दिल्ली विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र आज (26 नवंबर) आहूत किया गया. इस दौरान "आप" सरकार के मंत्री गोपाल राय ने कृषि कानूनों से जुड़ा प्रस्ताव सदन के पटल पर रखा. प्रस्ताव पेश करते हुए राय ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा, "आम जनता की ताकत से बनी केंद्र सरकार ने किसानों पर काला कानून थोपा लेकिन किसानों ने आंसू गैस के गोले सहे. सर्दी गर्मी में प्रदर्शन किया. मैं दिल्ली की इस विधानसभा को बधाई देता हूं कि इस विधानसभा ने सबसे पहले उन तीनों काले कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पास किया. मुख्यमंत्री ने सदन के भीतर तीनों कानूनों को फाड़ा."
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राय ने कहा, "तब इस सदन में अरविंद केजरीवाल ने जो बात कही थीं, वो तब सच साबित हुईं, जब प्रधानमंत्री ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की. इस पूरे आंदोलन के दौरान 700 से ज्यादा किसानों ने शहादत दी है. आज यह सदन उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता है, लेकिन सवाल यह है कि अगर ये कानून किसानों के हित में नहीं थे, तो फिर उन शहादत का क्या होगा. आंदोलन के दौरान हजारों लोगों पर मुकदमे लगाए गए, उन मुकदमों का क्या होगा. उस पर केंद्र सरकार बात करने के लिए क्यों तैयार नहीं है."
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राय ने आगे कहा, "इस सरकार ने चुनाव के समय वादा किया था कि एमएसपी की गारंटी का कानून लाया जाएगा, लेकिन आज तक एमएसपी पर गारंटी का कानून नहीं आया. किसानों की आय दोगुनी करने का वादा था, वो सिस्टम कहां गया.
राय ने कहा कि सबने देखा कि किस तरह किसान दोलन को कुचलने की कोशिश की गई. केंद्र सरकार के राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे ने सरेआम किसानों को गाड़ी से कुचला. ऐसी दरिंदगी का नमूना भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गुलामी के दौरान भी नहीं दिखा था.
उन्होंने कहा, "मैं किसानों को बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने पहली बार सरकार के अहंकार को चकनाचूर किया है. किसानों के इस आंदोलन के 1 साल पर मैं सदन के सामने सरकारी संकल्प, प्रस्तुत करना चाहता हूं."
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