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बुजुर्ग हैं घर की नींव, World Elders Day 2025 पर जानिए क्यों ज़रूरी है उनका साथ और सम्मान

World Elders Day 2025: वृद्ध लोग समाज की वो नींव हैं, जिनके अनुभव से हम सीखते हैं और जिनकी परछाईं में हमारा बचपन और आज का जीवन बीता है. World Elders Day एक मौका है उनके चेहरे पर मुस्कान लाने का.

बुजुर्ग हैं घर की नींव, World Elders Day 2025 पर जानिए क्यों ज़रूरी है उनका साथ और सम्मान
World Elders Day के बारे में जानें.

World Elders Day 2025: हर साल 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया जाता है. यह दिन समाज में बुजुर्गों की भूमिका को याद करने, उन्हें सम्मान देने और उनकी समस्याओं को समझने का एक मौका होता है. उम्र बढ़ने के साथ इंसान का शरीर तो कमजोर होता है, लेकिन उसका अनुभव, सोच और समझ और गहरी हो जाती है. ऐसे में यह दिन हमें याद दिलाता है कि बुजुर्ग सिर्फ हमारे परिवार के सदस्य नहीं, बल्कि समाज का वह आधार हैं जिन पर आज की पीढ़ी खड़ी है.

इस दिन की शुरुआत कैसे हुई?

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1990 में 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में घोषित किया था. इसका मकसद था - दुनिया भर के लोगों को यह बताना कि बुजुर्गों की जिंदगी में सम्मान, सुविधा और सुरक्षा कितनी जरूरी है. साथ ही उन्हें किसी बोझ की तरह नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि समाज की एक अहम ज़रूरत के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए.

भारतीय समाज और बुजुर्ग

भारत में बुजुर्गों को हमेशा से बहुत मान मिला है. यहां दादी-नानी, बाबा-दादा को घर की रीढ़ माना जाता है. उनके आशीर्वाद को हर काम की शुरुआत में जरूरी माना जाता है. लेकिन आजकल समाज में कुछ बदलाव ऐसे भी हुए हैं जहां बुजुर्गों को अकेलापन, अनदेखी या अपमान का सामना करना पड़ता है. कई बार बच्चों की व्यस्त जिंदगी और सोच के बदलाव की वजह से बुजुर्ग उपेक्षा के शिकार हो जाते हैं.

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इस दिन का महत्व?

इस मौके पर देश और दुनिया में कई कार्यक्रम होते हैं. स्कूल, कॉलेज, सामाजिक संगठन, अस्पताल और सरकारी संस्थाएं इस दिन को खास बनाने की कोशिश करती हैं. बुजुर्गों के लिए हेल्थ चेकअप कैंप, सम्मान समारोह, मनोरंजन कार्यक्रम और साथ में समय बिताने की पहल की जाती है. इन गतिविधियों से बुजुर्गों को लगता है कि वे अब भी समाज का ज़रूरी हिस्सा हैं.

क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस?

-सम्मान का एहसास: बुजुर्गों को यह महसूस कराना कि उनका अनुभव और योगदान आज भी अहम है.
-समस्याओं पर ध्यान: अकेलापन, स्वास्थ्य संबंधी परेशानी, आर्थिक कमी जैसी दिक्कतों को पहचानना और हल देना.
-अधिकारों की सुरक्षा: उनके कानूनी और सामाजिक अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ाना.
-मनोबल बढ़ाना: उनके साथ समय बिताकर उन्हें खुश और संतुलित बनाए रखना.

ऑफिशियल डेट

हर साल 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया जाता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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