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This Article is From Mar 25, 2019

खुद को न बनने दें अपने डिप्रेशन की वजह...

जीवन एक ऐसा रास्‍ता है, जिसमें कई उतार-चढ़ाव आते हैं. कुछ को हम आसानी से पार कर लेते हैं, तो कुछ हमे थका देते हैं. कुछ ऐसे उतार-चढ़ाव भी होते हैं, जिनमें हम खुद को फंसा हुआ या लगातार धंसता हुआ महसूस करते हैं. कई बार ऐसे ही पड़ाव आपको डिप्रेशन के दलदल में डाल देते है. जानिए इनसे कैसे बचा जा सकता है...

खुद को न बनने दें अपने डिप्रेशन की वजह...

जीवन एक ऐसा रास्‍ता है, जिसमें कई उतार-चढ़ाव आते हैं. कुछ को हम आसानी से पार कर लेते हैं, तो कुछ हमे थका देते हैं. कुछ ऐसे उतार-चढ़ाव भी होते हैं, जिनमें हम खुद को फंसा हुआ या लगातार धंसता हुआ महसूस करते हैं. कई बार ऐसे ही पड़ाव आपको डिप्रेशन के दलदल में डाल देते है. जानिए इनसे कैसे बचा जा सकता है...

हर परेशानी डिप्रेशन नहीं 
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि हर परेशानी को डिप्रेशन का नाम देना ठीक नहीं है. हमने खुद को इनता संवेदनशील और अविवेकी बना लिया है कि जीवन में आने वाले उतार-चढा़व को झेल नहीं पाते. जीवन की कश्मकश और चुनौतियों को स्वीकार करने की बजाय हम उनसे भागने लगते हैं. चुनौतियों से भागने से ये और विकराल रूप ले लेती हैं और अंत में जब हम इनसे डील नहीं कर पाते तो जो दबाव हम महसूस करते हैं उसे डिप्रेशन का नाम दे देते हैं. यह सही नहीं है. जीवन में आने वाली चुनौतियों को स्वीकार कर उनसे लड़ें न कि उन्हें डिप्रेशन का नाम दें. 

बिलिव थैरेपी
डिप्रेशन में जाने की एक बड़ी वजह है, खुद से बिलिव कम होना. ज्यादातर लोग खुद में कमियां ही तलाशते हैं और यह सबकी आदत सी हो गई है. कोई खुद से खुश नहीं. किसी को अपनी नाक पसंद नहीं, किसी को चेहरे के मुहांसे, किसी को अपना बढ़ा वजन, तो किसी को लगता है कि रिलेशनशिप उसकी वजह से ठीक नहीं चल रहा... खुद में बहुत-सी कमियां तलाश कर हम खुद से नफरत करना शुरू कर देते हैं. हम यकीन कर लेते हैं कि ‘हम अच्छे नहीं.' यही यकीन डिप्रेशन की नींव होता है. इसलिए आज से ही खुद से प्यार करना शुरू करें. यकीन करें कि आप बेहद खुबसूरत हैं, खुद को रोज शीशे में देखें. खुद से नजरें मिला कर कहें कि तुम बहुत अच्छे हो, मैं तुम्हें प्यार करती हूं...

हर दोस्त दोस्त नहीं होता
आज के समय में युवा जिस चीज का सबसे ज्यादा प्रेशर महसूस करते हैं वह है पियर प्रेशर. जी हां, अक्सर हम अपने साथ पढ़ने वाले ग्रुप, कुछ साल से साथ रहे दोस्तों को ही अपना सच्चा हितैषी मान बैठते हैं. खुद को उनकी नजरों में सही रखना, उनकी हर सलाह को मानना और कई ऐसे काम जो हम करना बिलकुल नहीं चाहते, लेकिन उन तथाकथित दोस्तों के दबाव और दोस्ती के नाम पर कर बैठते हैं. ऐसे कामों का अंत होता है डिप्रेशन पर... जब आप लगातार वह काम करते हैं, जिन्हें करने के लिए आपका मन नहीं मानता या आप खुश नहीं हैं, तो चाहे आपके पास कितने ही दोस्त क्यों न हों, अंत में आप खुद को अकेला ही पाएंगे डिप्रेशन के साथ. इसलिए यह जरूरी है कि आप इस बात की सही पहचान करें कि कौन असल में आपका दोस्त है और किससे आपकी महज जान पहचान...

अपेक्षाएं हावी न हों
डिप्रेशन की एक और बड़ी वजह है अपेक्षाएं... जी हां, कुछ अपेक्षाएं लोगों को हमसे होती हैं और उसी मात्रा में या उससे अधिक हमें लोगों से. जब ये अपेक्षाएं पूरी नहीं हो पाती, तो मानसिक अशांति और अंतर्द्वंद जन्म देता है डिप्रेशन को. कई बार परिवार वाले बच्‍चों से बेहद अपेक्षा करते हैं और उन पर दबाव बनाते हैं, तो कई बार बच्चे अपने परिजनों से उनकी अपेक्षाएं पूरी करने का दबाव बनाते हैं. तो बेहतर है कि आप न ही दूसरों से अपेक्षा करें और न ही उनकी अपेक्षाओं को खुद पर हावी होने दें.

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