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This Article is From Jun 23, 2021

गलवान के बाद चीन को एहसास हुआ, उन्हें बेहतर ट्रेनिंग की ज़रूरत है : जनरल बिपिन रावत

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि पिछले साल गलवान घाटी व दूसरी जगहों पर हुई झड़पों के बाद चीन को आभास हुआ कि उसे अब बेहतर तैयारी की जरूरत है.

गलवान के बाद चीन को एहसास हुआ, उन्हें बेहतर ट्रेनिंग की ज़रूरत है : जनरल बिपिन रावत
भारतीय सेना के जवान पर्वतीय इलाकों में इलाकों में रहने व लड़ने में माहिर: जनरल बिपिन रावत (File फोटो)
नई दिल्ली:

भारतीय सेना के जवानों से आमना सामना होने के बाद अब चीन को अपनी सेना के लिए बेहतर ट्रेनिंग की जरूरत महसूस होने लगी है. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि पिछले साल गलवान घाटी व दूसरी जगहों पर हुई झड़पों के बाद चीन को आभास हुआ कि उसे अब बेहतर तैयारी की जरूरत है. समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि चीन के सैनिकों की भर्ती कम अवधि के लिए होती है इसके अलावा उनके पास हिमालय जैसी पहाड़ियों पर लड़ने का ज्यादा अनुभव भी नहीं है. LAC पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की ताजा गतिविधि के बारे में चर्चा करते हुए जनरल रावत ने कहा कि 2020 के मई और जून के महीनों में गलवान व दूसरे इलाकों में हुई हिंसक झड़प के बाद चीन ने सीमा पर अपनी तैनाती में बदलाव किया है. 

उन्होंने कहा कि चीन के सैनिक मुख्य रुप से सैनिकों की भर्ती मैदानी इलाकों से छोटी अवधि के लिए होती है, जिसके कारण उनके पास पहाड़ी इलाकों में लड़ाई व तैयारी का अनुभव नहीं होता है. जबकि भारतीय सैनिक ऐसे इलाकों में रहने और लड़ने में माहिर माने जाते हैं. जनरल रावत के अनुसार भारत, सीमा पर चीन की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए है. 

जनरल रावत ने कहा कि तिब्बत का स्वायत्त इलाका एक कठिन क्षेत्र माना जाता है. यह पहाड़ी इलाका है, यहां पर लड़ने और रहने के लिए आपको खास तरह की ट्रेनिंग की जरूरत होती है, भारतीय सेना के जवान ऐसे इलाकों के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, क्योंकि हमारे पास ऐसे इलाके जहां पहाड़ों के बीच ट्रेनिंग कराई जाती है, हम पहाड़ों पर काम करते हैं और अपनी उपस्थिति बनाए रखते हैं. 

CDS रावत से यह पूछे जाने पर कि क्या सेना की बढ़ती तैनाती को देखते हुए उत्तरी मोर्चा भी पश्चिमी मोर्चे जितना महत्वपूर्ण हो गया है, उन्होंने कहा कि दोनों मोर्चे देश के लिए प्राथमिकता हैं. उन्होंने कहा कि हमने इस तरह से तैयारी की है कि हमारे जो सैनिक उत्तरी सीमाओं पर तैनात हैं, वह पश्चिमी सीमा पर काम करने में सक्षम हैं, वहीं दूसरी तरफ पश्चिमी सीमा पर तैनात सैनिक, उत्तरी सीमा पर तैनाती के लिए तैयार हैं. उन्होंने माना कि उत्तरी सीमा पर कुछ अतिरिक्त सैन्य बलों की तैनाती की गई है क्योंकि हमने देखा है कि चीनी सेना यहां पर ज्यादा एक्टिव हैं. 

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