
Yoga For Spine Strength | Reed ki Haddi Ko Majboot Kaise Kare: रीढ़ की हड्डी को शरीर का आधार माना जाता है, क्योंकि ये शरीर की ऊर्जा का केंद्र है और शरीर का हर काम करने में मदद करती है. लेकिन, आजकल की लाइफस्टाइल में घंटों कम्प्यूटर के सामने बैठना पड़ता है या बहुत देर तक खड़े रहकर काम करना पड़ता है, जिससे रीढ़ की हड्डी सबसे ज्यादा प्रभावित होती है. अगर रीढ़ की हड्डी में किसी तरह की परेशानी होती है तो शरीर सही तरीके से काम करने लायक नहीं बचता. ऐसे में रीढ़ की हड्डी को लचीला और स्वस्थ बनाए रखने के लिए योग और अच्छी डाइट का सहारा लिया जा सकता है.
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रीड की हड्डी का प्रमुख काम क्या होता है?
आयुर्वेद में रीढ़ की हड्डी को मेरुदंड कहा जाता है. ये गर्दन से शुरू होकर कुल्हों तक जाती है और शरीर को सहारा देने का काम करती है. इसकी लंबाई 45 सेंटीमीटर होती है और 33 छोटी-छोटी अस्थियों से मिलकर बनी होती है. इसका प्रमुख कार्य शरीर को गति और सहारा देना, दिमाग और शरीर के बीच संचार का माध्यम बनना और शरीर के अंगों को सुचारू रूप से चलाना होता है. अगर मेरुदंड में किसी तरह की समस्या होती है तो गठिया, लकवा, स्पोंडिलोसिस, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क, मांसपेशियों का दर्द और क्रैम्प्स की समस्या बन सकती है.
रीड की हड्डी को मजबूत बनाने के लिए योगासन
ऐसे में कुछ योग आसन और आयुर्वेदिक उपाय करके मेरुदंड को मजबूत बना सकते हैं. रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने के लिए कई योगासन हैं, जिन्हें रोजाना किया जा सकता है. इसके लिए कपालभाति, प्राणायाम, बालासन, सिंहासन, मार्जरी आसन, ताड़ासन और नौकासन कर सकते हैं. ये सभी योगासन रीढ़ की हड्डी से गुजरने वाली नसों में ब्लड फ्लो बढ़ाते हैं और उसे लचीला भी बनाते हैं, जिससे शरीर का हर कार्य ठीक तरीके से किया जा सके.
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रीड की हड्डी को स्ट्रॉन्ग बनाने के अन्य तरीके
इसके अलावा आयुर्वेद में मेरुदंड वस्ति जैसे उपचार हैं, जिनमें हर्बल तेलों की मदद से मालिश के जरिए मेरुदंड को मजबूत करने का काम होता है. मालिश करने से मांसपेशियों की जकड़न कम होती है और ब्लड सर्कुलेशन अच्छे से होता है. हेल्दी डाइट के जरिए भी रीढ़ की हड्डी का ध्यान रखा जा सकता है. इसके लिए प्रोटीन और कैल्शियम से भरा खाना खाएं और फाइबर वाले फलों का सेवन करें. इसके लिए सूखे मेवे, रसे वाले फल और मोटे अनाज खा सकते हैं. साथ ही ओमेगा फैटी एसिड की अच्छी खुराक भी लेते रहें. इससे रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है और शरीर पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम अवशोषित कर पाता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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