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स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा बिहार के लोगों की वजह से एम्स में भीड़
एम्स में रोजाना करीब 13 हजार मरीज आते हैं
सबसे ज्यादा दिल्ली, फिर यूपी के मरीज होते हैं
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बिहार के गया से एम्स आए रामबाबू बताते हैं कि बीमार बेटी को दिखाने के लिए यहां 4 दिन से हैं. वहीं एक आंख की रोशनी गंवा चुके मध्य प्रदेश के रीवा का रवि पिछले 18 दिनों से एम्स में इलाज करवा रहा है. उसने बताया कि रीवा में डेढ़ महीने में दो डॉक्टरों को दिखाया, जब सुधार नहीं हुआ तो उम्मीद लिए एम्स आ पहुंचा. राजेंद्र सदा सुपौल में 10 साल तक बेटी का इलाज कराने के बाद यहां पहुंचे हैं. शुरुआत सर्दी खांसी से हुई फिर बीमारी और डॉक्टरों के बीच धरपकड़ का खेल चलने लगा. डॉक्टर बदलते रहे, सालों बाद जब पता चला कि बीमारी दिल की है तो दिखाने दिल्ली आ गए. बताते हैं कि पैसे वहां पानी में गए. कैमरा और मोबाइल देखते ही मानो सब अपनी फरियाद सुनाने को उमड़ पड़े. बिहार की मौजूदा हेल्थ सर्विस के मारे लोगों की कमी नहीं, किस-किस की सुनें. कोई कह रहा था कि बिहार में लाखों खर्च किए, लेकिन डॉक्टर बीमारी तक नहीं पकड़ पाए. दरअसल समझना जरूरी है कि मर्जी नहीं, इन जैसों को मजबूरी एम्स खींच लाती है. हर जगह हाथ लगी नाउम्मीदी इन्हें यहां उम्मीद की रोशनी दिखाती है.
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बिहार से ही सांसद और केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे के कहने का अंदाज कुछ ऐसा रहा जैसे बिहार के मरीज मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने दिल्ली के एम्स आ धमकते हैं. अश्विनी चौबे ने अपने एक भाषण में कहा कि चार-चार, पांच-पांच लोग मामूली बीमारी वाले एक मरीज को लिए एम्स आ जाते हैं. फिर सिफारिश लगवाते हैं, क्या ये ठीक है? उन्होंने यहां तक कहा कि मैंने एम्स के निदेशक को निर्देश दिया है कि कोई ऐसे मरीज अगर ऐसी बीमारी के साथ एम्स आता है जिसका ईलाज वहां मुमकिन है, तो उसे फिर वहीं रेफर कर दीजिए.
दरअसल चौबे जी भूल गए कि जो भीड़ एम्स में धक्के खा रही होती है वो कहती है कि डायबिटिज जैसी बीमारी में बिहार के डॉक्टर ने केस खराब कर दिया और नौबत किडनी पर असर तक आ पड़ी है. वक्त के मारे मरीज और उनके तीमारदार बताते हैं कि एम्स में कम से कम लूट-खसोट तो नहीं है, पैसे बनाने की होड़ नहीं है. वहां तो बीमारी से भी लड़ते हैं और टेस्ट और दवाइयों के नाम पर हो रही कमीशनखोरी से भी मरते हैं. जनता कहती है कि वो दिल्ली देखने नहीं, डॉक्टर से दिखाने और जान बचाने आई है.
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आंकड़ों के मुताबिक एम्स में रोजाना करीब 13 हजार मरीज आते हैं. इसमें सबसे ज्यादा दिल्ली, फिर यूपी, इसके बाद हरियाणा, फिर बिहार, राजस्थान और पंजाब से आने वाले मरीजों का नंबर है.