Autophagy: सबसे बेहतरीन मशीनें भी एक दिन खराब हो ही जाती हैं. और मानव शरीर, जो मशीन जैसे लाखों-करोड़ों सूक्ष्म कोशिकाओं से बना है, इससे बिल्कुल अलग नहीं है. समय के साथ, कोशिकाएँ आपको जीवित रखने के कठिन काम में धीरे-धीरे घिसती जाती हैं. खुद को ठीक करने के लिए, वे अपने ही टूटे हुए हिस्सों को निगल जाती हैं. सेल बायोलॉजिस्ट योशिनोरी ओसुमी (Yoshinori Ohsumi) को 2026 में उन जीन और बुनियादी प्रक्रियाओं की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार (फिजियोलॉजी या मेडिसिन) से सम्मानित किया गया, जो हमारी कोशिकाओं को बेहतरीन स्थिति में बनाए रखने में मदद करती हैं.
“ऑटोफैजी” (ग्रीक में “सेल्फ-ईटिंग” यानी “स्वयं को खाना”) के नाम से जानी जाने वाली यह कोशिकीय प्रक्रिया 1960 के दशक से जानी जाती है. जैविक प्रक्रियाओं की बात करें तो, यह सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में से एक है. यदि कोशिकाएँ अपने पुराने और टूटे-फूटे हिस्सों को अलग कर नए हिस्सों के रूप में उपयोग न कर पातीं, तो हमारी उम्र बहुत तेजी से बढ़ती और हम कैंसर जैसी बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते, जहाँ खराब और त्रुटिपूर्ण कोशिकाएँ शरीर में अनियंत्रित तरीके से फैलने लगती हैं.
बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनाली बेंद्रे ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इस थेरेपी के बारे में शेयर किया है. उन्होंने लिखा 2018 में, जब मुझे कैंसर का पता चला था, तब मेरे नेचुरोपैथ ने मुझे “ऑटोफैजी” नाम के एक अध्ययन से परिचित कराया था. मेरी रिकवरी में इसका बहुत बड़ा योगदान रहा. इसलिए मैंने पढ़ा, सीखा, प्रयोग किए… और धीरे-धीरे इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया. और तब से मैं इसे लगातार फॉलो कर रही हूं. आइए जानते हैं क्या है ऑटोफैजी.
ऑटोफैगी क्या है?
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स के अनुसार, ऑटोफैगी शरीर की वह प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें हमारी कोशिकाएँ अपने ही खराब या क्षतिग्रस्त हिस्सों को साफ करके खुद को मरम्मत करती हैं. यहाँ “ऑटो” का मतलब है स्वयं और “फैगी” का अर्थ है खाना. यानी — स्वयं को खाना, लेकिन यह सुनने जितना डरावना नहीं बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है.
ऑटोफैगी शरीर को कैसे फायदा पहुंचाती है?
यह प्रक्रिया पुराने, निष्क्रिय और टूटे-फूटे सेल पार्ट्स को हटाकर उनकी जगह नए स्वस्थ हिस्से बना देती है. इसे आप शरीर का इंटरनल क्लीन-अप सिस्टम और रीसाइक्लिंग मैकेनिज़्म कह सकते हैं. यह सेल्स को फिर से एनर्जी, ताकत और क्षमता देता है ताकि शरीर पहले की तरह सुचारू रूप से काम कर सके. एक तरह से ये शरीर का रीसेट बटन है, जो टॉक्सिन्स को निकालकर कोशिकाओं को तनाव और बीमारियों से लड़ने में मदद करता है.
ऑटोफैगी के प्रमुख फायदे (एंटी-एजिंग के साथ!)
बढ़ती उम्र की प्रक्रिया धीमी करती है
नई और युवा कोशिकाएँ बनने में मदद करती है
लाइफ स्पैन बढ़ाने में भूमिका निभा सकती है
सेल्स में जमा हानिकारक प्रोटीन हटाती है
कैंसर, पार्किंसन और अल्ज़ाइमर जैसे गंभीर रोगों के जोखिम को कम करने में सहायक
वैज्ञानिकों के अनुसार, यह सेल्स को उम्र के असर से बचाने का प्राकृतिक एंटी-एजिंग समाधान है.
फास्टिंग और कीटो डाइट में कैसे होती है ऑटोफैगी?
जब हम लंबी अवधि तक कुछ नहीं खाते, तो शरीर ऊर्जा के लिए कोशिकाओं का कचरा इस्तेमाल करता है. यहीं से ऑटोफैगी ट्रिगर होती है — शरीर खुद को साफ और रिपेयर करने लगता है. इसी तरह, कीटोजेनिक डाइट में कार्ब कम और फैट ज़्यादा खाने से भी शरीर फास्टिंग जैसी स्थिति में पहुँच जाता है, जिससे ऑटोफैगी सक्रिय होने लगती है.
कैंसर रोकने में ऑटोफैगी का रोल
उम्र के साथ ऑटोफैगी की क्षमता कम होने लगती है, जिससे क्षतिग्रस्त और हानिकारक कोशिकाएँ शरीर में बढ़ सकती हैं और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
ऑटोफैगी:
• गलत या क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को पहचानकर खत्म करने में मदद करती है
• सेल्स की मरम्मत प्रक्रिया को सक्रिय रखती है
• इस तरह कैंसर के जोखिम को कम करने में योगदान दे सकती है
हालाँकि इस पर और रिसर्च की जरूरत है, लेकिन विशेषज्ञ इसे भविष्य की कैंसर-प्रिवेंशन रणनीति मानकर अध्ययन कर रहे हैं.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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