कोरोना महामारी के बीच भारत ने मदद की कोई अंतरराष्‍ट्रीय अपील नहीं की : सूत्र

सूत्र बताते हैं कि पिछले सप्ताह के अंत में भारत से कई अनुरोध अमेरिका को गए. ये प्रक्योरमेंट के लिए थे, ग्रांट के लिए नहीं. कुछ उन्होंने ग्रांट में देने का फ़ैसला किया है, लेकिन भारत सरकार बड़ी मात्रा में खरीद भी रही है. 

कोरोना महामारी के बीच भारत ने मदद की कोई अंतरराष्‍ट्रीय अपील नहीं की : सूत्र

देश में कोरोना के केसों की संख्‍या लगातार बढ़ी है (प्रतीकात्‍मक फोटो)

नई दिल्ली:

कोरोना की दूसरी लहर के बीच भारत सरकार ने मदद (ग्रांट) के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय अपील नहीं की है. विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत ने अंतरराष्ट्रीय मदद न लेने की अपनी नीति में बदलाव नहीं किया है लेकिन अगर कुछ देशों ने मदद के तौर पर साजोसामान भेजने की बात कही है तो भारत सरकार ने इसे मान लिया है. भारत चीज़ों को ख़रीदने की कोशिश कर रहे थे और इस बारे में अपने दूतावासों उच्चायोगों को संदेश दिया.सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार की प्राथमिकता ऑक्सीजन और इससे जुड़े साजोसामान हासिल करने की है. ऑक्सीजन जेनेरेटिंग प्लांट्स आयात करने की प्रक्रिया जारी है.ऑक्सीजन कांसेंट्रेटर्स बड़े पैमाने पर प्रोक्योर करने की कोशिश है. ऑक्‍सीजन के छोटे और बड़े आक्सीजन टैंकर्स की भी ज़रूरत है. भारत ने इन्हीं ज़रूरतों को दूतावासों और उच्चायोगों को बताया है. दूसरी अहम प्राथमिकता इंजेक्‍शन Remdesivir पाना है, अमेरिका से ये बड़ी तादाद में मदद के तौर पर मिल रहे हैं. अमेरिकी मिलिटरी से कुछ नहीं लिया जा रहा. मिलिटरी ट्रांसपोरटेशन बेशक इस्तेमाल हो ये अलग बात है.ये अगले 24 घंटे में आ जाने की उम्मीद है.

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सूत्र बताते हैं कि रूस से भी मदद का भरोसा मिला है.पिछले सप्ताह के अंत में भारत से कई अनुरोध अमेरिका को गए, 
ये प्रक्योरमेंट के लिए था ग्रांट के लिए नहीं. कुछ उन्होंने ग्रांट में देने का फ़ैसला किया है, लेकिन भारत सरकार बड़ी मात्रा में खरीद भी रही है. एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर को लेकर सूत्रों ने बताया कि अमेरिका के पास अभी 10 मिलियन डोज़ हैं, पचास मिलियन मई जून में बनेंगे. यूएस से वैक्सीन कब कैसे आएंगे इसकी जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है. भारत ने यूएस से ग्रांट नहीं मांगी है अपनी ज़रुरत बताई है. भारत ने अपना घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर भी ज़ोर लगाया हैभारत को चीन से साजोसामान प्रोक्योर करने में कोई दिक्कत नहीं है, इसलिए हमने पाकिस्तान से एनजीओ से मदद का आफर आया था, जो हमारे परव्यू में नहीं आता. वहां की सरकार का कोई प्रस्ताव हमारी नज़र में नहीं आया है. रूसी वैक्‍सीन स्‍पूतनिक V की पहली खेप महीने के अंत में पहुंच जाएगी. सूत्रों ने कहा कि छह देशों की हुई वर्चुअल बैठक में भारत के शामिल न होने पर चीन समेत छह देशों ने जो बैठक की है, उस फोरम को भारत मान्यता नहीं देता