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दिवालिया होने के कगार पर कैसे पहुंच गई 133 साल पुरानी Kodak, कैमरों की चमक से छुई थीं बुलंदियां

Kodak Bankruptcy: एक जमाने में अरबों का कारोबार करने वाली कोडक कंपनी आज कर्ज में डूबी है. हालत ये हैं कि 500 मिलियन डॉलर का कर्ज चुकाने के लिए कंपनी के पास पैसे नहीं हैं.

दिवालिया होने के कगार पर कैसे पहुंच गई 133 साल पुरानी Kodak, कैमरों की चमक से छुई थीं बुलंदियां
कोडक कंपनी की पूरी कहानी
  • कोडक कंपनी की स्थापना 1888 में जॉर्ज ईस्टमैन ने की थी, जिसने पहला कैमरा 25 डॉलर में बेचा था
  • 1975 में कोडक के कर्मचारी स्टीव सैसन ने पहला डिजिटल कैमरे का प्रोटोटाइप बनाया था
  • स्मार्टफोन और डिजिटल तकनीक के कारण कोडक को भारी नुकसान हुआ और कर्जा बढ़ता गया
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Kodak Journey: एक दौर था जब फोटोग्राफी की दुनिया में कोडक ऐसा नाम हुआ करता था कि हर कोई इस कंपनी का कैमरा लेना चाहता था. शुरुआती दौर में जितने भी कैमरे थे, वो ज्यादातर कोडक कंपनी के ही थे. इसीलिए कई दशकों तक कोडक सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि लोगों की यादों को कैद करने वाला एक जरिया बन गया था. हालांकि स्मार्टफोन आने और टेक्नोलॉजी के बढ़ने के चलते अब कोडक कंपनी आखिरी सांसें गिन रही है. इसके साथ ही 133 साल पुरानी एक लंबी विरासत भी खत्म होने जा रही है. 

ऐसे हुई थी शानदार शुरुआत 

साल 1888 में जॉर्ज ईस्टमैन ने इस कंपनी की शुरुआत की थी. तब कंपनी ने अपना पहला कैमरा 25 डॉलर में बेचा था, जिसका नाम 'द कोडक कैमरा' रखा गया था. उस दौर में कैमरे से फोटो निकालना बड़ी बात थी. इसके लिए कई एक्सपर्ट्स की जरूरत पड़ती और ये पूरा प्रोसेस काफी महंगा था. हालांकि कोडक ने इसे आम लोगों के हाथों तक पहुंचाने का काम कर दिया. कंपनी ने तब एक नारा भी दिया था. 'आप बटन दबाएं, बाकी काम हम कर लेंगे... '  इसके बाद कंपनी लोगों के बीच काफी मशहूर हो गई और मुनाफा कई गुना बढ़ने लगा. 

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एक दौर था जब फोटोग्राफी की पूरी दुनिया पर कोडक का ही एकछत्र राज था. 1970 के दशक में दुनिया के तमाम देशों में कोडक के ही कैमरे बिकते थे. इसके बाद कोडक ने अपने कैमरों में कई तरह के बदलाव किए और ये और ज्यादा पॉपुलर होने लगा.  

साल 1975 में कोडक के लिए काम करने वाले स्टीव सैसन ने पहले डिजिटल कैमरे का प्रोटोटाइप बनाया. हालांकि कंपनी ने इसे नजरअंदाज कर दिया और सोचा कि इससे उनके फिल्म वाले बिजनेस पर असर पड़ेगा. इससे बाकी कंपनियों को इस मार्केट में घुसने का मौका मिल गया. जब तक कोडक ने डिजिटल कैमरे के बिजनेस में एंट्री करने की कोशिश की, तब तक काफी देर हो चुकी थी.  

ऐसे हुई थी पतन की शुरुआत

टेक्नोलॉजी अपने साथ कई तरह के नुकसान भी लेकर आती है. 20वीं शताब्दी की शुरुआत के साथ ही तकनीक ने कई कंपनियों को नुकसान पहुंचाया और उनमें से कई बंद हो गईं. ये वो दौर था जब लोग फोन में ही अपनी तस्वीरें कैद करने लगे और इन्हें प्रिंट करवाने की बजाय सोशल मीडिया पर पोस्ट करने लगे. कोडक जैसी कंपनियों के लिए ये एक बड़ी चुनौती थी. कोडक का फिल्म बिजनेस तेजी से गिरा और कंपनी को भारी नुकसान होने लगा. आखिरकार 2012 में कंपनी ने दिवालियापन के लिए आवेदन किया.

कितने कर्ज में डूबी है कंपनी?

एक जमाने में अरबों का कारोबार करने वाली कोडक कंपनी आज कर्ज में डूबी है. हालत ये हैं कि 500 मिलियन डॉलर का कर्ज चुकाने के लिए कंपनी के पास पैसे नहीं हैं. कंपनी खुद को बचाए रखने के लिए टीवी और बाकी चीजें बनाने में भी हाथ आजमा रही है, लेकिन ये सब काम नहीं कर रहा है. हालांकि आज भी कोडक फिल्म इंडस्ट्री के लिए केमिकल और फिल्म बनाने का काम करती है. फिलहाल कोडक की ये हालत यही बताती है कि अगर आप समय रहते सही फैसले नहीं लेते हैं और वक्त के साथ नहीं बदलते हैं तो चाहे आप कितनी भी बड़ी कंपनी हों, आपको अर्श से फर्श पर आने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. कोडक के अलावा नोकिया, ओनिडा और ब्लैकबेरी जैसी कंपनियां इसका एक बड़ा उदाहरण है. 

कोडक की तरफ से जारी हुआ बयान

कोडक कंपनी की तरफ से दिवालिया होने को लेकर एक बयान जारी किया गया है, जिसमें बताया गया है कि कंपनी दिवालियापन के लिए आवेदन नहीं कर रही है. कंपनी ने बताया है कि वो खुद को एक्सपेंड करने की कोशिश कर रहे हैं और कर्ज वक्त पर चुकाने का भी दावा किया गया है. 

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