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एक्सपर्ट से जानें एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी कौन सा इलाज है बेहतर?

Heart Disease: डॉ. त्रेहान ने कहा कि इलाज के लिए कब कौन सा मेथड अपनाना है, ये ब्लॉकेज पर निर्भर करता है. जैसे अगर मरीज की आर्टरी में ब्लॉकेज हो गए हैं लेकिन 50% से कम है तो हमारे पास उन्हें रिवर्स करने का मौका होता है.

एक्सपर्ट से जानें एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी कौन सा इलाज है बेहतर?
Heart Disease: डायबिटीज पेशेंट के लिए डॉक्टर की सलाह.

हार्ट डिजीज (heart disease) के इलाज के लिए आमतौर पर एंजिओप्लास्टी (Angioplasty) या फिर बाईपास सर्जरी (Bypass surgery) कराने की सलाह दी जाती है. लेकिन कब कौन सा विकल्प चुनना सही होता है और गलत विकल्प चुनने के क्या परिणाम हो सकते हैं, ये जानने के लिए NDTV ने बात की देश के जाने माने कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ. नरेश त्रेहान (renowned cardiovascular and cardiothoracic surgeon) से, चलिए जानते हैं कि उन्होंने इस विषय पर क्या कहा.

हार्ट डिजीज के ट्रीटमेंट के लिए कब कौन सा मेथड अपनाना चाहिए-

डॉ. त्रेहान ने कहा कि इलाज के लिए कब कौन सा मेथड अपनाना है, ये ब्लॉकेज पर निर्भर करता है. जैसे अगर मरीज की आर्टरी में ब्लॉकेज हो गए हैं लेकिन 50% से कम है तो हमारे पास उन्हें रिवर्स करने का मौका होता है. ऐसे में हम मरीज को लाइफ स्टाइल चेंज करने के लिए कहते हैं. हम उन्हें एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं और साथ में स्ट्रेस रिडक्शन मेडिसिन देकर ब्लॉकेज को रिड्यूस और रिवर्स करने की कोशिश करते हैं.

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जब ये ब्लॉकेज 75% को क्रॉस कर जाते, तब हार्ट पर ज्यादा प्रेशर की वजह से तेजी से कोई मूवमेंट करने या भार उठाकर चलने में दिक्कत होने लगती है, क्योंकि ब्लड फ्लो ब्लॉकेज की वजह से कम हो जाता है.

तब हमें देखना होता है कि कितने ब्लॉकेज हैं और कितने मल्टीपल ब्लॉकेज एक ही आर्टरी में है. अगर आर्टरी में एक दो क्रिटिकल ब्लॉकेज होते हैं तो स्टंट से बेस्ट रिजल्ट मिलेगा.
लेकिन अगर सेम आर्टरी में मल्टीपल ब्लॉकेज आ गए हैं और डिफ्यूज डिजीज हो गई तो ऐसे में बायपास करना ज्यादा अच्छा होता है, क्योंकि ऐसे में स्टेंट के बंद होने के चांस बहुत बढ़ जाते हैं. जितना लंबा स्टेंट होगा और जितना आर्टरी की शुरुआत में होगा उतना ही उसका बंद होने का खतरा होगा.

बाईपास से डरने की जरूरत नहीं-
डॉ त्रेहान ने कहा लोग सर्जरी का नाम सुनकर सहम जाते हैं इसलिए बाईपास कराने से डरते हैं. लेकिन आज टेक्नोलॉजी काफी एडवांस हो गई है. आज से 10 साल 15 साल पहले बाईपास के लिए जो चीरा लगाते थे आज उसका बस टू थर्ड लगाते हैं. आज के समय में हार्ट लंग मशीन भी यूज नहीं करते जिसकी वजह से बॉडी के ऊपर स्ट्रेस अब आधे से भी कम हो गया. उन्होंने कहा कि नई टेक्नोलॉजी के चलते रिकवरी डबल फास्ट हो गई और दर्द नहीं होता है. आजकल हम मिनिमल इनवेसिव सर्जरी (MIS) के मामलों में छोटा सा चीरा लगाकर ही बायपास कर देते हैं, जिससे रिकवरी और फास्ट हो जाती है. अब तो रोबोटिक का भी इस्तेमाल शुरू हो चुका है.

इसलिए पेशेंट को घबराना नहीं चाहिए, अगर पता है कि बाईपास की जरूरत है, फिर भी डर कि वजह से जबरदस्ती स्टेंट लगवा लेने से नुकसान होगा. क्योंकि इससे एक तो आपका हार्ट डैमेज होता जाएगा और जितना हार्ट वीक होगा उतना ही ज्यादा आपकी लाइफ को रिस्क होगा.

डायबिटीज पेशेंट को डॉक्टर की सलाह
डॉ. त्रेहान ने डायबिटीज के मरीजों को वॉर्निंग देते हुए कहा कि अपना हार्ट का इकोकार्डियोग्राम और ट्रेड मिल टेस्ट (TMT) नियमित तौर पर कराएं.  उन्होंने बताया कि दरअसल डायबिटीज के मरीजों को पता नहीं लगता कि उन्हें चेस्ट पेन हो रहा है, क्योंकि जिस नर्व्स में चेस्ट पेन होता है वो डेड हो जाती हैं. तो इसलिए उनको शुरुआत में पता ही नहीं लगेगा. इसलिए उन्हें बहुत देर से पता चलता है जब उनकी सांस फूलने लगती और हार्ट इतना डैमेज हो चुका होगा कि उसकी पंपिंग 65%  से 25% पर आ चुकी होती है. मैं अक्सर हॉस्पिटल में ऐसे मामले देखता हूं इसलिए मरीज के साथ-साथ डॉक्टर्स से भी यही कहता हूं कि डायबिटीज पेशेंट के ये दो टेस्ट रेगुलर कराते रहो. दरअसल डायबिटीज पेशेंट में हार्ट डिजीज और हार्ट फेलियर होने का खतरा सामान्य लोगों से ज्यादा होता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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