इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए और गौ सुरक्षा को मौलिक अधिकार बनाया जाए. उनका यह भी कहना है कि भारतीय संविधान के आर्टिकल 48 में गौ हत्या पर रोक को संघ सूची में रखने के बजाए राज्य सूची में रख दिया गया. इसीलिए भारत के कई राज्यों में गौकशी पर रोक नहीं है. जस्टिस शेखर कुमार यादव ने यह टिप्पणी संभल के गौकशी के एक आरोपी की जमानत रद्द करते हुए अपने आदेश में की है. अपने 12 पन्ने के आदेश में अदालत ने गाय की उपयोगिता और भारतीय संस्कृति गाय के स्थान की चर्चा की है. और बताया है कि मुग़ल शासकों से लेकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और तमाम धर्म गुरुओं तक ने गौकशी का विरोध किया है.
अदालत ने कहा है कि हिन्दू धर्म के अनुसार गाय में 33 कोटि देवता निवास करते हैं. ऋग्वेद में गाय को अघन्या, यजुर्वेद में गौर अनुपमेय, अथर्ववेद में सम्पत्तियों का घर कहा गया है. भगवान कृष्ण को सारा ज्ञान गौचारणो से ही मिला है. भगवान राम के पूर्वज राजा दिलीप नंदिनी गाय की पूजा करते थे. भगवान शंकर के वाहन नंदी गाय वंशज ही थे. तीर्थंकर भगवान रामदेव का चिन्ह बैल है. गुरु वशिष्ठ ने गाय के कुल का विस्तार किया था. बाल गंगाधर तिलक ने कहा कि चाहे मुझे मार डालो पर गाय पर हाथ न उठाओ. रसखान ने कहा कि दुबारा जन्म हो तो मैं नंद की गाय बनूं. बाबर, हुमायूं और अकबर ने अपने धार्मिक त्योहारों पर गाय की बलि पर रोक लगायी. मैसूर के नवाब हैदर अली ने गौहत्या को दंडनीय बनाया. मौलाना मोहम्मद अली, शौकत अली, हाकिम अजमल खान मौलाना अब्दुल बारी ने गौकशी का विरोध किया. सूफी ख्वाजा हसन निज़ामी ने "तर्क-ए-गौकशी" नाम की किताब में गौ हत्या का विरोध किया.
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दयानंद सरस्वती ने लिखा कि एक गाय पूरे जीवन 410 से 440 लोगों का भोजन जुटाती है, जबकि उसके मांस से सिर्फ 80 लोगों का पेट भरता है. इन सब को ध्यान में रखते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए.
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