
Hepatitis Day: साल 2022 में दुनियाभर में हेपेटाइटिस बी और सी जैसी वायरल बीमारियों से करीब 13 लाख लोगों की मौत हुई. यानी हर दिन लगभग 3500 मौतें सिर्फ लिवर से जुड़ी इन दो बीमारियों की वजह से हो रही थीं. इस वक्त करीब 20 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी के साथ जी रहे हैं, जबकि 5 करोड़ लोग हेपेटाइटिस सी से जूझ रहे हैं. हर दिन 6000 से ज्यादा नए केस सामने आ रहे हैं, जो किसी न किसी लिवर डिजीज से जुड़े होते हैं.
अब भारत की बात करें तो साल 2023 में देश में लिवर से जुड़ी बीमारियों के चलते करीब 2.69 लाख मौतें दर्ज की गईं. यानी हर दिन औसतन 713 लोग भारत में लिवर की बीमारी के कारण जान गंवा रहे हैं. बावजूद इसके, लिवर की सेहत को लेकर चर्चा बेहद कम होती है.
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लिवर करता है 500 से ज्यादा काम
डॉक्टर सरीन ने बताया कि लिवर हमारे शरीर का सबसे बड़ा इंटरनल ऑर्गन है, जो करीब 500 से ज्यादा जरूरी काम करता है. खाने को पचाने से लेकर एनर्जी स्टोर करने, कोलेस्ट्रॉल और शुगर को बैलेंस करने, आयरन को संभालने, इम्युनिटी बनाने और यहां तक कि चेहरे की चमक तक लिवर ही तय करता है.
डॉ. सरीन ने बताया कि लिवर का काम एक कंडक्टर की तरह है, जो शरीर के हर बड़े ऑर्गन जैसे हार्ट, ब्रेन, किडनी और बोन तक से जुड़ा होता है. अगर लिवर हेल्दी नहीं है, तो बाकी अंगों पर भी असर पड़ता है. फैट जमा होने लगे तो दिमाग तक पर असर दिख सकता है. लिवर को इसलिए ही 'जिगर' कहा जाता है.
डॉ. सरीन ने हेपेटाइटिस बी को एक साइलेंट किलर बताया. उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामलों में मरीज को 25-30 साल तक कोई लक्षण महसूस नहीं होते. खास बात ये है कि ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं होता कि उन्हें हेपेटाइटिस बी है. दुनिया में जहां 260 मिलियन लोग इस इंफेक्शन के साथ जी रहे हैं, वहीं इनमें से सिर्फ 13 प्रतिशत को ही अपनी बीमारी का पता है. भारत में तो ये आंकड़ा सिर्फ 2.4 प्रतिशत तक सीमित है.
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फैटी लिवर से अब बच्चे भी अछूते नहीं:
उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस बी सबसे ज्यादा मां से बच्चे में ट्रांसफर होता है. अगर बच्चे को जन्म के 24 घंटे के अंदर वैक्सीन दे दी जाए और तय समय पर बाकी तीन डोज (6, 10 और 14 हफ्ते पर) भी दी जाएं तो उसे जिंदगीभर इस इंफेक्शन से बचाया जा सकता है. वैक्सीनेशन के बावजूद एंटीबॉडी बनी या नहीं, इसकी जांच भी जरूरी है.
इसके अलावा हेपेटाइटिस बी नीडल, रेजर, टैटू, दांतों का इलाज या ब्लड ट्रांसफ्यूजन से भी फैल सकता है. खासकर उन लोगों को अपना टेस्ट जरूर कराना चाहिए जिनके परिवार में किसी को हेपेटाइटिस बी है, जिन्हें कभी ब्लड चढ़ाया गया है, जो डायलिसिस पर हैं या बार-बार इंजेक्शन लेते हैं.
महंगा नहीं है इसका इलाज
डॉ. सरीन ने कहा कि हेपेटाइटिस बी को कंट्रोल किया जा सकता है. भारत में इसकी जेनेरिक दवाएं बहुत सस्ती और असरदार हैं. हालांकि ये वायरस पूरी तरह खत्म सिर्फ 5 प्रतिशत मामलों में हो पाता है. लेकिन, अगर सही समय पर इलाज शुरू हो जाए तो मरीज कैंसर और सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों से बच सकता है.
उन्होंने बताया कि सरकार का नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम 2018 से चल रहा है, जिसमें टेस्टिंग, डीएनए टेस्ट और दवाएं तक फ्री में मिलती हैं. लेकिन, जानकारी की कमी और स्टिग्मा की वजह से लोग टेस्ट कराने से बचते हैं.
एक और चिंता की बात है फैटी लिवर के बढ़ते केस. डॉ. सरीन के मुताबिक भारत में 38 प्रतिशत लोगों को नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर है. यहां तक कि बच्चों में भी अल्ट्रासाउंड में फैटी लिवर आना आम बात हो गई है. इसका बड़ा कारण है वजन का बढ़ना और अनहेल्दी लाइफस्टाइल. उन्होंने एक सिंपल फार्मूला बताया– अगर आपकी हाइट 160 सेंटीमीटर है, तो आपका आदर्श वजन 60 किलो होना चाहिए. महिलाओं के लिए हाइट में से 105 घटाकर वजन तय किया जा सकता है.
किन लोगों को है ज्यादा खतरा?
अगर किसी के परिवार में डायबिटीज, हार्ट डिजीज, कोलेस्ट्रॉल या कैंसर का इतिहास रहा है तो उन्हें अपना वजन 5 किलो और कम रखना चाहिए. लिवर शरीर का चार्टर्ड अकाउंटेंट है, जो एक्स्ट्रा कैलोरी को स्टोर करता है और बाद में फैट में बदल देता है. इसलिए वजन पर कंट्रोल सबसे जरूरी है.
अंत में डॉ. सरीन ने कहा कि हेपेटाइटिस डे पर हर किसी को ये संकल्प लेना चाहिए कि वो अपने बच्चों को हेपेटाइटिस बी का वैक्सीन दिलवाएंगे और खुद भी अपना टेस्ट और एंटीबॉडी चेक जरूर कराएंगे. ताकि लिवर हेल्दी रहे और जिंदगी लंबे वक्त तक खुशहाल बनी रहे.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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