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राहुल गांधी ने वीर सावरकर और गोडसे को लेकर दाखिल की याचिका, पढ़ें क्या कुछ कहा

राहुल गांधी ने अपनी याचिका में कहा है कि सत्यकी, विनायक सावरकर के भतीजे अशोक सावरकर के पुत्र हैं. यह बात खुद तकरारकर्ता ने रिकॉर्ड पर रखी है लेकिन सत्यकी ने अपनी मां हिमानी की पहचान छुपाई है.

राहुल गांधी ने वीर सावरकर और गोडसे को लेकर दाखिल की याचिका, पढ़ें क्या कुछ कहा
(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी ने पुणे की विशेष MP/MLA अदालत में एक याचिका दाखिल की है. इस याचिका में उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए कहा है कि नाथूराम गोडसे और विनायक सावरकर, दोनों “हिंदू राष्ट्र” के कट्टर समर्थक थे. उन दोनों ने मुसलमानों और ईसाइयों को भारत के लिए “अयोग्य” माना और विभाजन के समय महात्मा गांधी की मुसलमानों के प्रति “सहानुभूतिपूर्ण” नीति के कारण उनकी हत्या की साजिश रची.

राहुल गांधी ने अपनी याचिका में यह दावा भी किया है कि हिंदुत्ववादी नेता विनायक सावरकर का गोडसे से रक्त संबंध था, जो एक महत्वपूर्ण तथ्य है लेकिन तकरारकर्ता सत्यकी सावरकर ने अपनी आपराधिक मानहानि की शिकायत में इसे छिपाया है.

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राहुल गांधी ने अपनी याचिका में आगे कहा है कि सत्यकी, विनायक सावरकर के भतीजे अशोक सावरकर के पुत्र हैं – यह बात खुद तकरारकर्ता ने रिकॉर्ड पर रखी है लेकिन सत्यकी ने अपनी मां हिमानी की पहचान छुपाई है, जो नाथूराम गोडसे के सगे भाई गोपाल गोडसे की बेटी हैं. नाथूराम और गोपाल दोनों को महात्मा गांधी की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था.

राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि सत्यकी ने अपनी शिकायत के साथ केवल पैतृक वंशावली अदालत को सौंपी है लेकिन मातृ पक्ष की वंशावली जानबूझकर छुपा ली, जिसके चलते यह बात रिकॉर्ड में नहीं आई कि वे (सत्यकी) गोपाल गोडसे के (ननिहाल पक्ष से) नाती हैं.

याचिका में क्या कहा गया है?

जानकारी के अनुसार, सत्यकी की माता हिमानी का जन्म गोडसे परिवार में हुआ है. इसके बावजूद, तकरारकर्ता ने जानबूझकर, योजनाबद्ध और बेहद चालाकी से अपनी माता पक्ष की वंशावली को छुपा लिया है. यह इस मामले में एक अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य है, जिसे अंतिम निर्णय से पहले और दोषारोपण की कार्यवाही शुरू होने से पहले देखा जाना चाहिए. अदालत से कोई महत्वपूर्ण तथ्य छुपाना एक गंभीर विषय होता है और इसे न्यायालय के साथ धोखा माना जाता है – इससे मुकदमा खारिज भी हो सकता है या राहत देने से इनकार भी किया जा सकता है.”

इतिहासकारों का हवाला देते हुए याचिका में उल्लेख किया गया है कि सावरकर ने मुस्लिम-विरोधी हिंदू राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया और भारतीय सेना और पुलिस में मुसलमानों को ‘संभावित देशद्रोही' कहा. उन्होंने सुझाव दिया था कि सरकार को सेना, पुलिस और प्रशासन में मुसलमानों की संख्या कम करनी चाहिए और उन्हें हथियार कारखानों में काम करने या उनका मालिक बनने से प्रतिबंधित करना चाहिए.

सावरकर की 1963 की पुस्तक ‘Six Glorious Epochs of Indian History' का उल्लेख करते हुए याचिका में कहा गया है, “सावरकर ने लिखा था कि मुसलमान और ईसाई हिंदू धर्म को नष्ट करने की साजिश कर रहे थे. उन्होंने बलात्कार को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की वकालत की और आरोप लगाया कि मुस्लिम महिलाएं हिंदू महिलाओं पर अत्याचार में अपने पुरुषों का समर्थन करती थीं. यह याचिका सत्यकी सावरकर के उस आरोप के खिलाफ है, जिसमें राहुल गांधी ने लंदन में कहा था कि सावरकर ने अपनी किताब में लिखा है कि उन्होंने कैसे मुस्लिम युवक पर हमला करने का आनंद लिया और सावरकर की मानहानि की. इस याचिका पर विशेष न्यायाधीश अमोल शिंदे ने तकरारकर्ता सत्यकी सावरकर को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. यह याचिका अधिवक्ता मिलिंद पवार के माध्यम से दाखिल की गई है.

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