिखा है कि दक्षिण अफ्रीका में टॉलस्टाय आश्रम की स्थापना के समय वे एक ही दिन में 51 मील (82.07 किलोमीटर) चले थे. दांडी यात्रा के दौरान वे करीब 390 किलोमीटर चले थे.
 
mahatma gandhi

इस नमक सत्याग्रह के दौरान गांधीजी ने 24 दिनों तक रोज औसतन 16 से 19 किलोमीटर पैदल यात्रा की. दांडी यात्रा से पहले बिहार के चंपारन में सत्याग्रह के दौरान भी गांधीजी बहुत पैदल चले थे. किसानों को गैर-लाभप्रद नील की खेती करने पर मजबूर करने के खिलाफ हुए इस आंदोलन का यह शताब्दी वर्ष है. इसके दो साल पहले 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद भारत को जानने के लिए की गई देशभर की यात्रा के दौरान भी गांधीजी ने गांवों में काफी पैदल यात्रा की थी.

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दक्षिण अफ्रीका में बनाए तीन फुटबॉल क्लब
गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में 1893 और 1915 के बीच रहते हुए डर्बन, प्रिटोरिया और जोहानिसबर्ग में तीन फुटबॉल क्लब बनाए थे. सबका नाम रखा पैसिव रेसिस्टेंस सॉकर क्लब. वे मैच के दौरान पेम्फ्लैट बांटकर लोगों से आंदोलनों में शामिल होने का आह्वान करते. इसी से उन्होंने अश्वेत लोगों के लिए समान अधिकार हासिल किए। वे फुटबॉल टीमों को संबोधित करके और हॉफ टाइम में लोगों को भाषण देकर प्रेरित करते थे. 

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mahatma gandhi

पूरे जीवन में एक करोड़ शब्द लिखे
गांधीजी ने मूल रूप से सात किताबें लिखीं और भगवद गीता का गुजराती में अनुवाद किया. उनकी शुरुआती तीन किताबें उनके आंदोलन, मानव जीवन और आर्थिक विचार को स्पष्ट करती हैं. 
 

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