Fetal Alcohol Syndrome: क्या होता है फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम, जानें इसके 5 लक्षण, कारण और इलाज

गर्भावस्था में कितने अल्कोहोल का सेवन करना है इस की कोई सुरक्षित मात्रा नहीं है. अगर महिला कितनी भी मात्रा में अल्कोहोल का सेवन करती है तो उसके बच्चे में फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम होनें की आशंका बढ़ जाती है.

Fetal Alcohol Syndrome: क्या होता है फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम, जानें इसके 5 लक्षण, कारण और इलाज

Fetal Alcohol Syndrome Causes: क्यों होता है फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम, जानें इसके कारण.

गर्भावस्था में आप क्या खाते हैं और कितना खाते हैं यह प्रेगनेंट और उसके बच्चे दोनों को प्रभावित करता है. अक्सर लोग इस दौरान एल्कोहोल (Alcohol During Pregnancy) न पीने की सलाह देते हैं. तो क्या प्रेग्नेंसी के दौरान शराब पीना कितना हानिकारक हो सकता है यह भी समझने की जरूरत है. यह कई समस्याओं जन्म दे सकता है. जिनमें से एक है फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम (Fetal Alcohol Syndrome). चलिए एक्सपर्ट से जानते हैं इसके बारे में. फेटल अल्कोहोल स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर का अगला चरण फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम होता है. विश्व की लगभग 10 प्रतिशत महिलाएं गर्भावस्था में अल्कोहोल का सेवन करती है. हर साल 10 हजार में से 15 बच्चों में फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम के मामले देखे जाते हैं. एफएएस ऐसे क्षेत्रो में ज्यादा मात्रा में पाया जाता है जहां अल्कोहोल का सेवन ज्यादा होता है. जैसे इयू में सर्वाधिक और दक्षिण पूर्व आशियाई भाग में कम होता है. इस बारे में हमने बात की डॉ. सीता राजन, सिनियर कन्सल्टेंट- ऑब्स्टेट्रिक्स एन्ड गाईनेकोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल, वार्तुर रोड, बेंगलूरु से. जानें इसके बारे में सबकुछ- 

क्या होता है फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम, जानें इसके 5 लक्षण, कारण और इलाज

फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम (Fetal Alcohol Syndrome)

साधारण तौर पर डॉक्टर्स गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था में अल्कोहोल के सेवन से बचने की सलाह देते है. फिर भी कुछ महिलाएं इस सलाह को नही मानती और गर्भावस्था में अल्कोहोल का सेवन करती है. इस से बढ़ोत्तरी में समस्याएं आती है और उस का बच्चे के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है. इस स्थिती को फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम कहा जाता है. एफएएस के कारण दिमाग की जो हानि‍ होती है उसे ठीक नही किया जा सकता.

डॉ. सीता राजन कहती हैं ''गर्भावस्था में कितने अल्कोहोल का सेवन करना है इस की कोई सुरक्षित मात्रा नहीं है. अगर महिला कितनी भी मात्रा में अल्कोहोल का सेवन करती है तो उसके बच्चे में फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम होनें की आशंका बढ़ जाती है.''

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फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम के संकेत और लक्षण (Fetal Alcohol Syndrome Symptoms)

फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में नीचें दिए गए लक्षण पाए जाते है -

1. न्युरोलॉजी से जुड़ी समस्याएं - ऐसी स्थिती में जन्म लेने वाले बच्चों में कई न्युरोलॉजी से जुड़ी समस्याएं पायी जाती है. बच्चों के सिर का आकार छोटा होना (माईक्रोसेफाली), स्मरणशक्ती और एकाग्रता में कमी, लगातार मूड बदलना, हाईपर एक्टिवीटी और जाननें की क्षमता में कमी. कई बार बच्चों को दौरे भी पड़ सकते हैं.

2. शारीरीक समस्याएं- फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम से कई शारीरीक समस्याएं भी सामने आती है. बच्चे का वजन कम होना और धीमा विकास इत्यादी. चेहरे में भी अनोखे फर्क होते है जेसे छोटी आँखे, उपर उठी हुई नाक, उपरी होठ पतले होना और नाक और उपरी होठों के बीच पतली त्वचा का होना आदी. इन बच्चों के दिमाग का आकार छोटा और सिर का आकार भी छोटा होता है.

3. शिक्षा से जुड़ी समस्याएं - फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में विकास की समस्याएं भी होती है और सीखने की क्षमता उन में कम होती है. उन मे स्कूल की पढाई को समझने में असमर्थता होती है और वें सीख नहीं सकते.

4. सामाजिक और व्यावहारीक समस्याएं -  फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में सामाजिक समस्याएं और हालचाल की समस्याएं होती है. इन के अलावा वे आवेग रोक नहीं सकते और एक जगह से ध्यान हटाना उनके लिए कठीन होता है. 

5. जन्म दोष - फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम के बच्चों मे जन्म से ही दोष पाएं जाते है. इन बच्चों में दिल की बीमारियां, हड्डीयों की समस्याए और किडनी की समस्याएं होती है. इन बच्चों में सुनने की और देखनें की क्षमता में भी कमी हो सकती है.

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क्यों होता है फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम, जानें इसके कारण (Fetal Alcohol Syndrome Causes) 

गर्भावस्था के कालावधी में अल्कोहोल का सेवन टालने से फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम से बचा जा सकता है. जब गर्भावस्था में महिला अल्कोहोल का सेवन करती है तो वह प्लेसेंटा के माध्यम से गर्भ तक पहुंच जाता है. अल्कोहोल को पचाने की क्षमता गर्भ के यकृत में नहीं होती  क्यों की वह पूर्ण रूप से विकसित नहीं होता तो ऐसी स्थिती में वहां अल्कोहोल जमा होता है जो पोषण और ऑक्सिजन की आपूर्ती पर परिणाम करता है.

डॉ. सीता राजन कहती हैं ''सबसे ज्यादा खतरा पहले तीन महिनों में होता है. इस चरण में भ्रूण का दिमाग विकसित होने लगता है. फिर भी दुसरे या तीसरे तिमाही में भी खतरा बना रहता है क्योंकि इन तिमाहि‍यों में भी दिमाग का विकास होते रहता है.''

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Fetal Alcohol Syndrome:  फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम होने का प्रमुख कारण गर्भावस्था में महिलाओं द्वारा किया जानेंवाला अल्कोहोल सेवन.

फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम से जुड़े जोखिम (Fetal Alcohol Syndrome Complications) 

फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम होने का प्रमुख कारण गर्भावस्था में महिलाओं द्वारा किया जानेंवाला अल्कोहोल सेवन. यह समझना जरूरी है की गर्भावस्था में अल्कोहोल का सेवन करना सुरक्षित नहीं. गर्भावस्था में भ्रूण के अवयवों का  विकास होने लगता है विशेष रूप से आपको आप गर्भवती है यह पता होनें से पहलें ही यह प्रक्रिया शुरू होने लगती है. अगर आप साधारण तौर पर अल्कोहोल का सेवन करतें है, तो निम्नलिखित स्थिती में आप उसे रोक दें.

1. आपको पता है की आप गर्भवती है
2. गर्भवती होनें के शुरूआती लक्षण दिखाई दे पर आप निश्चित नहीं की आप गर्भवती है
3. गर्भवती होने का विचार कर रही है 

फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम के निदान (Fetal Alcohol Syndrome Diagnosis)

यह काफी महत्त्वपूर्ण है की लक्षणों की जांच जल्द से जल्द की जाए, जितनी जल्दी जांच होती है तो लक्षणों को कम किया जा सकता है और शिक्षा और ‍विकास की प्रक्रिया गती प्राप्त कर सकती है. 
डॉक्टर्स बच्चे की अच्छी तरह से जांच करते है. वें आपसे गर्भावस्था में अल्कोहोल सेवन के बारें में भी जानकारी ले सकते है. फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम के लक्षण कई बार अन्य बिमारीयों के लक्षणों से मेल खाते है. 
अगर डॉक्टरों को फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम का शक होता है तो वे माता-पिता को न्युरोलॉजिस्ट से मिलनें का या डेवलपमेंटल पेडिएट्रिशियन से मिलने का सुझाव देंगे. डॉक्टर स्थिती का जायजा लेने के लिए न्युरोलॉजिकल , सामाजिक और कामकाजी कुशलता के साथा सेहत की समस्याओं पर भी ध्यान देंगे. 

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फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम का उपचार (Fetal Alcohol Syndrome Treatment) 

डॉ. सीता राजन कहती हैं ''फेटल ब्रेन सिंड्रोम से होनें वाला नुकसान ठीक नहीं किया जा सकता. मानसिक और शारीरीक समस्याओं को ठीक नहीं किया जा सकता. फिर भी पालक और डॉक्टर मिलकर पहलें चरण में ही विकास में होनेवाली देरी का अंदाजा लगा सकते है, जिस से निदान में मदद होती है और स्थिती को और बिगडनें से रोका जा सकता है.''

उपचार करनेंवाली टिम में साईकोलॉजिस्ट, स्पीच थेरपीस्ट और ऑक्युपेशनल थेरपीस्ट का समावेश होता है जो अपना सहयोग देकर जीवन का स्तर बढ़ानें में सहयोग देते है. लक्षणों को कम करनें हेतु डॉक्टर कुछ दवाईयां भी दे सकते है. जितनीं जल्दी आप व्यवस्थापन करेंगे उतनी जल्दी  सामाजिक और बोलनें की कुशलता को बढ़ाया जा सकता है. पालक भी स्कूलों में जाकर सामाजिक योगदान देकर बच्चे की पढ़ने की क्षमता को बढ़ा सकते है. इनके अलावा साईकोलॉजिस्ट पालकों का समुपदेशन करतें हुए बच्चों की सामाजिक बर्ताव की समस्या से झुझनें में सहयोग कर सकते है.

(यह लेख डॉ. सीता राजन, सिनियर कन्सल्टेंट- ऑब्स्टेट्रिक्स एन्ड गाईनेकोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल, वार्तुर रोड, बेंगलूरु से बातचीत पर आधारित है.)

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.