कावेरी नदी पर बना बांध
नई दिल्ली:
कावेरी जल विवाद पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि कोर्ट 30 सितंबर के आदेश में संशोधन करे. केंद्र ने कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड के गठन का विरोध किया है. सरकार ने कहा कि यह काम संसद का है. बता दें कि कोर्ट ने 30 सितंबर के अपने आदेश में बोर्ड के गठन का आदेश दिया था. उधर, उच्चतम न्यायालय ने इसी मामले में सुनवाई करते हुए कर्नाटक से कहा कि कर्नाटक कोर्ट के आदेश की अवहेलना बंद करे और सूचित करे कि उसने तमिलनाडु के लिए जल छोड़ा है या नहीं. मंगलवार को दोपहर बाद इस मामले में फिर सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार द्वारा तमिलनाडु को कावेरी का पानी नहीं देने पर सवाल उठाते हुए कहा - हमारे आदेश का पालन करके अपनी साफ मंशा को सामने लाइए. यह बात तब कही गई जब कर्नाटक ने अदालत द्वारा तय की गई 1 अक्टूबर की तारीख के बाद भी पड़ोसी राज्य तमिलनाडु को पानी नहीं दिया. कोर्ट ने कर्नाटक को आदेश दिए थे कि एक अक्टूबर से अगले छह दिन तक तमिलनाडु को पानी दिया जाए.
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर को अपने आदेश में कर्नाटक सरकार को लताड़ते हुए तमिलनाडु के लिए 1 से 6 अक्टूबर तक 6000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया था और कहा था कि ऐसे हालात पैदा मत कीजिए कि कानून का गुस्सा टूट पड़े. कोर्ट के आदेशों का पालन होना ही चाहिए.
इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र को 4 अक्तूबर तक कावेरी मैनेजमैंट बोर्ड का गठन करने के आदेश दिए थे. कोर्ट ने कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुद्दुचेरी को शनिवार तक अपने प्रतिनिधियों के नाम केंद्र को देने को कहा था. बोर्ड टीम ही दौरा कर सुप्रीम कोर्ट को 6 अक्तूबर तक रिपोर्ट देगी.
वहीं तमिलनाडु की ओर से कहा गया है कि हमारे साथ इस मामले में बुरा बर्ताव किया गया है. हम इस केस में कुछ नहीं कहना चाहते हैं. कोर्ट चाहे जो आदेश करे, राज्य उसे मानने को तैयार है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय मंत्री उमा भारती की देखरेख में दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक का ब्योरा भी सुप्रीम कोर्ट में दिया गया था. दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आगे आकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच सुलह कराने की कोशिश के निर्देश दिए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार द्वारा तमिलनाडु को कावेरी का पानी नहीं देने पर सवाल उठाते हुए कहा - हमारे आदेश का पालन करके अपनी साफ मंशा को सामने लाइए. यह बात तब कही गई जब कर्नाटक ने अदालत द्वारा तय की गई 1 अक्टूबर की तारीख के बाद भी पड़ोसी राज्य तमिलनाडु को पानी नहीं दिया. कोर्ट ने कर्नाटक को आदेश दिए थे कि एक अक्टूबर से अगले छह दिन तक तमिलनाडु को पानी दिया जाए.
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर को अपने आदेश में कर्नाटक सरकार को लताड़ते हुए तमिलनाडु के लिए 1 से 6 अक्टूबर तक 6000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया था और कहा था कि ऐसे हालात पैदा मत कीजिए कि कानून का गुस्सा टूट पड़े. कोर्ट के आदेशों का पालन होना ही चाहिए.
इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र को 4 अक्तूबर तक कावेरी मैनेजमैंट बोर्ड का गठन करने के आदेश दिए थे. कोर्ट ने कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुद्दुचेरी को शनिवार तक अपने प्रतिनिधियों के नाम केंद्र को देने को कहा था. बोर्ड टीम ही दौरा कर सुप्रीम कोर्ट को 6 अक्तूबर तक रिपोर्ट देगी.
वहीं तमिलनाडु की ओर से कहा गया है कि हमारे साथ इस मामले में बुरा बर्ताव किया गया है. हम इस केस में कुछ नहीं कहना चाहते हैं. कोर्ट चाहे जो आदेश करे, राज्य उसे मानने को तैयार है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय मंत्री उमा भारती की देखरेख में दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक का ब्योरा भी सुप्रीम कोर्ट में दिया गया था. दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आगे आकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच सुलह कराने की कोशिश के निर्देश दिए थे.
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