
25 वर्षों में गांधी जी करीब 79,000 किलोमीटर पैदल चले.
नई दिल्ली:
महात्मा गांधी मानते थे कि पैदल चलना व्यायाम का राजा है, इसलिए वे बहुत लंबी दूरी के लिए भी किसी साधन की बजाय पैदल चलने को तरजीह देते थे. पढ़ाई के लिए इंग्लैंड और वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में रहते समय वे पैसे बचाने के लिए पैदल चला करते थे. इसका जिक्र उन्होंने अपनी आत्मकथा में भी किया है. वे अपने पूरे जीवन में औसतन रोज 18 किलोमीटर पैदल चले. इतनी पैदल यात्रा में तो वे दो बार धरती का चक्कर लगा सकते थे!
पढ़ें- पीएम नरेंद्र मोदी ने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की
1913 से 1938 तक विभिन्न आंदोलनों के दौरान 25 वर्षों में वे करीब 79,000 किलोमीटर पैदल चले. उन्होंने खुद एक जगह लिखा है कि दक्षिण अफ्रीका में टॉलस्टाय आश्रम की स्थापना के समय वे एक ही दिन में 51 मील (82.07 किलोमीटर) चले थे. दांडी यात्रा के दौरान वे करीब 390 किलोमीटर चले थे.

इस नमक सत्याग्रह के दौरान गांधीजी ने 24 दिनों तक रोज औसतन 16 से 19 किलोमीटर पैदल यात्रा की. दांडी यात्रा से पहले बिहार के चंपारन में सत्याग्रह के दौरान भी गांधीजी बहुत पैदल चले थे. किसानों को गैर-लाभप्रद नील की खेती करने पर मजबूर करने के खिलाफ हुए इस आंदोलन का यह शताब्दी वर्ष है. इसके दो साल पहले 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद भारत को जानने के लिए की गई देशभर की यात्रा के दौरान भी गांधीजी ने गांवों में काफी पैदल यात्रा की थी.
पढ़ें- बापू को इसलिए जानते हैं दुनियाभर के लोग, आज भी कम नहीं हुई महानता

दक्षिण अफ्रीका में बनाए तीन फुटबॉल क्लब
गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में 1893 और 1915 के बीच रहते हुए डर्बन, प्रिटोरिया और जोहानिसबर्ग में तीन फुटबॉल क्लब बनाए थे. सबका नाम रखा पैसिव रेसिस्टेंस सॉकर क्लब. वे मैच के दौरान पेम्फ्लैट बांटकर लोगों से आंदोलनों में शामिल होने का आह्वान करते. इसी से उन्होंने अश्वेत लोगों के लिए समान अधिकार हासिल किए। वे फुटबॉल टीमों को संबोधित करके और हॉफ टाइम में लोगों को भाषण देकर प्रेरित करते थे.
पढ़ें- बापू के ये विचार बदल देंगे आपके जीने का तरीका

पूरे जीवन में एक करोड़ शब्द लिखे
गांधीजी ने मूल रूप से सात किताबें लिखीं और भगवद गीता का गुजराती में अनुवाद किया. उनकी शुरुआती तीन किताबें उनके आंदोलन, मानव जीवन और आर्थिक विचार को स्पष्ट करती हैं.
पढ़ें- पीएम नरेंद्र मोदी ने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की
1913 से 1938 तक विभिन्न आंदोलनों के दौरान 25 वर्षों में वे करीब 79,000 किलोमीटर पैदल चले. उन्होंने खुद एक जगह लिखा है कि दक्षिण अफ्रीका में टॉलस्टाय आश्रम की स्थापना के समय वे एक ही दिन में 51 मील (82.07 किलोमीटर) चले थे. दांडी यात्रा के दौरान वे करीब 390 किलोमीटर चले थे.

इस नमक सत्याग्रह के दौरान गांधीजी ने 24 दिनों तक रोज औसतन 16 से 19 किलोमीटर पैदल यात्रा की. दांडी यात्रा से पहले बिहार के चंपारन में सत्याग्रह के दौरान भी गांधीजी बहुत पैदल चले थे. किसानों को गैर-लाभप्रद नील की खेती करने पर मजबूर करने के खिलाफ हुए इस आंदोलन का यह शताब्दी वर्ष है. इसके दो साल पहले 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद भारत को जानने के लिए की गई देशभर की यात्रा के दौरान भी गांधीजी ने गांवों में काफी पैदल यात्रा की थी.
पढ़ें- बापू को इसलिए जानते हैं दुनियाभर के लोग, आज भी कम नहीं हुई महानता

दक्षिण अफ्रीका में बनाए तीन फुटबॉल क्लब
गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में 1893 और 1915 के बीच रहते हुए डर्बन, प्रिटोरिया और जोहानिसबर्ग में तीन फुटबॉल क्लब बनाए थे. सबका नाम रखा पैसिव रेसिस्टेंस सॉकर क्लब. वे मैच के दौरान पेम्फ्लैट बांटकर लोगों से आंदोलनों में शामिल होने का आह्वान करते. इसी से उन्होंने अश्वेत लोगों के लिए समान अधिकार हासिल किए। वे फुटबॉल टीमों को संबोधित करके और हॉफ टाइम में लोगों को भाषण देकर प्रेरित करते थे.
पढ़ें- बापू के ये विचार बदल देंगे आपके जीने का तरीका

पूरे जीवन में एक करोड़ शब्द लिखे
गांधीजी ने मूल रूप से सात किताबें लिखीं और भगवद गीता का गुजराती में अनुवाद किया. उनकी शुरुआती तीन किताबें उनके आंदोलन, मानव जीवन और आर्थिक विचार को स्पष्ट करती हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं