
- दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों को पकड़कर सुरक्षित शेल्टर होम में रखने का मामला SC में सुनवाई के लिए पेश हुआ
- न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन.वी. अंजारिया की नई पीठ आज इस मामले की सुनवाई करेगी
- अगस्त में दो सदस्यीय पीठ ने आदेश दिया था कि आवारा कुत्तों को स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखा जाए.
दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को पकड़ने और उन्हें सुरक्षित जगहों पर रखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की नई बेंच आज सुनवाई करने जा रही है. इस नई पीठ में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया शामिल हैं. इससे पहले, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की दो सदस्यीय पीठ ने 11 अगस्त को आदेश दिया था कि दिल्ली-NCR के सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखा जाए और उन्हें दोबारा सड़कों पर न छोड़ा जाए. यह आदेश रेबीज और कुत्तों के काटने की गंभीर स्थिति को देखते हुए दिया गया था.
आपको बता दें कि आवारा कुत्तों का मामला बुधवार को सीजेआई के समक्ष भी उठाया गया है. सीजेआई गवई ने कहा था कि वह इसे देखेंगे. आवारा कुत्तों को पकड़ने और उन्हें सुरक्षित स्थान पर रखने के खिलाफ दिल्ली में लोगों ने कुछ दिन पहले विरोध प्रदर्शन भी किया था. अब आज इस मामले में फिर से सुनवाई होने जा रही है. ऐसे में सभी की निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं...
आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई LIVE:
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए नई बेंच का किया है गठन
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए तीन जजों की नई बेंच तैयार की है. इस बेंच में जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया भी शामिल हैं. आपको बता दें कि इस बेंच की सुनवाई पहले जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच कर रही थी.
11 अगस्त को कोर्ट ने दिया था आदेश
कोर्ट ने अपने 11 अगस्त के आदेश में कहा था कि दिल्ली-NCR के सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखा जाए और उन्हें दोबारा सड़कों पर न छोड़ा जाए. यह आदेश रेबीज और कुत्तों के काटने की गंभीर स्थिति को देखते हुए दिया गया था. हालांकि, यह आदेश पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम, 2023 और पूर्ववर्ती न्यायिक फैसलों के विपरीत था, जिनमें नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को उनके मूल स्थान पर लौटाने की बात कही गई थी. इन फैसलों में पशु कल्याण और मानवीय दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी गई थी.
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