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This Article is From Oct 15, 2020

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- हेट स्पीच के बारे में तथ्य खोजने का अधिकार दिल्ली विधानसभा को नहीं

दिल्ली दंगों के मामले में दिल्ली विधानसभा के पैनल द्वारा फेसबुक हेड को नोटिस भेजे जाने के मामले में, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति के पास दिल्ली दंगों के दौरान हेट स्पीच के बारे में तथ्य खोजने के लिए कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- हेट स्पीच के बारे में तथ्य खोजने का अधिकार दिल्ली विधानसभा को नहीं
अदालत अब 2 दिसंबर को इस मामले पर सुनवाई करेगी
नई दिल्ली:

दिल्ली दंगों के मामले में दिल्ली विधानसभा (Delhi Legislative Assembly) के पैनल द्वारा फेसबुक हेड को नोटिस भेजे जाने के मामले में, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति के पास दिल्ली दंगों के दौरान हेट स्पीच के बारे में तथ्य खोजने के लिए कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. केंद्र का कहना है कि पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था दिल्ली विधानसभा क्षेत्र के भीतर नहीं है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने विधानसभा समिति के समक्ष फेसबुक अधिकारी की उपस्थिति को रोकने का अपना अंतरिम आदेश जारी रखा है.


अब इस मामले में अदालत 2 दिसंबर को सुनवाई करेगी कि क्या दिल्ली विधानसभा कानून और व्यवस्था के मामलों में एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन कर सकती है या नहीं? दिल्ली दंगों के मामले में दिल्ली विधानसभा के पैनल के नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने फेसबुक इंडिया के सोशल मीडिया हेड अजीत मोहन की याचिका पर सुनवाई की है. इससे पहले अदालत ने अजीत मोहन को बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विधानसभा कमेटी को नोटिस जारी करते हुए एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा था.


इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक सुनवाई हो रही है तब तक फेसबुक पर कोई एक्शन नही लिया जाएगा. बता दें कि फेसबुक इंडिया के सोशल मीडिया हेड ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली विधानसभा द्वारा भेजे गए नोटिस को चुनौती दी है. दरअसल पैनल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को हेट स्पीच नियमों को जानबूझकर लागू नहीं करने के आरोप में यह नोटिस दिया था और आरोपों पर स्पष्टीकरण देने को कहा था. इससे पहले भी पैनल ने फेसबुक इंडिया के प्रमुख को 10 और 18 सितंबर को विधानसभा की स्थायी समिति के समक्ष पेश होने का नोटिस दिया था. याचिका में इन समन के तत्वाधान में दिल्ली विधानसभा की ओर से किसी कठोर कार्रवाई पर रोक की मांग की गई है.

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