
जम्मू-कश्मीर के रीसेटलमेंट एक्ट 1982 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टालने की बात पर सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू- कश्मीर सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप ये कैसे कह सकते हैं कि राज्य में कोई सरकार नहीं है. क्या संविधान में ऐसे हालात का जिक्र है?
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि ऐसा आग्रह क्या इस आधार पर किया जा सकता है कि सरकार के गठन तक सुनवाई टाल दी जाए. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टालने की अर्जी ठुकराते हुए कहा कि वह सुनवाई की तारीख तय करेगा.
जम्मू-कश्मीर के रीसेटलमेंट एक्ट 1982 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. हालांकि जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टालने के लिए लैटर सर्कुलेट किया है. राज्य सरकार ने कहा है कि अभी राज्य में कोई चुनी हुई सरकार नहीं है. हालांकि राज्य सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा है कि यह एक्ट कभी प्रभाव में नहीं आया है और इस संबंध में कोई आवेदन सरकार को नहीं मिला है.
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पैंथर्स पार्टी व अन्य ने यह याचिका दाखिल की है. रीसेटलमेंट एक्ट को साल 1981 में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के समय में बनाया गया था. इसे कांग्रेस ने भी समर्थन दिया था. एक्ट में पाकिस्तान के उन सभी नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में वापस आकर जम्मू-कश्मीर के रीसेटलमेंट एक्ट के तहत संपत्ति पर हक जमाने का अधिकार दिया गया था जो कि राज्य के स्थायी नागरिक थे और 1947 में पाकिस्तान चले गए थे. इस कानून को प्रोफेसर भीम सिंह ने 1982 में कोर्ट में चुनौती दी थी.
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