Special Report: किसान आंदोलन का 1 साल पूरा, अन्नदाताओं में खुशी के साथ कई दर्द अभी भी बाकी

इस एक साल में किसानों पर आतंकवादी, खालिसतानी होने के आरोप लगे तो सैकड़ों किसानों की ठंड, दुर्घटना और बीमारियों की वजह से मौत भी हुई. फिर भी किसान शांतिपूर्ण तरीके से डटे रहे.

नई दिल्ली:

दिल्ली की तमाम सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को शुक्रवार को एक साल पूरा हो गया है. इस एक साल में किसानों पर आतंकवादी, खालिसतानी होने के आरोप लगे तो सैकड़ों किसानों की ठंड, दुर्घटना और बीमारियों की वजह से मौत भी हुई. फिर भी किसान सब कुछ झेलने के बाद भी शांतिपूर्ण तरीके से डटे रहे. लेकिन अंत में किसानों के सत्याग्रह ने सरकार को झुका ही दिया. लुधियाना की 40 साल की संदीप कौर अपनी 8 साल की बेटी सुरीत को पिछले एक साल से जारी किसानों के संघर्ष को दिखाने के लिये ला रही हैं. 8 साल की सुरीत ने पिछले एक साल में बैसाखी, दिवाली, होली सब छुट्टियां कहीं बाहर घूमने की बजाए, यहां सिंघू बार्डर पर किसानों के ही बीच गुजारी हैं. 

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वहीं गाजीपुर बॉर्डर आज फिर से गुलजार हो गया. पिछले कुछ दिनों से यहां पर किसानों की संख्या काफी कम थी. जाहिर सी बात है जब आंदोलन 1 साल लंबा चल जाए तो संख्या कम ज्यादा होती रहती है और दूसरा यह भी है कि यह गेहूं की बुवाई का सीजन है, इस वजह से भी किसान ज्यादा समय खेत में दे रहे थे, लेकिन क्योंकि आज किसान आंदोलन को 1 साल पूरा हुआ है तो गाजीपुर बॉर्डर पर किसान बड़ी संख्या में जुटे नजर आए. लेकिन सवाल ये है कि किसान आंदोलन का 1 साल पूरा होना किसानों के लिए खुशी की बात है या फिर चिंता की. 

किसान सतनाम सिंह का कहना है कि खुशी का तो क्या कहें, लेकिन यह जरूर कह सकते हैं कि कम से कम 1 साल के बाद मोदी जी को कुछ अकल आ गई है. यह जो तीनों काले कृषि कानून हैं. इसको अब उन्होंने वापस लेने का फैसला किया है. कम से कम किसानों में यह खुशी है कि उनके दिमाग में यह समझ तो आ गई है कि किसान अपने बहुत ही जायज हक की मांग के लिए लड़ रहे हैं.

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वहीं किसान नेता राकेश टिकैत के मुताबिक तीन कृषि कानून वापस लेने की घोषणा भले ही हो गई है, लेकिन जब तक एमएसपी गारंटी कानून नहीं बनेगा, आंदोलन के दौरान जान गवाने वाले किसानों को मुआवजा नहीं मिलेगा और आंदोलन के दौरान किसानों पर जो मुकदमे दर्ज हुए हैं वह वापस नहीं लिए जाएंगे तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

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उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के सितारगंज के रहने वाले इंद्रजीत सिंह और उनका परिवार पिछले 1 साल से लगातार गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में हिस्सा ले रहा है. 26 जनवरी को इंद्रजीत सिंह भी अपना ट्रैक्टर लेकर आईटीओ गए थे. वह कहते हैं कि दिल्ली पुलिस ने जबरदस्ती हत्या का प्रयास, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और षड्यंत्र करने के आरोप में तीन मुकदमे दर्ज कर लिए हैं. जिसका जवाब कोर्ट में उनका वकील दे रहा है. मैंने वहां जाकर क्या गोली चला दी, पुलिस की लाठी अलग खाई और सबसे आगे हम थे. हमको खुद रास्ता बताया गया कि इधर से जाइए, उधर से जाइए.