विज्ञापन

World Trauma Day 2025: ट्रॉमा से पहले सावधानी, बाद में सहारा, यही है विश्व आघात दिवस का संदेश

World Trauma Day 2025 : विश्व आघात दिवस याद दिलाने वाला दिन है-कि हम सभी को ज़िंदगी की अनिश्चितताओं के लिए तैयार रहना चाहिए. हादसे कभी भी, कहीं भी हो सकते हैं.

World Trauma Day 2025: ट्रॉमा से पहले सावधानी, बाद में सहारा, यही है विश्व आघात दिवस का संदेश
World Trauma Day का जानें महत्व.

World Trauma Day 2025 : हर साल 17 अक्टूबर को विश्व आघात दिवस मनाया जाता है. इस दिन का मकसद लोगों को यह समझाना है कि ज़िंदगी में होने वाले अचानक हादसे सिर्फ पलभर में सब कुछ बदल सकते हैं. चाहे वह सड़क पर हुआ एक्सीडेंट हो, घरेलू हिंसा हो या कोई प्राकृतिक विपदा-ऐसी घटनाएं न सिर्फ शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि मन पर भी गहरा असर छोड़ती हैं. आज के समय में, जब जीवन बहुत तेज़ी से बदल रहा है और जोखिम हर जगह मौजूद हैं, तो आघात यानी Trauma के बारे में जानना और सतर्क रहना पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गया है.

विश्व आघात दिवस (World Trauma Day)

क्यों मनाते हैं ये दिन?

विश्व आघात दिवस का मकसद केवल जानकारी देना नहीं है, बल्कि समाज को यह भी समझाना है कि समय रहते अगर सावधानी बरती जाए, तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती है. इस दिन खासतौर पर कुछ बातों पर ज़ोर दिया जाता है:

-लोगों को समझाना कि आघात क्या होता है, इसके कारण क्या हो सकते हैं और इसे कैसे रोका जा सकता है.
-हर इंसान तक सही इलाज पहुंचाना, ताकि अगर किसी को आघात हो जाए, तो वह समय पर इलाज पा सके.
-पीड़ितों की मदद करना, उन्हें मानसिक और भावनात्मक सहारा देना.
-ऐसे कदम उठाना, जिससे भविष्य में हादसों की संख्या कम हो और ज़िंदगियां बचाई जा सकें.
-समुदाय में सहयोग बढ़ाना, ताकि सभी मिलकर एक सुरक्षित माहौल बना सकें.

ये भी पढ़ें- हर रोज सुबह खाली पेट कर लीजिए करी पत्तों का सेवन, उसके बाद जो होगा वो आप सोच भी नहीं सकते

ट्रॉमा के मुख्य कारण

1. दुर्घटनाएं - सड़क पर हुए एक्सीडेंट, कहीं से गिरना या काम करते हुए चोट लगना.
2. हिंसा - किसी का शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक तौर पर शोषण होना.
3. प्राकृतिक आपदाएं - जैसे भूकंप, बाढ़ या तूफान जो अचानक जान-माल का नुकसान कर देते हैं.
4. निजी हानि - किसी अपने की मौत या जीवन में आया बड़ा बदलाव भी मन को झकझोर सकता है.

कैसे पहचानें आघात के लक्षण?

आघात का असर हर व्यक्ति पर अलग-अलग तरह से होता है. कुछ लोगों में इसके शारीरिक संकेत होते हैं, जैसे शरीर में लगातार दर्द, थकान या घाव. वहीं कुछ लोगों में मानसिक और भावनात्मक लक्षण दिखाई देते हैं-जैसे डर, चिंता, गुस्सा, नींद न आना, या समाज से दूरी बना लेना. अगर किसी में ये बदलाव नज़र आएं, तो उसे अकेला न छोड़ें. उसकी मदद करें या किसी विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दें.

क्यों ज़रूरी है यह जागरूकता?

आघात से जुड़े मामलों में सबसे अहम होता है समय पर मदद मिलना. कई बार लोग यह समझ ही नहीं पाते कि उन्हें आघात हुआ है या उन्हें मदद की ज़रूरत है. अगर समाज में जागरूकता होगी, तो हादसों के बाद लोग शर्म या डर के बजाय इलाज की तरफ बढ़ेंगे.

ऑफिशियल डेट

हर साल 17 अक्टूबर को विश्व आघात दिवस मनाया जाता है.

Watch Video: कैंसर क्यों होता है? कैसे ठीक होगा? कितने समय में पूरी तरह स्वस्थ हो सकते हैं?

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com