
दिन : 1 अगस्त, 2024
मौका : पेरिस ओलंपिक
इवेंट : 66 किलोग्राम भारवर्ग बाउंट (महिला वर्ग)
प्रतिभागी : इटली की एंजेला कारिनी और अल्जीरिया की इमान खेलीफ
जरूरी नहीं कि हर इंसान खेल प्रेमी हो, लेकिन फिर भी ओलंपिक खेलों में सबकी रुचि होती है. कोई इसे अपने क्षेत्र के लिए देखता है, कोई किसी परिवार के सदस्य के लिए, कोई खेल के लिए, तो कोई विश्व के मानचित्र पर अपने देख की तस्वीर बदलने की उम्मीद के साथ...
ये तो थी देखने वालों की बात, लेकिन ओलंपिक खेलने वालों के भाव अलग ही होते हैं. ओलंपिक में अपने देश के लिए खेलने का जज्बा आप इस बात से समझ सकते हैं कि इस मंच के लिए क्वालिफाई होने पर ही गर्व महसूस किया जाता है. खिलाड़ियों की सालों की मेहनत का नतीजा इस दौरान मिलता है. हर किसी की आंखों में एक ही सपना होता है- 'वो सोने का एक मेडल, उनके दांतों के बीच'. उफ्फ ये सपना उनके साथ जानें कितने करोड़ों दिलों में पलता और पनपता है, जानें कितनी दुआएं और उम्मीदें उन दो कंधों पर लेकर वो एथलिट चलता है, ये उससे बेहतर और कौन जान सकता है. लेकिन क्या हो, जब कड़ी मेहनत और बहुत से सेक्रिफाइज करने के बाद आपको लगे कि आपके साथ गलत हो गया. मुकाबला बराबरी का नहीं हुआ... कैसा महसूस होगा? कभी दुख, कभी आक्रोश, कभी मन कहता होगा संभलो जरा, तो कभी टूट कर बिखर रहा होगा, कभी माहौल को भांप कर दिमाग कहता होगा उठो, लेकिन दिल झुक कर घुटनों को तोड़ देता होगा और मंच पर घुटनों के बल टूट जाते होंगे बहुत से सपने, मेहनत और उम्मीदें... हजारों होर्मोन एक साथ टूट पड़ते होंगे...
अरे, देखिए हम भी भावनाओं में बहने लगे. अब जब बात आई होर्मोन की, तो बता दें कि ऊपर जो दिन बताया गया उस दिन, उस इवेंट में शायद कुछ ऐसा ही हुआ हो. पेरिस में खेलों का खेल जारी है. यहां हर देश के खिलाड़ी अपना अपना दमखम दिखाने में लगे हैं. भारत की झोली में भी कुछ मेडल आए हैं और अभी और मेटल पाने की उम्मीद जारी है. खेल के इस जज्बे के साथ ही साथ जारी ओलिंपिक खेल से जुड़े कुछ विवाद भी.
एक अगस्त को हुए महिलाओं की 66 किलोग्राम भारवर्ग बाउंट को लेकर विवाद शुरू हो चुका है. इस मुकाबले में इटली की एंजेला कारिनी और अल्जीरिया की इमान खेलीफ आमने-सामने थीं, लेकिन एंजेला सिर्फ 46 सेकेंड में घुटनों पर आ गई. और अल्जीरिया की मुक्केबाज इमान खेलीफ विजेता घोषित हुईं.
यहां तक तो सब ठीक लग रहा है. लेकिन तस्वीर तब बदली जब इमान खेलीफ की 'लिंग जांच' से जुड़ा सवाल सामने आया. हुआ यह कि इमान खेलीफ की टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की मात्रा असामान्य कही गई. यही कारण रहा कि उन्हें 2023 विश्व चैंपियनशिप में 'लिंग जांच' में विफल होने के चलते ‘डिस्क्वालीफाई' किया गया था. अब यही बहस एक बार फिर चल पड़ी है पेरिस ओलिंपिक में उनकी मौजूदगी को लेकर.
भला जेंडर पर विवाद कैसे!
यह सवाल इस समय सबके दिमाग में होगा कि जेंडर पर सवाल कैसे उठ सकता है. तो आपको बता दें कि ओलंपिक में कुछ खास इवेंट्स में महिलाओं का सामान्य टेस्टोस्टेरोन लेवल तय किया गया है. क्योंकि टेस्टोस्टेरोन का स्तर इन खेलों को प्रभावित कर सकता है. मुक्केबाजी भी इन्हीं में से एक है. नियमों के तहत उच्च टेस्टोस्टेरोन स्तर वाली महिलाओं को प्रतिस्पर्धा करने के लिए चिकित्सकीय रूप से टेस्टोस्टेरोन को कम करना होता है. 2018 में स्थापित नियम, पिछले अध्ययन पर आधारित हैं, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया है कि उच्च टेस्टोस्टेरोन महिलाओं को कम से कम पांच स्पर्धाओं में महत्वपूर्ण लाभ देता है.
अब सवाल उठता कि क्या उच्च टेस्टोस्टेरोन स्तर के कारण शीर्ष महिला एथलीटों को महिलाओं के बीच प्रतिस्पर्धा करने से अयोग्य ठहराया जाना चाहिए? तो इस पर भी विवाद बना हुआ है. सीयू बोल्डर के नेतृत्व वाले एक अखबार में कहा गया कि अंतर्राष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ को इन नियमों पर पुनर्विचार करना चाहिए.
क्या होता है हार्मोन टेस्टोस्टेरोन (What is Testosterone or Male Sex Hormone)
चलिए जानते हैं कि टेस्टोस्टेरॉन (Testosteron) आखिर है क्या? असल में यह पुरुष के शरीर में पाए जाने वाला एक हार्मोन है, जो शरीर को कई रोगों से बचाता है. इसके साथ ही इसे सेक्स हार्मोन भी कहा जाता है. टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के अंडकोष में पैदा होता है. इस हार्मोन से ही पुरुषों के चेहरे पर बाल, मांसलता और यौन क्षमता प्रभावित होती है. आमतौर पर इस हार्मोन को मर्दानगी के तौर पर देखा जाता है. टेस्टोस्टेरोन पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा उत्पादित होता है. हालाँकि पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन 20 गुना अधिक होता है, खासकर अंडकोष में. महिलाओं में अंडाशय और अधिवृक्क ग्रंथियों में बहुत कम टेस्टोस्टेरोन बनता है.
पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कितना होना चाहिए (High & Low Testosterone Levels)
ज्यादातर महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का स्तर 1.12 से 1.79 nmol/L के बीच होता है, जबकि सामान्य वयस्क पुरुष की सीमा 7.7 - 29.4 nmol/L होती है. IAAF के अनुसार, हर 1,000 में से लगभग 7 शीर्ष महिला एथलीटों में उच्च टेस्टोस्टेरोन का स्तर होता है.
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क्यों बढ़ जाता है कुछ महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का स्तर
असल में टेस्टोस्टेरोन का स्तर उम्र, जेंडर और शरीर के अनुसार अलग-अलग हो सकता है. जब सामान्य से ज्यादा टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन होता है तो इसे हाइपरएंड्रोजेनिज्म कहा जाता है. कुछ शोध में यह पाया गया है कि तकरीबन 5 फीसदी महिलाओं में यह समस्या होती है. और इन 5 फीसदी में इस समस्या के पीछे 70 फीसदी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी पीसीओडी के कारण होता है.
बढ़े हुए टेस्टोस्टेरोन का स्तर को कैसे पहचानें, इसके लक्षण क्या हैं
- मुंहासे,
- शरीर के बालों का बढ़ना
- चेहरे पर बालों का बढ़ना
- सिर के बालों का झड़ना वगैरह.
टेस्टोस्टेरोन का स्तर कैसे करता है खिलाड़ी के प्रदर्शन को प्रभावित
असल में टेस्टोस्टेरोन का बढ़ा हुआ स्तर आपकी हड्डी और मांसपेशियों को बूस्ट करता है. ऐसे में कुछ खास किस्म के खेलों के लिए यह खासा फायदेमंद हो सकता है. हालांकि टेस्टोस्टेरोन को जानबूझकर कर बढ़ाया जा सकता है, जो डोपिंग के तौर पर प्रतिबंधित है.
टेस्टोस्टेरोन और प्रतिस्पर्धात्मक लाभ
अप्रैल 2018 में, IAAF ने नए नियमों की घोषणा की, जिसके अनुसार स्वाभाविक रूप से उच्च टेस्टोस्टेरोन स्तर (high testosterone levels) वाली कुछ महिला एथलीटों को टेस्टोस्टेरोन कम करने वाले हार्मोन (testosterone-lowering hormones) लेने की आवश्यकता होती है, अगर वे 400 मीटर, 400 मीटर बाधा दौड़, 800 मीटर, 1500 मीटर और एक मील की दौड़ में महिला वर्ग में प्रतिस्पर्धा करना जारी रखना चाहती हैं.
कितना होना चाहिए महिला एथलिटों का टेस्टोस्टेरोन लेवल
IAAF द्वारा स्वीकृत यह नियम अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं पर लागू होता है. इसके अनुसार प्रतिभागियों को प्रतियोगिता से कम से कम छह महीने पहले सीरम टेस्टोस्टेरोन के स्तर को 5 नैनोमोल प्रति लीटर (nmol/L) से कम बनाए रखना होता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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