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This Article is From Apr 13, 2020

कोरोना वायरस का असर: सामाजिक सुरक्षा कोड को लेकर जल्दबाजी नहीं दिखाएगी सरकार

कोरोनावायरस का प्रकोप और लॉकडाउन के इस दौर को देखने के बाद सरकार अब श्रम संहिता कानून की तीन संहिताओं के लिए अध्यादेश के रास्ते पर चलने की तैयारी कर रही है.

कोरोना वायरस का असर: सामाजिक सुरक्षा कोड को लेकर जल्दबाजी नहीं दिखाएगी सरकार
कोरोना वायरस और लॉकडाउन का असर अर्थव्यवस्था पर भी आएगा नजर
नई दिल्ली:

कोरोनावायरस का प्रकोप और लॉकडाउन के इस दौर को देखने के बाद सरकार अब श्रम संहिता कानून की तीन संहिताओं के लिए अध्यादेश के रास्ते पर चलने की तैयारी कर रही है. लेबर कोड को पहले ही सदन में पेश किया जा चुका है. इनमें से वेतन संहिता को पास किया जा चुका है, जिसमें न्यूनतम मजदूरी, बोनस और समान पारिश्रमिक जैसे कानूनों को एक साथ रखा गया है. एक अध्यादेश, अन्य तीन को प्रभावित करेगा. जो तीन श्रम संहिताएं पेंडिंग हैं उनमें से एक सामाजिक सुरक्षा कोड है, जिसमें भविष्य निधि, बीमा, मैटरनिटी बेनिफिट जैसी सुविधाएं शामिल हैं. इसके अलावा दूसरा औद्योगिक संबंध कोड है जिसके अंतर्गत औद्योगिक विवाद, ट्रेड यूनियन जैसे कानून एक साथ हो जाएंगे और तीसरा है व्यावसायिक सुरक्षा, जिसके अंतर्गत कल्याण कानून जैसे नियम एक हो जाएंगे.   

बता दें कि पिछले साल जून के महीने में सरकार ने तय किया था कि सभी 44 श्रम कानूनों को चार संहिताओं में बदल दिया जाएगा. ताकि विदेशी कंपनियां भारत के साथ बिजनेस कर सकें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सके. अब कोरोनावायरस और लॉकडाउन के इस दौर में सरकार के इस प्रयास पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है. कोरोना का असर सिर्फ भारत पर नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर दिखाई देगा. बड़े और विकसित देशों की कमर टूटने के आसार नजर आने लगे हैं. विश्व बैंक ने भी भारत की विकास दर में गिरावट की आशंका जताई है. 

पीएम मोदी ने 10 से ज्यादा राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में इस बात के संकेत दे दिए थे कि लॉकडाउन के अगले चरण में कुछ सेक्टर्स को इस तालाबंदी से बाहर रखा जाएगा. पीएम मोदी ने कहा था कि लॉकडाउन के अगले चरण में जीवन और अर्थव्यवस्था की जरूरत होगी.  

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