
देहरादून / अल्मोड़ा:
उत्तराखंड के सीएम विजय बहूगुणा ने एनडीटीवी से बातचीत में साफ कहा है कि मृतकों की संख्या के बारे में जो बात विधानसभा के स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने कही है वह गलत है। आज ही कुंजवाल ने कहा था कि हालात देखकर लगता है कि मृतकों की संख्या 10 हजार हो सकती है। सीएम ने प्रश्न किया कि स्पीकर को कहां से यह आंकड़ा मिला। इसके अलावा पूरे इलाके में बरबाद हुई सड़कों की मरम्मत में दो महीने का समय लगने की बाद भी सीएम बहूगुणा ने की।
उत्तराखंड में बाढ़ से तबाही के बाद वहां फंसे लोगों को निकाले जाने का सिलसिला जारी है। बद्रीनाथ इलाके में अब भी एक हजार से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं। खराब मौसम की वजह से उन्हें निकालने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि अब तक 1 लाख 5 हजार 606 लोगों को बचाया गया है। वहीं प्रभावित इलाकों में अब भी 3,000 लोग लापता हैं। केदारनाथ में बारिश की वजह से पुजारियों को नहीं भेजा जा सका है, जहां फिर से पूजा शुरू होनी है।
आज ही उत्तराखंड विधानसभा के स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा था कि राज्य में भारी तबाही हुई है… हमारा पहला मकसद फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निलना है। कुंजवाल का यह भी कहना है कि इस तबाही में मरने वालों की तादाद 10 हजार से भी ज्यादा हो सकती है।
उत्तराखंड में आई बाढ़ से मची तबाही में जहां कई लोगों की जानें गईं, वहीं बहुत सी सड़कें, पुल, हाइडल प्रोजेक्ट्स, घरों और गेस्ट हाउस को भी बुरी तरह अपनी चपेट में ले लिया। स्थानीय लोगों का रोजगार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। चमोली जिले में अलकनंदा नदी ने अपना रास्ता बदल लिया है। बाढ़ से हुए नुकसान की वजह से अलकनंदा ने अचानक 100 मीटर दूरी पर अपना रास्ता बदल लिया। लोगों ने बताया कि किस तरह से इस बाढ़ में उन्होंने अपना सब कुछ गंवा दिया।
हालांकि राज्य में भागीरथी नदी का पानी उतरने लगा है। शुक्रवार को लगातार हो रही बारिश की वजह से भागीरथी नदी उफान पर थी और पानी बढ़ता देख लोग काफी डर गए थे। गंगा मंदिर के आसपास के इलाकों में कटाव भी हुआ था, जिसके बाद नदी के किनारे के कई मकानों का खाली करा लिया गया था और वहां के लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया गया था।
शुक्रवार को सेना प्रमुख बिक्रम सिंह ने कहा था कि अगर मौसम ठीक रहा, तो जल्द ही सभी फंसे लोगों को निकाल लिया जाएगा। इसके अलावा कल देहरादून में हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए 20 जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे गृहमंत्री सुशील शिंदे ने कहा था कि मलबे के नीचे कितने लोग दबे हैं, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है।
उत्तराखंड में कुदरत के कहर के बाद जहां हजारों लोग राहत के लिए आस लगाए बैठे हैं, वहीं देशभर से भेजी जा रही राहत सामग्री जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही है। वजह यह है कि ऋषिकेश से आगे जाने के लिए सरकार के पास कोई इंतजाम नहीं है। हादसे के इतने दिनों बाद भी गुप्तकाशी का कालीमठ इलाका देश से कटा हुआ है और वहां किसी तरह की मदद नहीं पहुंची है।
कालीमठ जाने के सभी रास्ते तबाह हो चुके हैं, पुल टूट चुके हैं। इलाके से पैदल चलकर जैसे-तैसे निकल आए लोगों का कहना है कि रोजी-रोटी के लिए कालीमठ से बाहर निकले तकरीबन सौ लोगों का कोई अता−पता नहीं चल रहा है। सैलाब सब कुछ बहा ले गया है और हालत यह है कि लोग एक वक्त के भोजन के लिए तरस रहे हैं।
उत्तराखंड में बाढ़ से तबाही के बाद वहां फंसे लोगों को निकाले जाने का सिलसिला जारी है। बद्रीनाथ इलाके में अब भी एक हजार से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं। खराब मौसम की वजह से उन्हें निकालने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि अब तक 1 लाख 5 हजार 606 लोगों को बचाया गया है। वहीं प्रभावित इलाकों में अब भी 3,000 लोग लापता हैं। केदारनाथ में बारिश की वजह से पुजारियों को नहीं भेजा जा सका है, जहां फिर से पूजा शुरू होनी है।
आज ही उत्तराखंड विधानसभा के स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा था कि राज्य में भारी तबाही हुई है… हमारा पहला मकसद फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निलना है। कुंजवाल का यह भी कहना है कि इस तबाही में मरने वालों की तादाद 10 हजार से भी ज्यादा हो सकती है।
उत्तराखंड में आई बाढ़ से मची तबाही में जहां कई लोगों की जानें गईं, वहीं बहुत सी सड़कें, पुल, हाइडल प्रोजेक्ट्स, घरों और गेस्ट हाउस को भी बुरी तरह अपनी चपेट में ले लिया। स्थानीय लोगों का रोजगार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। चमोली जिले में अलकनंदा नदी ने अपना रास्ता बदल लिया है। बाढ़ से हुए नुकसान की वजह से अलकनंदा ने अचानक 100 मीटर दूरी पर अपना रास्ता बदल लिया। लोगों ने बताया कि किस तरह से इस बाढ़ में उन्होंने अपना सब कुछ गंवा दिया।
हालांकि राज्य में भागीरथी नदी का पानी उतरने लगा है। शुक्रवार को लगातार हो रही बारिश की वजह से भागीरथी नदी उफान पर थी और पानी बढ़ता देख लोग काफी डर गए थे। गंगा मंदिर के आसपास के इलाकों में कटाव भी हुआ था, जिसके बाद नदी के किनारे के कई मकानों का खाली करा लिया गया था और वहां के लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया गया था।
शुक्रवार को सेना प्रमुख बिक्रम सिंह ने कहा था कि अगर मौसम ठीक रहा, तो जल्द ही सभी फंसे लोगों को निकाल लिया जाएगा। इसके अलावा कल देहरादून में हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए 20 जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे गृहमंत्री सुशील शिंदे ने कहा था कि मलबे के नीचे कितने लोग दबे हैं, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है।
उत्तराखंड में कुदरत के कहर के बाद जहां हजारों लोग राहत के लिए आस लगाए बैठे हैं, वहीं देशभर से भेजी जा रही राहत सामग्री जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही है। वजह यह है कि ऋषिकेश से आगे जाने के लिए सरकार के पास कोई इंतजाम नहीं है। हादसे के इतने दिनों बाद भी गुप्तकाशी का कालीमठ इलाका देश से कटा हुआ है और वहां किसी तरह की मदद नहीं पहुंची है।
कालीमठ जाने के सभी रास्ते तबाह हो चुके हैं, पुल टूट चुके हैं। इलाके से पैदल चलकर जैसे-तैसे निकल आए लोगों का कहना है कि रोजी-रोटी के लिए कालीमठ से बाहर निकले तकरीबन सौ लोगों का कोई अता−पता नहीं चल रहा है। सैलाब सब कुछ बहा ले गया है और हालत यह है कि लोग एक वक्त के भोजन के लिए तरस रहे हैं।
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