Types of Diabetes: बदलती लाइफस्टाइल और खानपान की आदतों के बीच इन दिनों डायबिटीज जैसी बीमारी आम होती जा रही है. डायबिटीज को शुगर की बीमारी भी कहा जाता है. लोगों के बीच यह धारणा बन गई है कि मीठा खाने से शुगर की बीमारी होती है जबकि इस बीमारी का सीधा संबंध शरीर में इंसुलिन हार्मोन के प्रोडक्शन और फंक्शन पर निर्भर करता है. डायबिटीज क्या और कितने प्रकार का होता है, यह जानने के लिए एनडीटीवी ने एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. संदीप खरब से बातचीत की. टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के अलावा डॉक्टर ने कम प्रचलित टाइप 3 और टाइप 4 डायबिटीज के बारे में भी जानकारी शेयर की है.
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डायबिटीज का इंसुलिन कनेक्शन (Insulin Connection To Diabetes)
डॉ. संदीप खरब ने बताया कि डायबिटीज एक ऐसी अवस्था है जिसमें हमारे शरीर में ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है. जब हम खाना खाते हैं तो पाचन क्रिया के दौरान इंटेस्टाइन में उससे ग्लूकोज एब्जॉर्ब होता है. यह ग्लूकोज इंटेस्टाइन से ब्लड में आता है. इसके बाद इंसुलिन की मदद से ब्लड ग्लूकोज हमारे सेल्स में एब्जॉर्ब होती है जिससे हमें एनर्जी मिलती है. हालांकि, शरीर में इंसुलिन नहीं रहने या काम नहीं करने पर ब्लड में ग्लूकोज का स्तर ज्यादा रहता है. इसी बीमारी को डायबिटीज कहा जाता है.
डायबिटीज के प्रकार (Types of Diabetes)
शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने के दो कारण हो सकते हैं. पहला कारण यह हो सकता है कि शरीर इंसुलिन बनाने की क्षमता खत्म हो जाए. दूसरा कारण यह हो सकता है कि शरीर में मौजूद इंसुलिन सही ढंग से काम करना ही बंद कर दे. इस आधार पर ही यह तय होता है कि किसी मरीज को टाइप 1 डायबिटीज है या टाइप 2 डायबिटीज. डॉ. संदीप खरब ने टाइप 1 और 2 के अलावा टाइप 3 और टाइप 4 डायबिटीज के बारे में भी बताया है.
टाइप 1 डायबिटीज
डॉक्टर के मुताबिक, टाइप 1 डायबिटीज में शरीर की इंसुलिन बनाने की क्षमता खत्म हो जाती है. शरीर में इंसुलिन नहीं बनने पर सेल्स ब्लड ग्लूकोज को एब्जॉर्ब नहीं कर पाते हैं जिससे खून का ग्लूकोज लेवल हमेशा ज्यादा रहता है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे कि इम्यून सिस्टम का ओवर एक्टिव हो जाना.
टाइप 2 डायबिटीज
टाइप 2 डायबिटीज में शरीर के अंदर इंसुलिन तो बनता है लेकिन यह हार्मोन सही ढंग से काम नहीं करता है. डॉक्टर संदीप खरब ने बताया कि यह सबसे कॉमन टाइप का डायबिटीज है जो लगभग 90 प्रतिशत लोगों में देखने को मिलता है. इसमें शरीर इंसुलिन रजिस्टेंट हो जाता है और समय के साथ धीरे-धीरे इंसुलिन बनना भी कम हो जाता है.
टाइप 3 डायबिटीज
इस कैटेगरी में छोटी-छोटी कम प्रचलित डायबिटीज को रखा जाता है. स्पेशल केस जैसे लिवर की किसी बीमारी से जूझ रहे लोगों को या जेनेटिक कारणों से बच्चों में होने वाली शुगर की बीमारी को टाइप 3 डायबिटीज की कैटेगरी में रखा जाता है.
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टाइप 4 डायबिटीज
टाइप 4 डायबिटीज भी एक तरह से स्पेशल केस ही होता है. महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज को टाइप 4 डायबिटीज कहा जाता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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