फाइल फोटो
नई दिल्ली:
इन दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम उल्लंघन बुरी तरह बढ़ गया है. अचानक पैदा हुई इस नई तल्खी की वजह क्या है? जानकार मानते हैं कि पाकिस्तान में चुनाव हैं और पाकिस्तान सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए युद्ध और भारत-विरोध का राग अलापने की कोशिश कर रही है.
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नियंत्रण रेखा पर भारत के खिलाफ पाकिस्तानी हमलों में आई अचानक और बहुत बड़ी बढ़ोतरी भले ही अभूतपूर्व न हो, लेकिन असामान्य ज़रूर है. अब तक एक महीने में भारतीय सेनाओं के खिलाफ 240 हमले हुए हैं जबकि ये कई साल का औसत रहा है.
सीजफायर के मामले
-2015 में युद्धविराम उल्लंघन के बस 152 मामले थे
-2016 में उनकी तादाद बढ़ी- 228 बार युद्धविराम उल्लंघन हुआ
-लेकिन बीते साल यानी 2017 में करीब 4 गुना ज़्यादा 860 मामले सामने आए
-और पिछले एक महीने पांच दिन के भीतर 240 मामले सामने आ चुके हैं.
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पाकिस्तान को इन हमलों से कुछ हासिल होता नहीं दिखता- सिवा इसके कि भारत की जवाबी कार्रवाई करता है और उतने ही पाक सैनिकों को ढेर कर देता है. फिर हर हमले के कुछ दिन बाद हालात जस के तस हो जाते हैं. हासिल कुछ भी नहीं होता. तो पाकिस्तानी हमले में ये उछाल क्यों है? जानकार सबसे अहम संभावित वजह ये बताते हैं कि पाकिस्तान में 4 महीनों में आम चुनाव होने हैं. सत्ता पक्ष संकट में है और ज़्यादातर सर्वे बताते हैं कि उन्हें 34 फीसदी वोट भी नहीं मिल रहे हैं और उनके ख़िलाफ़ 4 फीसदी वोट पलटने का रुझान है.
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जमीन पर पाकिस्तान में राष्ट्रीय चुनाव प्रचार तेज हो रहा है और अपने वादे पूरे करने में नाकाम-सत्तारूढ़ पार्टी भारत पर हमलों को अहम चुनावी मुद्दा बना रही है. सीधा मक़सद वोटरों का ध्यान असली मुद्दों से भटकाना और राष्ट्रवाद और देशभक्ति का जुनून पैदा करना है.
दुनिया भर में चुनाव प्रचार में युद्ध और धर्म के इस्तेमाल की रणनीति जानी-पहचानी है. ख़ासकर पारपंरिक दुश्मन के ख़िलाफ़- ताकि इस बिना पर वोट लिए जा सकें.
राहत इंदौरी ने लिखा है-
सरहदों पे बहुत तनाव है क्या?
कुछ पता तो करो, मुल्क में चुनाव है क्या?
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दुनिया भर में चुनाव प्रचार में युद्ध और धर्म के इस्तेमाल की रणनीति जानी-पहचानी है. ख़ासकर पारपंरिक दुश्मन के ख़िलाफ़- ताकि इस बिना पर वोट लिए जा सकें.
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