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MRI-CT की अब जरुरत नहीं, अब मिनटों में बिना चीरा लगाए चलेगा दिमाग की चोट का पता

आईसीएमआर-चिकित्सा उपकरण और निदान मिशन सचिवालय (MDMS), एम्स भोपाल (AIIMS Bhopal), निम्हांस बैंगलोर ( NIMHANS Bengalore) और बायोस्कैन रिसर्च कंपनी (Bioscan Research Company) ने मिलकर सेरोबो को विकसित किया है.

MRI-CT की अब जरुरत नहीं, अब मिनटों में बिना चीरा लगाए चलेगा दिमाग की चोट का पता

भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने मिलकर एक ऐसी डिवाइस का निर्माण किया, जो बिना चीरा लगाए दिमाग के अंदर का रक्ततस्राव का पता लगा लेगा. "सेरोबो" नाम की डिवाइस सिर्फ दो मिनट में मस्तिष्क के भीतर की जांच करके बता देगी. यह एक छोटा, पोर्टेबल और बिना किसी नुकसान के दिमाग की चोट जांचने वाला उपकरण है. इसमें इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी और मशीन लर्निंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो चोट लगने वाले में दिमाग के अंदर रक्तस्राव (Bleeding) या सूजन (Edema) का पता लगा सकता है.

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जांच में 100 प्रतिशत असरदार 

आईसीएमआर-चिकित्सा उपकरण और निदान मिशन सचिवालय (MDMS), एम्स भोपाल (AIIMS Bhopal), निम्हांस बैंगलोर ( NIMHANS Bengalore) और बायोस्कैन रिसर्च कंपनी (Bioscan Research Company) ने मिलकर सेरोबो को विकसित किया है. इस उपकरण को क्लिनिकल ट्रायल, सरकारी मंजूरी और प्रायोगिक जांच में 100 प्रतिशत असरदार पाया गया है. 

सेरेबो कैसे काम करता है?

भारत का यह स्वदेशी उपकरण सेरेबो नियर-इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक पर आधारित है यानी यह मस्तिष्क ऊतक से गुजरने वाले प्रकाश की तरंग दैर्ध्य में होने वाले बदलाव का विश्लेषण करता है. इसमें मशीन लर्निंग एल्गोरिद्म है, जो डेटा पैटर्न को प्रोसेस कर तुरंत बताता है कि दिमाग के अंदर ब्लीडिंग या सूजन है या नहीं. इस उपकरण की खास बात ये है कि इसमें रंग-कोड परिणाम हैं जो जांच के नतीजे हरे, पीले या लाल रंग में बताते हैं जिससे डॉक्टर ही नहीं बल्कि कोई भी स्वास्थ्य कर्मचारी आसानी से समझ सकता है. वहीं, सीटी स्कैन के विपरीत ये बिना रेडिएशन के परिणाम देता है और काफी सस्ता है.

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समय पर चोट की जांच जरुरी 

स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े एक्सपर्ट्स की मानें तो, अक्सर दिमाग के अंदर की चोट के बारे में सही समय पर पता नहीं चल पाता है और कई बार लोग इसे हलकी-फुलकी चोट मानकर नजअंदाज कर देते हैं, जिसके बाद इसके खतरनाक नतीजे सामने आते हैं और कई बार लोगों की मौत भी हो जाती है. दरअसल, सिर पर चोट यानी ट्रामेटिक ब्रेन इंजरी (TBI) एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है, खासकर ग्रामीण इलाकों और उन जगहों पर जहां सीटी (CT) या एमआरआई (MRI) जैसी जांच मशीनें आसानी से उपलब्ध नहीं होतीं हैं. ऐसे में इन जगहों पर यह उपकरण कारगर सबित हो सकता है.

हर महीने 44 प्रतिशत मरीजों की हो रही मौत?

आईसीएमआर के मुताबिक, भारत में प्रतिवर्ष सड़क हादसे या अन्य हादसों में चोटिल होने वालों में से 44% मरीज महीने के भीतर दम तोड़ देते हैं. इसkके पीछे की वजह उनके दिमाग के अंदर की चोट का सही समय पर पता नहीं चल पाना है. वहीं, हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों में मृत्यु का अनुपात 30%–50% तक है. इसके अलावा, दिमाग में सूजन होने पर मौत का खतरा बढ़ जाता है या उसकी लंबे समय तक स्थिति खराब रहती है.

कहां हो सकता उपकरण का प्रयोग 

इस डिवाइस को एम्बुलेंस, ट्रॉमा सेंटर, गाँवों के अस्पताल, आपदा राहत टीमों, खेल के आयोजनों, दुनिया भर में आपातकालीन और सैन्य स्वास्थ्य सेवाओं में इस्तेमाल किया जा सकता है.

चिकित्सा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा भारत

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉक्टर राजीव बहल ने बताया, " यह दुनिया का सबसे अनोखा उपकरण पूरी तरीके से स्वदेशी है, जो कुछ ही मिनट में दिमाग के अंदर का आकलन कर सकता है. इस तरह की योजनाओं ने देश को स्वास्थ्य तकनीक में आयात-निर्भरता से मुक्त कर आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ा रहा है." उन्होंने कहा कि आईसीएमआर अब अगली पीढ़ी के उपकरण जैसे एआई-आधारित कैंसर डायग्नोस्टिक्स, पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड सिस्टम और उन्नत इम्प्लांटेबल कार्डियक डिवाइस पर काम कर रहा है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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