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Monsoon: राहत या आफत! बरसाती बीमारियों का क़हर शुरू, मुंबई के अस्पताल में 10 बच्चे वेंटिलेटर पर, पीडिएट्रक ICU वॉर्ड फ़ुल

बारिश आते ही बीमारियों का क़हर सबसे पहले बच्चों पर भारी पड़ता है. मुंबई के केजे सोमैया अस्पताल में स्थिति परेशान करने वाली है. जहां पीडियाट्रिक आईसीयू वॉर्ड्स फुल हैं. क़रीब 80% बच्चे बरसाती वायरल इन्फेक्शन, बुख़ार और सांस की दिक़्क़तों वाले हैं.

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Monsoon: राहत या आफत! बरसाती बीमारियों का क़हर शुरू, मुंबई के अस्पताल में 10 बच्चे वेंटिलेटर पर, पीडिएट्रक ICU वॉर्ड फ़ुल

Monsoon Illnesses in India: लंबे समय तक भीषण गर्मी और लू के कहर के बाद आखिरकार अब देश के अधिकांश हिस्‍सों में मॉनसून (Monsoon) दस्‍तक दे चुका है. लेकिन बारिश का मौसम अपने साथ बीमारियां (Monsoon Diseases) भी साथ लाता है. मुंबई में इस बार मॉनसून (Mumbai Monsoon) ने ठीक से दस्तक भी नहीं दी और अस्पतालों में बरसाती बीमारियों (Monsoon Illnesses) वाले मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है. ख़ासतौर से बच्चे प्रभावित दिख रहे हैं.    

बच्चे हो रहे हैं शिकार : बारिश आते ही बीमारियों का क़हर सबसे पहले बच्चों पर भारी पड़ता है. मुंबई के केजे सोमैया अस्पताल में स्थिति परेशान करने वाली है. जहां पीडियाट्रिक आईसीयू वॉर्ड्स फुल हैं. क़रीब 80% बच्चे बरसाती वायरल इन्फेक्शन, बुख़ार और सांस की दिक़्क़तों वाले हैं. बाल रोग विशेषज्ञ डॉ इरफ़ान अली बताते हैं कि इस बार मॉनसून की दस्तक पड़ते हीं मरीज़ों की बड़ी संख्या दिख रही है जबकि ऐसी तस्वीर जुलाई के आख़िर या अगस्त में दिखती है. 

बरसात में किस तरह के मामले ज्यादा सामने आते हैं

के जे सोमैया अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ इरफ़ान अली, कहते हैं, “बच्चे के लंग्स का एक्सरे देखें आप बच्चे किस तरह से प्रभावित हैं. हम लोग हाई वेंटिलेटर प्रेशर से अंदर ऑक्सीजन डाल रहे हैं  ताकि लंग्स ना सिकुड़े. इस हालत में यहाँ करीब 10 बच्चे हैं वेंटिलेटर पर. कई बच्चे देरी से मेडिकल हेल्प के लिये लाये जाते हैं तब तक उनकी हालत बहुत ख़राब हो जाती है, इस बार थोड़ा अलग पैटर्न है. जुलाई अंत और अगस्त के बाद ऐसी और इस संख्या में मरीज़ दिखते थे इसबार जून से ही आने लगे हैं जब ठीक से बारिश भी शुरू नहीं हुई, इस बार हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स कम हो रहे हैं काफ़ी बच्चों में. 

मुंबई में बीएमसी और निजी अस्पतालों के गंभीर अवस्था में बच्चे इसी केजे सोमैया हॉस्पिटल में रेफर किए जाते हैं. 7 महीने का नवजात शिशु हसनैन और 2 साल का डैनियल स्वाइनफ्लू से ग्रसित है, वेंटिलेटर पर है. कई बच्चे क़रीब 20 दिन से आईसीयू में हैं. 

डैनियल की माँ मेरी कहती हैं, “मॉनसून में बच्चों में ये तकलीफ़ दिख रही है, मेरा बच्चा काफ़ी दिन से परेशान था, मार्च में भी उसे स्वाइनफ़्लू हुआ था. आस पड़ोस में भी इन्फेक्शन दिखता है. इनम्युन्यूटी बिलकुल नहीं बची है.” 

सात महीने के मरीज़ हसनैन के पिता उमर फ़ारूक़ कहते हैं, “मेरे बच्चे की हालत बीते गुरुवार को बिगड़ी तब पास के अस्पताल लेकर गए, वहाँ बोला वेंटिलेटर लगेगा, वहाँ वेंटिलेटर नहीं था, यहाँ लेकर आये, हम नालासोपाड़ा में रहते हैं, आसपास बहुत गंदगी रहती है, क्या पता मानसून में उससे बीमारी बच्चे में फैली हो, बहुत परेशान हुए हैं अब तक लेकिन अब हालत सुधर रही है”

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टीकाकरण पूरा न होना बढ़ा देता है परेशानी 

डॉ इरफ़ान अली बताते हैं कि अस्पताल में भर्ती अधिकांश बच्चों ने फ्लू टीका नहीं लगवाया है. ना हीं उन्हें इस वैक्सीन की जानकारी है.  बाल रोग विशेषज्ञ डॉ इरफ़ान अली ने एनडीटीवी को बताया, “सरकार और बीएमसी के वैक्सिनीशन अभियान में फ्लू वैक्सीन शामिल नहीं है ऐसे में लोगों में कुछ ख़ास जागरूकता और जानकारी की काफ़ी कमी है की ऐसे मौसम में फ्लू वैक्सीन ज़रूरी है. कोविड के बाद इम्युनिटी वैसे भी बिगड़ी है लोगों में, तो ऐसे इन्फेक्शन जल्दी लगते हैं” 

बारिश में किन रोगों का खतरा बढ़ जाता है 

बारिश के मौसम में जगह-जगह पर जलभराव की स्थिति होती है. इसके कारण तमाम मच्‍छर और बैक्‍टीरिया तेजी से पनपते हैं. इसलिए इस मौसम में सबसे ज्‍यादा बीमारियां भी मच्‍छरों और दूषित पानी के कारण फैलती हैं. साथ ही इस सीज़न में इम्‍यून सिस्‍टम भी कमजोर हो जाता है, ऐसे में लोगों को तेजी से बीमारियां चपेट में लेती हैं. टाइफाइड, डायरिया, वायरल बुखार, डेंगू और मलेरिया का खतरा सबसे ज्यादा होता है. इसलिए कमज़ोर वर्ग के लिए सावधानी सबसे ज़्यादा ज़रूरी है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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