एयर इंडिया के इन चार पायलटों ने विमान को सुरक्षित लैंड कराया
नई दिल्ली:
'लैंडिंग के लिए हमारे कई उपकरणों ने काम करना बंद कर दिया है... ईंधन भी कम है' यह बात एयर इंडिया बोइंग 777 विमान के कैप्टन रुस्तम पालिया ने हवाई यातायात नियंत्रक (एटीसी) से बार-बार विमान में आ रही तकनीकी खराबी के वक्त कही. दरअसल, 11 सितंबर 2018 को दिल्ली से न्यूयॉर्क जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट- बोइंग 777 AI-101 में क्रू समेत 370 लोग सवार थे, मगर 15 घंटे की नॉन स्टॉप उड़ान के बाद अचानक एयर इंडिया 101 के कॉकपिट में कई सिस्टम ने काम करना बंद कर दिया. इसके बाद पायलटों को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें, मौत सामने थी, मगर उन्होंने सूझबूझ का परिचय दिया और वे नेवार्क में विमान को सुरक्षित लैंड कराने में सफल रहे.
दरअसल, एयर इंडिया की इस फ्लाइट के तीन में से दो रेडियो ऑल्टीमीटर (जमनी से विमान की ऊंचाई का सटीक अनुमान लगाने वाला यंत्र) ने काम करना बंद कर दिया. कैप्टन पालिया कहते हैं कि जो एक शेष रेडियो ऑल्टीमीटर बचा था वह गड़बड़ महसूस होने लगा. इसके परिणामस्वरूप जेट के इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) भी खराब हो गया, जो रेडियो अल्टीमीटर से महत्वपूर्ण डेटा प्राप्त करता है. आईएलएस किसी भी मौसम की स्थिति, दिन और रात में उतरने के दौरान जेट को रनवे के साथ पायलट रेखांकित करने में मदद करता है.
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बोइंग 777 में अधिकारी विकास और डीएस भट्टी के साथ सवार दूसरे वरिष्ठ कमांडर कप्तान सुशांत सिंह कहते हैं, "विमान को लैंड कराने में हमारी मदद करने के लिए कोई भी साधन हमारे पास नहीं था." चार लोगों के चालक दल ने अल्ट्रा-लांग हाउल फ्लाइट के माध्यम से अपनी फ्लाइंग रिसपॉन्सिबिलिटी को साझा किया.
एयर इंडिया का बोइंग 777-300 विमान में अचानक तकनीकी खामियां आने के बाद पायलट विमान को उतारने के लिये जगह तलाश रहे थे, उस दौरान उसे एटीएस से बात की. उसने बताया कि विमान के कई उपकरण काम नहीं कर रहे हैं और ईंधन भी कम हैं. इस पर एटीसी ने अपने एक संदेश में कहा, "मैं कुछ विचार करके आपके पास एक सेकेंड में आता हूं."
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कैप्टन पालिया ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल से रेडिया के माध्यम से न्यूयॉर्क में कहा कि हमारे पास मात्र एक ही अल्टीमीटर बचा है, हमारा टेरेन कोलिजन एंड एवायडेंस सिस्टम भी खराब हो गया है. उन्होंने बताया कि ऑटो-लैंड, कोई विंडशीयर सिस्टम, ऑटो स्पीड ब्रेक और सहायक बिजली इकाई कोई भी काम नहीं कर रहे हैं.
विमान के कॉकपिट में कई विफलताओं ने एयर इंडिया की फ्लाइट AI-101 के पायलटों को जल्दी कुछ ऐसा सोचने पर मजबूर कर दिया, कि आखिर कैसे विमान को और कहां लैंड कराया जाए. जब न्यूॉयॉर्क में उन्हें लैंड करने की इजाजत नहीं मिली, तो वे अब विकल्प के तौर पर दूसरे एयरपोर्ट पर फोकस करने लगे. मगर यह जितना कहने में आसान लग रहा है, उतना करने में नहीं.
सुशांत सिंह कहते हैं कि 15 घंटे तक लगातार उड़ान भरने के बाद भी हम ऐसे मौसम में उड़ान भर रहे थे, जहां 200 फीट तक बादल ही बादल थे. मगर अब कैप्टन पालिया ने अपना दिमाग लगाया.
अब तक, कप्तान पालिया ने अपना मन बना लिया था कि खराब मौमस की स्थिति के बावजूद हम नेवार्क में विमान को लैंड करने का जोखिम उठाएंगे. क्योंकि अल्बानी, बोस्टन या ब्रैडली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लैंड करने के लिए और वहां तक उड़ान भरने के लिए पर्याप्त ईंधन नहीं था.
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मगर एक बार फिर से यहां एक नई समस्या खड़ी हो गई. कप्तान पालिया कहते हैं कि नेवार्क में विमान को लैंड कराने के प्रयास में हमें ऐसा महसूस हो रहा था कि हम रनवे पर स्थिर तरीके से नहीं पहुंच रहे हैं. जिस पर हम भरोसा कर रहे थे कि वर्टिकल नेविगेशन हमें सही जगह पर ले जाएगा, मगर उसमें भी खराबी आ गई थी. जब हम नेवार्क पहुंचे तब हम काफी ऊंचाई पर थे.
आसमान में बादल छाने की वजह से पायलट नेवार्क रनवे को स्पॉट नहीं कर पा रहे थे. कप्तान सुशांत सिंह ने कहा कि वहां विजिबिलिटी जीरो थी. मगर हमने बगैर किसी सिस्टम के मैनुअली ही विमान को लैंड कराने का फैसला लिया और विमान सही पाथ पर लैंड हो गया.
उन्होंने आगे कहा कि "आखिर में मैंने केवल 1.5 फीट दूर केवल 400 फीट की ऊंचाई पर रनवे दृष्टिकोण रोशनी देखी. हम उस गति से उड़ रहे थे, जो इस दूरी को महज सेकंड में पूरी कर सकते थे.
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यह एयर इंडिया 101 के लिए मेक या ब्रेक का पल था. कप्तान पलिया को इस पल 300 किलोमीटर प्रति घंटे के करीब उड़ान भरना पड़ा. उन्होंने कहा कि "मुझे किसी भी स्वचालित ऊंचाई को पढ़े बिना 777 को सही स्नैप करना और उतरना पड़ा. मेरे पास सटीक ऊंचाई जानने का कोई साधन भी नहीं था.
और अंत में नेवार्क में पायलट सही सलामत बोइंग 777 को लैंड करने में सफल रहे. हैरान करने वाली बात है कि हवाई जहाज में सवार यात्रियों को पता भी नहीं चला होगा कि कॉकपिट में पायलट किस परिस्थिति से गुजर रहे थे. हालांकि, एयर इंडिया विमान की जांच की जा रही है. इस तकनीकी मुद्दे को एअर इंडिया के पायलटों द्वारा बेहतरीन तरीके से सुलझाने के लिए उनकी तारीफ भी की गई.
दरअसल, एयर इंडिया की इस फ्लाइट के तीन में से दो रेडियो ऑल्टीमीटर (जमनी से विमान की ऊंचाई का सटीक अनुमान लगाने वाला यंत्र) ने काम करना बंद कर दिया. कैप्टन पालिया कहते हैं कि जो एक शेष रेडियो ऑल्टीमीटर बचा था वह गड़बड़ महसूस होने लगा. इसके परिणामस्वरूप जेट के इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) भी खराब हो गया, जो रेडियो अल्टीमीटर से महत्वपूर्ण डेटा प्राप्त करता है. आईएलएस किसी भी मौसम की स्थिति, दिन और रात में उतरने के दौरान जेट को रनवे के साथ पायलट रेखांकित करने में मदद करता है.
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बोइंग 777 में अधिकारी विकास और डीएस भट्टी के साथ सवार दूसरे वरिष्ठ कमांडर कप्तान सुशांत सिंह कहते हैं, "विमान को लैंड कराने में हमारी मदद करने के लिए कोई भी साधन हमारे पास नहीं था." चार लोगों के चालक दल ने अल्ट्रा-लांग हाउल फ्लाइट के माध्यम से अपनी फ्लाइंग रिसपॉन्सिबिलिटी को साझा किया.
एयर इंडिया का बोइंग 777-300 विमान में अचानक तकनीकी खामियां आने के बाद पायलट विमान को उतारने के लिये जगह तलाश रहे थे, उस दौरान उसे एटीएस से बात की. उसने बताया कि विमान के कई उपकरण काम नहीं कर रहे हैं और ईंधन भी कम हैं. इस पर एटीसी ने अपने एक संदेश में कहा, "मैं कुछ विचार करके आपके पास एक सेकेंड में आता हूं."
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कैप्टन पालिया ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल से रेडिया के माध्यम से न्यूयॉर्क में कहा कि हमारे पास मात्र एक ही अल्टीमीटर बचा है, हमारा टेरेन कोलिजन एंड एवायडेंस सिस्टम भी खराब हो गया है. उन्होंने बताया कि ऑटो-लैंड, कोई विंडशीयर सिस्टम, ऑटो स्पीड ब्रेक और सहायक बिजली इकाई कोई भी काम नहीं कर रहे हैं.
विमान के कॉकपिट में कई विफलताओं ने एयर इंडिया की फ्लाइट AI-101 के पायलटों को जल्दी कुछ ऐसा सोचने पर मजबूर कर दिया, कि आखिर कैसे विमान को और कहां लैंड कराया जाए. जब न्यूॉयॉर्क में उन्हें लैंड करने की इजाजत नहीं मिली, तो वे अब विकल्प के तौर पर दूसरे एयरपोर्ट पर फोकस करने लगे. मगर यह जितना कहने में आसान लग रहा है, उतना करने में नहीं.
सुशांत सिंह कहते हैं कि 15 घंटे तक लगातार उड़ान भरने के बाद भी हम ऐसे मौसम में उड़ान भर रहे थे, जहां 200 फीट तक बादल ही बादल थे. मगर अब कैप्टन पालिया ने अपना दिमाग लगाया.
अब तक, कप्तान पालिया ने अपना मन बना लिया था कि खराब मौमस की स्थिति के बावजूद हम नेवार्क में विमान को लैंड करने का जोखिम उठाएंगे. क्योंकि अल्बानी, बोस्टन या ब्रैडली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लैंड करने के लिए और वहां तक उड़ान भरने के लिए पर्याप्त ईंधन नहीं था.
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मगर एक बार फिर से यहां एक नई समस्या खड़ी हो गई. कप्तान पालिया कहते हैं कि नेवार्क में विमान को लैंड कराने के प्रयास में हमें ऐसा महसूस हो रहा था कि हम रनवे पर स्थिर तरीके से नहीं पहुंच रहे हैं. जिस पर हम भरोसा कर रहे थे कि वर्टिकल नेविगेशन हमें सही जगह पर ले जाएगा, मगर उसमें भी खराबी आ गई थी. जब हम नेवार्क पहुंचे तब हम काफी ऊंचाई पर थे.
आसमान में बादल छाने की वजह से पायलट नेवार्क रनवे को स्पॉट नहीं कर पा रहे थे. कप्तान सुशांत सिंह ने कहा कि वहां विजिबिलिटी जीरो थी. मगर हमने बगैर किसी सिस्टम के मैनुअली ही विमान को लैंड कराने का फैसला लिया और विमान सही पाथ पर लैंड हो गया.
उन्होंने आगे कहा कि "आखिर में मैंने केवल 1.5 फीट दूर केवल 400 फीट की ऊंचाई पर रनवे दृष्टिकोण रोशनी देखी. हम उस गति से उड़ रहे थे, जो इस दूरी को महज सेकंड में पूरी कर सकते थे.
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यह एयर इंडिया 101 के लिए मेक या ब्रेक का पल था. कप्तान पलिया को इस पल 300 किलोमीटर प्रति घंटे के करीब उड़ान भरना पड़ा. उन्होंने कहा कि "मुझे किसी भी स्वचालित ऊंचाई को पढ़े बिना 777 को सही स्नैप करना और उतरना पड़ा. मेरे पास सटीक ऊंचाई जानने का कोई साधन भी नहीं था.
और अंत में नेवार्क में पायलट सही सलामत बोइंग 777 को लैंड करने में सफल रहे. हैरान करने वाली बात है कि हवाई जहाज में सवार यात्रियों को पता भी नहीं चला होगा कि कॉकपिट में पायलट किस परिस्थिति से गुजर रहे थे. हालांकि, एयर इंडिया विमान की जांच की जा रही है. इस तकनीकी मुद्दे को एअर इंडिया के पायलटों द्वारा बेहतरीन तरीके से सुलझाने के लिए उनकी तारीफ भी की गई.
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