दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया पर आरोप लगाया कि उन्होंने 2,000 करोड़ रुपये का शिक्षा घोटाला किया है. जबकि मनीष सिसोदिया ने आरोपों को सिरे से नकार दिया और चुनौती दी कि अगर वाकई घोटाला हुआ है तो उनको गिरफ़्तार करा जाए वरना माफ़ी मांगी जाए.
मनोज तिवारी के आरोप और मनीष सिसोदिया के खंडन और सफ़ाई में सही क्या है और क्या गलत? क्या वाकई कोई घोटाला हुआ है? क्या वाकई दिल्ली के सरकारी स्कूल में एक क्लास रूम 25 लाख रुपये का बन रहा है?
क्या कहता है PWD विभाग?
दिल्ली सरकार का PWD विभाग दिल्ली में सरकारी स्कूलों के निर्माण में लगा है. एमके महोबिया जो कि चीफ इंजीनियर (सिविल) हैं. इस प्रोजेक्ट की ज़िम्मेदारी उन्हीं पर है.
क्या है 25 लाख के क्लासरूम की कहानी?
एमके महोबिया ने बताया कि जिस RTI दस्तावेज के आधार पर मनोज तिवारी ने कैलकुलेशन करके बताया कि एक क्लास रूम की कीमत करीब 25 लाख रुपये पड़ रही है दरअसल वो टेंडर होने से भी पहले का है. इसको एस्टिमटेड कॉस्ट के नाम से जाना जाता है.
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क्या है प्रक्रिया
1. पहली स्टेज में दिल्ली सरकार ने तय किया दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 12748 कमरे बनाए जाएंगे. केंद्र सरकार (शहरी विकास मंत्रालय और CPWD) के नियमों के तहत प्लिंथ एरिया के आधार पर 2892.65 करोड़ रुपये की रकम मंजूर हुई. यानी इस कीमत में बिल्डिंग की कीमत, फर्नीचर, लैबोरेट्री लाइब्रेरी स्टाफ रूम प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल के कमरे, अस्थायी कमरे, बिजली का सारा काम, फायर फाइटिंग का इंतजाम, कॉरिडोर, सीढ़ियां, पानी सप्लाई सीवर का सिस्टम, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट शामिल हैं.
2. दूसरी स्टेज पर सभी आइटम के साथ डिटेल एस्टीमेट बनाया. इसमें 12748 क्लासरूम के लिए अनुमानित लागत मानी गई 2405 करोड़ रुपये. इतने पैसे में स्कूलों में ऊपर की सारी सारे आइटम शामिल हैं लेकिन फर्नीचर नहीं. इसी अनुमानित लागत के साथ पीडब्ल्यूडी विभाग ने ऑनलाइन टेंडर जारी कर दिए
3. तीसरी स्टेज में 12,580 कमरों के लिए 2144 करोड़ रुपये की बोलियां फाइनल हुई. सारा काम 63 हिस्सों में बांटा गया.
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बीजेपी के आरोप आधार क्या?
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी के आरोपों का आधार वे दस्तावेज हैं जिसमें 312 कमरों के निर्माण में 77.54 करोड़ रुपये लगने की बात कही गई. मनोज तिवारी ने 77.54 करोड रुपये को 312 कमरों से भाग दिया. जिससे 24.86 लाख रुपये का आंकड़ा आया. मनोज तिवारी ने इसी के तहत एक क्लास रूम 25 लाख रुपये का बनने का आरोप लगाया.
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पीडब्ल्यूडी विभाग के मुताबिक यह पहली स्टेज का डॉक्यूमेंट है. क्योंकि सारा प्रोजेक्ट 63 हिस्सों में बांटा गया था तो उनमें से एक हिस्सा यह था. इसके तहत पूर्वी और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के 8 स्कूलों में 312 कमरे बनाए जाने हैं. लेकिन न तो कमरों की यह अंतिम लागत है और न ही ये सिर्फ़ कमरों की लागत है. बल्कि इसमें बाकी दूसरी सभी सामान और सेवा शामिल हैं जिनका ज़िक्र ऊपर किया गया.
PWD के चीफ इंजीनियर (सिविल) एमके महोबिया के मुताबिक 'जिन 77.54 करोड़ रुपये के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि एक कमरा 25 लाख रुपये का बन रहा है वो शुरुआती एस्टीमेट है. इस अमाउंट के अंदर बिल्डिंग की कीमत, फर्नीचर, डेवलपमेंट, पानी का RO, रेन वाटर हार्वेस्टिंग है, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट इसमें लगाई जाती है, अंडरग्राउंड स्टोरेज पानी के लिए, फायर फाइटिंग का इंतज़ाम सब इसमें शामिल हैं. ये शुरुआती स्टेज का असेसमेंट है, जो भारत सरकार के नियम के आधार पर होता है. इससे अगली स्टेज में टेक्निकल सेंक्शन ली जाती है. फिर उसके आधार पर टेंडर किया जाता है. और उसमें जो सबसे लोएस्ट बिड आती है उसके हिसाब से इसको वर्कआउट किया जा सकता है इस स्टेज पर यह नहीं कहा जा सकता कि 24 लाख रूपये एक ही कमरे पर खर्च किए जा रहे हैं.'
आरटीआई के तहत दी गई जानकारी के दस्तावेज.
कितने में बन रहा एक क्लासरूम
पीडब्ल्यूडी के मुताबिक फिलहाल एक क्लासरूम की अनुमानित लागत 16 से 17 लाख रुपये आती है जिसमें सब कुछ शामिल है, केवल फर्नीचर को छोड़कर. जबकि एक क्लासरूम करीब 427 स्क्वेयर फीट का होता है जिसमें 40 बच्चे बैठकर पढ़ सकते हैं.
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क्या क्लासरूम बनाने के ठेके आप के करीबियों को मिले?
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने आरोप लगाया था कि क्लासरूम बनाने के ठेके आम आदमी पार्टी के करीबियों नेताओं के रिश्तेदारों को दिए गए हैं जिनका आने वाले समय में खुलासा किया जाएगा. जबकि पीडब्लूडी विभाग का कहना है ई टेंडर की सारी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है जिसमें किसी का कोई हस्तक्षेप नहीं होता.
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