पूर्व सेना अधिकारी मोहम्मद सनाउल्लाह (Mohammad Sanaulla) डिटेंशन सेंटर से बाहर आ गए हैं. उन्हें गुवाहाटी हाईकोर्ट से शुक्रवार को जमानत मिली थी. यह जमानत 20 हजार रुपए के जमानत बॉन्ड, 2 स्थानीय जमानतदार और बायो मेट्रिक्स पर दी गई थी. गौरतलब है कि मोहम्मद सनाउल्लाह को पिछले महीने विदेशी घोषित कर डिटेंशन सेंटर में भेज दिया गया था.. गुवाहाटी हाईकोर्ट ने मोहम्मद सनाउल्लाह को डिटेंशन सेंटर में भेजने के मामले में केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किया है. इसके अलावा चुनाव आयोग, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के अधिकारियों और असम सीमा पुलिस के जांच अधिकारी चंद्रमल दास को भी नोटिस जारी किए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठित वकील इंदिरा जयसिंह आज मोहम्मद सनाउल्ला की ओर से अदालत में पेश हुईं थीं. 30 साल तक सेना और फिर असम बॉर्डर पुलिस में सेवा देने वाले मोहम्मद सनाउल्लाह को पिछले महीने गिरफ्तार कर एक नजरबंदी केंद्र में रखा गया था. उन पर विदेशी होने का आरोप लगाया गया था, जो देश में अवैध रूप से रह रहे हैं.
Assam: Former Army officer Mohammed Sanaullah released from a detention center in Guwahati. He was granted bail yesterday by Gauhati High Court with a condition of Rs 20000 bail bond, 2 local sureties & his bio-metrics. pic.twitter.com/gmLbk5cf4w
— ANI (@ANI) June 8, 2019
बता दें कि इससे पहले कामरूप जिले के अपर पुलिस अधीक्षक संजीब सैकिया ने बताया था कि 2008 में सनाउल्लाह का नाम मतदाताओं की सूची में ‘डी' (संदिग्ध) मतदाता के रूप में दर्ज किया गया था. उन्होंने बताया था कि न्यायाधकरण के फैसले के बाद पुलिस ने तय प्रक्रिया के अनुरूप कार्रवाई करते हुए सनाउल्लाह को गोलपाड़ा के हिरासत शिविर में भेज दिया गया. शिविर में जाने से पहले सनाउल्लाह ने वहां इंतजार कर रहे पत्रकारों को बताया कि वह भारतीय नागरिक हैं और उनके पास नागरिकता से संबंधित सारे कागजात हैं.
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सनाउल्लाह ने बताया था कि उन्होंने सेना में शामिल होकर तीस साल (1987-2017) तक इलेक्ट्रोनिक एंड मैकेनिकल इंजीनियर विभाग में सेवाएं दी हैं और उन्हें 2014 में राष्ट्रपति की तरफ से पदक भी मिल चुका है. वह बीते साल से सीमा पुलिस में बतौर सहायक उपनिरीक्षक के पद पर कार्यरत है.
आपको बता दें इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी को अंतिम रूप देने की 31 जुलाई की समय सीमा आगे नहीं बढ़ाई जायेगी. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन की पीठ ने असम राष्ट्रीय नागरिक पंजी के संयोजक प्रतीक हजेला को नागरिक पंजी में नागरिकों के नाम शामिल करने या गलत तरीके से बाहर करने संबंधी दावों और आपत्तियों के निबटारे के लिये खुली छूट दे दी है.
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पीठ ने यह निर्देश उस समय दिया जब हजेला ने उसे सूचित किया कि नागरिक पंजी के मसौदे में चुनिन्दा व्यक्तियों के नाम शामिल करने पर आपत्ति करने वाले अनेक लोग इन शिकायतों पर विचार करने वाली समिति के सामने नहीं आ रहे हैं. पीठ ने हजेला से कहा, ‘‘आप इस पर फैसला करें. यदि वे (नागरिक पंजी के मसौदे में शामिल नामों पर आपत्ति करने वाले) अपनी आपत्तियों पर आगे नहीं आ रहे हैं, तो कानून अपना काम करेगा. आप जो भी करें, लेकिन तारीख 31 जुलाई ही रहेगी. यह एक दिन पहले तो हो सकता है लेकिन एक दिन बाद नहीं.''
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राष्ट्रीय नागरिक पंजी का मसौदा 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित हुआ था जिसमें 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम ही शामिल किये गये थे. इस सूची में 40,70,707 व्यक्तियों के नाम नहीं थे जबकि 37,59,630 व्यक्तियों के नाम अस्वीकार कर दिये गये थे. शेष 2,48,077 व्यक्तियों के नाम अलग रखे गये थे.
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