नई दिल्ली:
कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा किसी नेता के जेल में रहते हुए चुनाव लड़ने पर रोक लगाने संबंधी फैसले का वह फिलहाल अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन फैसलों का विस्तृत रूप से अध्ययन कर दूसरे राजनीतिक दलों के साथ इस पर विचार-विमर्श करने के बाद ही इस पर कोई प्रतिक्रिया दी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाइकोर्ट के उस आदेश को सही ठहराया, जिसमें कहा गया था कि जो आदमी वोट नहीं डाल सकता, वह चुनाव कैसे लड़ सकता है… इसका मतलब साफ है कि अगर कोई नेता जेल में होगा, तो वह चुनाव नहीं लड़ पाएगा।
अप्रैल, 2004 में पटना हाइकोर्ट ने यह फैसला सुनाया था और चुनाव आयोग से कहा था कि वह जेल में बंद नेताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दे। इस फैसले के खिलाफ़ चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी, लेकिन गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाइकोर्ट के फैसले में कोई गलती नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर राजनीतिक दलों ने बड़ी संभल कर प्रतिक्रिया दी, जिसमें कहा गया है कि जेल में बंद या पुलिस हिरासत में लिए गए लोग चुनाव नहीं लड़ सकते। दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस और बीजेपी ने कहा कि वे फैसले का अध्ययन करने के बाद उचित प्रतिक्रिया देंगे। कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने कहा, इस मुद्दे पर कई प्रश्न हैं, जिनके उत्तर की जरूरत है। हम फैसले का अध्ययन करेंगे, फिर समुचित प्रतिक्रिया देंगे।
बीजेपी ने भी संभल कर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे राजनीति की सफाई के लक्ष्य से किए गए किसी भी फैसले का स्वागत करते हैं और हमें कुछ भी कहने से पहले गंभीरता से फैसले का अध्ययन करना होगा। बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हम पहले फैसले का अध्ययन करेंगे, फिर अपनी प्रतिक्रिया देंगे। हालांकि उन्होंने यह आशंका भी जताई कि भविष्य में ऐसे मामले भी हो सकते हैं कि विपक्षी दलों के नेताओं को सिर्फ चुनाव लड़ने से रोकने के लक्ष्य से जेल में डाल दिया जाए।
(इनपुट भाषा से भी)
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाइकोर्ट के उस आदेश को सही ठहराया, जिसमें कहा गया था कि जो आदमी वोट नहीं डाल सकता, वह चुनाव कैसे लड़ सकता है… इसका मतलब साफ है कि अगर कोई नेता जेल में होगा, तो वह चुनाव नहीं लड़ पाएगा।
अप्रैल, 2004 में पटना हाइकोर्ट ने यह फैसला सुनाया था और चुनाव आयोग से कहा था कि वह जेल में बंद नेताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दे। इस फैसले के खिलाफ़ चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी, लेकिन गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाइकोर्ट के फैसले में कोई गलती नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर राजनीतिक दलों ने बड़ी संभल कर प्रतिक्रिया दी, जिसमें कहा गया है कि जेल में बंद या पुलिस हिरासत में लिए गए लोग चुनाव नहीं लड़ सकते। दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस और बीजेपी ने कहा कि वे फैसले का अध्ययन करने के बाद उचित प्रतिक्रिया देंगे। कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने कहा, इस मुद्दे पर कई प्रश्न हैं, जिनके उत्तर की जरूरत है। हम फैसले का अध्ययन करेंगे, फिर समुचित प्रतिक्रिया देंगे।
बीजेपी ने भी संभल कर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे राजनीति की सफाई के लक्ष्य से किए गए किसी भी फैसले का स्वागत करते हैं और हमें कुछ भी कहने से पहले गंभीरता से फैसले का अध्ययन करना होगा। बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हम पहले फैसले का अध्ययन करेंगे, फिर अपनी प्रतिक्रिया देंगे। हालांकि उन्होंने यह आशंका भी जताई कि भविष्य में ऐसे मामले भी हो सकते हैं कि विपक्षी दलों के नेताओं को सिर्फ चुनाव लड़ने से रोकने के लक्ष्य से जेल में डाल दिया जाए।
(इनपुट भाषा से भी)
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