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This Article is From Sep 24, 2021

Polycystic Ovary Syndrome: क्या PCOS से गर्भधारण में होती है परेशानी, एक्‍सपर्ट से जानिए पीसीओएस जुड़े सारे सवालों के जवाब

मां बनने की चाहत रखनेवाली बहुत सारी महिलाएं PCOS के कारण गर्भधारणा में असफल होती हैं, ऐसा क्यों होता हैं? उसके स्वरूप क्या हैं? यह जानने के लिए सबसे पहसे PCOS के बारे में पुरी जानकारी होना बेहद जरूरी है. 

Polycystic Ovary Syndrome: क्या PCOS से  गर्भधारण  में होती है परेशानी,  एक्‍सपर्ट से जानिए पीसीओएस जुड़े सारे सवालों के जवाब
महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानि PCOS की समस्या लगातार बढती जा रही है.

आजकल महिलाओं में खास कर युवा लडकियों में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानि की PCOS की समस्या लगातार बढती जा रहीं है.  पी.सी.ओ.एस. बदलते लाइफस्टाइल के कारण हो सकता है और कई महिलाओं में यह अनुवंशिक समस्या भी हो सकती है. मां बनने की चाहत रखनेवाली बहुत सारी महिलाएं पी.सी.ओ.एस. के कारण गर्भधारणा में असफल होती है, ऐसा क्यों होता हैं? उसके स्वरूप क्या हैं? यह जानने के लिए सबसे पहसे  पी.सी.ओ.एस. के बारे में पुरी जानकारी होना बेहद जरूरी है. 

पी.सी.ओ.एस. क्या है? 

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) यह महिलाओं में प्रजनन क्षमता की अंतःस्रावी समस्या है. आजकल 5-10% महिलाएं इस समस्या से परेशान हैं, जिन्हें गर्भवती होने में मुश्किलें आती हैं. पीसीओएस एक मेडिकल समस्या हैं, जो महिलाओं में हार्मोन के लेवल को प्रभावित करती हैं. इससे अनियमित माहवारी, चेहरे और शरीर पर बालों का बढना, मुंहासे, और ओवरी में सीस्ट यानी गर्भाशय के अंदर गांठ आना, जैसे लक्षण दिखते हैं.

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पीसीओएस समस्याओं का कारण क्या हैं? 

पीसीओएस का प्रमुख कारण क्या हैं, यह सवाल हर किसी को हैं. फिलहाल, इस परेशानी का असली कारण असल में बताया नहीं जा सकता, मात्र, यह समस्या अनुवंशिक और बदलते जीवनशैली के वजह से प्रभावित होने की आशंका बताए जाते हैं.

इस संदर्भ में एक अध्ययन के अनुसार, पीसीओएस वाली महिलाओं में इंसुलिन प्रतिरोध अधिक होता है. जैसे-जैसे खून में इंसुलिन का स्तर बढ़ता है, गर्भाशय अधिक टेस्टोस्टेरोन छोड़ता है. यह अतिरिक्त टेस्टोस्टेरोन अनियमित मासिक धर्म और अनचाहे बालों के विकास का कारण बनता है. कुछ महिलाओं में पीसीओएस, शरीर में अन्य हार्मोन के असंतुलन के कारण होता है. हालांकि पीसीओएस का पुख्ता कारण हमें मालूम नहीं है, पर हम इसके विशिष्ट लक्षणों को जान सकते हैं. 

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पी.सी.ओ.एस.के लक्षण क्या है? 

पीसीओएस में अंड्रोजेन (पुरुष हार्मोन्स) के अतिरिक्त उत्पादन से दुष्परिणाम होता  है. अगर आपको पीसीओएस है तो वजन बढ़ना, अनियमित मासिक धर्म, बालों का विकास और  मुंहासे जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं.

इस प्रकार आपने पीसीओएस के कारणों और लक्षणों के बारे में जाना. आइए अब जानें कि पीसीओएस प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित कर सकता है. 

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पी.सी.ओ.एस. और बांझपन: 

पीसीओएस का प्रजनन क्षमता पर सीधा नकारात्मक प्रभाव पडता हैं.   

गर्भाशय में एस्ट्रोजेन की बढ़ती तादाद की वजह से महिलाओं में गर्भावस्था के लिए महत्वपूर्ण स्त्री बीज का उत्पादन नहीं हो पाता. अगर, नियमित रूप से स्त्री बीज ही नहीं बने, तो गर्भधारणा नामुमकिन हैं .

_ अनियमित मासिक धर्म  

_ टेस्टोस्टेरॉन जैसे हार्मोन्स बढ जाने से अंडे की गुणवत्ता कम हो जाती है। 

_ इंसुलिन स्तर प्रतिरोध समस्याओं में वृद्धि .

_ इंसुलिन बढ़ने से मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है.

पीसीओएस के ये घटक प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं, तो वाकई में गर्भावस्था मुश्किल है?  पीसीओएस महिला क्या कभी माँ बन सकती है? 

हालांकि पीसीओएस के कारण गर्भावस्था असंभव है, मात्र, इसका इलाज प्रजनन विशेषज्ञ द्वारा किया जा सकता है.

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पी.सी.ओ.एस. और इलाज : 

पीसीओएस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उचित देखभाल से इस समस्या को कम किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, वजन घटाने से पीसीओएस के लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है. साथ ही, कुटूंब नियोजन और एंटी-एंड्रोजन गोलियां लेने से पीसीओएस के लक्षणों में सुधार हो सकता है. यदि आप माँ बनने की कोशिश कर रहीं हैं, तो पीसीओएस उपचार में पहला कदम स्वस्थ आहार और व्यायाम के साथ अपने जीवनशैली में बदलाव लाना भी जरूरी है. आहार में कार्बोहाइड्रेट और ग्लाइसेमिक युक्त व्यंजन वजन घटाने के लिए हमेशा अच्छे होते हैं .सप्ताह में तीन बार कम से कम 30 मिनट का व्यायाम शेड्यूल करें. हो सके तो रोजाना नियमित रूप से व्यायाम करने की कोशिश करें.

जीवनशैली में बदलाव करने के बाद भी अगर आपको गर्भाशय की समस्या है, तो आप किसी विशेषज्ञ की सलाह पर फर्टिलिटी दवाइयाँ ले सकती हैं. कुछ चुनिंदा एस्ट्रोजन रिसेप्टर मॉड्यूलेटर दवाइयाँ प्रजनन के लिए उपलब्ध हैं.

यदि दवा लेने से भी गर्भधारण नहीं होता है, तो डिंब को छोड़ने के लिए फर्टिलिटी इंजेक्शन की आवश्यकता होती है. हार्मोन, जो फर्टिलिटी इंजेक्शन में समान अनुपात में होते हैं, आपके मस्तिष्क को गर्भाशय को ओव्यूलेट करने के लिए संकेत भेजते हैं। 

प्रजनन चिकित्सक ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड और रक्त परीक्षण के माध्यम से प्रक्रिया की बारीकी से निगरानी करते हैं.  क्योंकि, ये परीक्षण उन्हें एस्ट्राडियोल स्तर (अंडाशय में उत्पादित हार्मोन) को रिकॉर्ड करने में मदद करते हैं. हालांकि, कभी-कभी फर्टिलिटी इंजेक्शन से कई बहुविध जन्मो की जोखिम बने रेहने का संभव होता हैं .

यदि उपरोक्त में से किसी भी उपचार के बाद भी गर्भावस्था नहीं होती है, तो इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) उपलब्धि का उपयोग हो सकता है.

पीसीओएस के लिए आईवीएफ उपचार 

आईवीएफ में, डॉक्टर एक छोटी सी प्रक्रिया के माध्यम से अधिकतम प्रजनन बीज बनाने का इंजेक्शन देकर, संबंधित महिला के गर्भाशय से परिपक्व बीज निकाल लेते हैं .इन बीजों को लेबोरेटरी में पकाया जाता है, जिसके बाद अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों को वापस गर्भाशय में छोड़ दिया जाता है. उपचार की इस पद्धति का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि गर्भावस्था हुई है या नहीं। साथ ही एम्ब्रियो फ्रीजिंग जैसी प्रक्रिया भी आप चून सकते हो .

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पी.सी.ओ.एस. अनुवांशिक हैं या नहीं, यह जानने के लिए क्या करना चाहिए?  

पहले इसकी जांच कराएं और जल्द से जल्द इसका इलाज कराएं.

डॉक्टर यह निर्धारित कर सकते हैं कि आपको पीसीओएस है या नहीं. वे आपके मेडिकल हिस्ट्री और शारीरिक परीक्षण के माध्यम से जानकारी निकाल सकते हैं. इसके अलावा, आपके खून में हार्मोन के स्तर की जांच के लिए डॉक्टर रक्त परीक्षण भी करते हैं। इसके अलावा, डिम्बग्रंथी अल्सर जैसी समस्याओं की जांच के लिए स्कैन करने की सलाह भी दी जाती है.

अगर आप पीसीओएस से पीड़ित हैं तो चिंता न करें. पीसीओएस एक ऐसी स्थिति है जिसका ठीक से इलाज किया जाता है, और पीसीओएस वाली कई महिलाए मां बनी हैं, इसलिए सही इलाज से स्वस्थ गर्भधारणा संभव हैं.

डॉ ऋषिकेश पई लीलावती अस्पताल, मुंबई, डी वाई पाटिल अस्पताल, नवी मुंबई और फोर्टिस अस्पताल, नई दिल्ली, गुरुग्राम और चंडीगढ़ से जुड़े कंसलटेंट गायनोकोलॉजिस्ट एंड इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट हैं

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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