नई दिल्ली:
संप्रग सरकार पर ‘अभिमानी और निरंकुश’ होने का आरोप लगाते हुए भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा कि 142 कोयला ब्लॉकों के ‘मनमानापूर्ण और विवेकाधीन’ आवंटन के लिए जिम्मेदारी स्वीकार करना प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का दायित्व बनता है।
कड़ी टिप्पणी करते हुए राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के पद के मर्यादा का आकलन ए राजा जैसे मंत्रियों के लिए अपनाए गए मानकों से कठोर होना चाहिए, जिन्हें विवादास्पद टूजी स्पेक्ट्रम लाइसेंस आवंटन में इस्तीफा देना पड़ा।
कोयला ब्लॉक आवंटन मुद्दे पर भाजपा के किसी भी तरह न झुकने की बात स्पष्ट करते हुए जेटली ने कहा कि केवल सदन में मुद्दे पर चर्चा कराने का सुझाव अमल में लाना ‘भारतीय इतिहास में सबसे बड़े घोटाले पर पर्दा डाल देगा।’
भाजपा द्वारा जारी ‘142 कोल ब्लॉक का आवंटन’ शीषर्क वाले आलेख में जेटली ने कहा है, ‘यह नसीहत दी गई है कि चूंकि प्रधानमंत्री स्वयं कोयला मंत्री थे, तो ऐसे में हमें यह मान लेना चाहिए कि यह फैसला उचित था। भारतीय लोकतंत्र में प्रधानमंत्री का पद एक पवित्र संस्था है। प्रधानमंत्री के पद के मर्यादा का आकलन ए राजा जैसे मंत्रियों के लिए अपनाए गए मानकों से कठोर होना चाहिए।’
कड़ी टिप्पणी करते हुए राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के पद के मर्यादा का आकलन ए राजा जैसे मंत्रियों के लिए अपनाए गए मानकों से कठोर होना चाहिए, जिन्हें विवादास्पद टूजी स्पेक्ट्रम लाइसेंस आवंटन में इस्तीफा देना पड़ा।
कोयला ब्लॉक आवंटन मुद्दे पर भाजपा के किसी भी तरह न झुकने की बात स्पष्ट करते हुए जेटली ने कहा कि केवल सदन में मुद्दे पर चर्चा कराने का सुझाव अमल में लाना ‘भारतीय इतिहास में सबसे बड़े घोटाले पर पर्दा डाल देगा।’
भाजपा द्वारा जारी ‘142 कोल ब्लॉक का आवंटन’ शीषर्क वाले आलेख में जेटली ने कहा है, ‘यह नसीहत दी गई है कि चूंकि प्रधानमंत्री स्वयं कोयला मंत्री थे, तो ऐसे में हमें यह मान लेना चाहिए कि यह फैसला उचित था। भारतीय लोकतंत्र में प्रधानमंत्री का पद एक पवित्र संस्था है। प्रधानमंत्री के पद के मर्यादा का आकलन ए राजा जैसे मंत्रियों के लिए अपनाए गए मानकों से कठोर होना चाहिए।’
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