
Broken Heart Syndrome Treatment: दुनिया भर में लाखों लोग ताकोत्सुबो कार्डियोमायोपैथी से पीड़ित हैं. इसे ही ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है. इस बीमारी के कारण हार्ट मसल्स का आकार बदल जाता है और वे अचानक कमजोर हो जाती हैं. यह आमतौर पर किसी अपने को खोने जैसे गंभीर भावनात्मक या शारीरिक तनाव के कारण होता है. ताकोत्सुबो सिंड्रोम हार्ट रेट रुकने और समय से पहले मृत्यु का कारण भी बन सकता है. पहले इसके इलाज को लेकर असमंजस की स्थिति थी लेकिन अब डॉक्टरों का मानना है कि इलाज संभव है.
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ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के लक्षण
ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के लक्षण हार्ट अटैक जैसे ही होते हैं. कुछ लोगों को हार्ट फेलियर का अनुभव होता है, जिसके परिणामस्वरूप थकान जैसे दुर्बल करने वाले लक्षण दिखाई देते हैं. ये मानसिक और भावनात्मक स्थिति से पैदा होती है, इसलिए माना जाता रहा है कि इसका कोई इलाज नहीं है.
लेकिन अब, डॉक्टरों के पास इसका जवाब हो सकता है. ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम को लेकर दुनिया के पहले कंट्रोल्ड ट्रायल में पाया गया है कि 12 हफ्ते की कोग्नेटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी) या तैराकी, साइकिलिंग और एरोबिक्स से मरीजों के दिल को ठीक होने में मदद मिल सकती है. इस सफलता का विवरण मैड्रिड में यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी के वार्षिक सम्मेलन में किया गया.
एबरडीन विश्वविद्यालय में कार्डियोलॉजी के क्लिनिकल लेक्चरर डॉ. डेविड गैंबल ने कहा, "ताकोत्सुबो सिंड्रोम में, हार्ट पर गंभीर असर पड़ता है. इसका प्रभाव मरीज पर जीवन भर पड़ा रह सकता है."
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कॉग्नेटिव बेहवियर थेरेपी
गैंबल ने कहा कि परीक्षण के आंकड़ों ने "ब्रेन-हार्ट एक्सिस" के महत्व को उजागर किया. बोले, "यह दर्शाता है कि कॉग्नेटिव बेहवियर थेरेपी (मनोचिकित्सक के सेशन) या व्यायाम करने से मरीजों को ठीक होने में मदद मिल सकती है. दोनों ही बहुत किफायती उपाय हैं और हमें उम्मीद है कि आगे के अध्ययनों से इससे जूझ रहे लोगों की मदद हो सकेगी."
इस अध्ययन में ताकोत्सुबो सिंड्रोम से पीड़ित 76 मरीजों को शामिल किया गया, जिनमें से 91 फीसदी महिलाएं थीं, जिनकी औसत आयु 66 वर्ष थी. मरीजों को उनकी इच्छा के मुताबिक सीबीटी, व्यायाम कार्यक्रम या फिर हेल्थकेयर के लिए चुना गया था. सभी को उनके कार्डियोलॉजिस्ट की ओर से सुझाए उपायों को जारी रखने को भी कहा गया.
सीबीटी समूह के लिए शोधकर्ताओं ने 12 सेशन आयोजित किए और जरूरत पड़ने पर दैनिक सहायता भी प्रदान की गई. व्यायाम करने वाला समूह 12 हफ्ते के व्यायाम पाठ्यक्रम का हिस्सा बना, जिसमें साइकिलिंग, एरोबिक्स और तैराकी जैसे शारीरिक श्रम शामिल था और हर हफ्ते सत्रों की संख्या और तीव्रता में धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी होती गई.
रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी इमेजिंग तकनीक
शोधकर्ताओं ने 31पीमैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी नामक एक इमेजिंग तकनीक का उपयोग किया, जिससे उन्हें यह अध्ययन करने में मदद मिली कि मरीज हार्ट एनर्जी का प्रोडक्शन, भंडारण और उपयोग कैसे कर रहे हैं. सीबीटी और व्यायाम करने वाले समूहों में मरीजों के हार्ट को पंप करने के लिए उपलब्ध फ्यूल की मात्रा में बढ़ोत्तरी देखी गई, जो सामान्य देखभाल प्राप्त करने वाले लोगों में नहीं देखी गई.
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सीबीटी प्राप्त करने वाले मरीज जो पहले 6 मिनट में औसतन 402 मीटर तक की दूरी तय करते थे, वो बढ़कर 458 मीटर हो गया. व्यायाम कार्यक्रम पूरा करने वाले लोग जो छह मिनट में पहले 457 मीटर चल पाते थे, वो औसतन 528 मीटर की दूरी तय करने लगे. एक्सपर्ट ने कहा कि निष्कर्ष बताते हैं कि ये ट्रीटमेंट आगे चलकर काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं.
इस टेस्ट को वित्तपोषित करने वाली ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन की नैदानिक निदेशक डॉ. सोन्या बाबू-नारायण ने कहा: "ताकोत्सुबो सिंड्रोम एक विनाशकारी स्थिति हो सकती है जो किसी बड़ी जीवन घटना के कारण होने पर आपको बेहद संवेदनशील बना देती है."
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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