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बच्चों में क्यों बढ़ रही 'नॉक नी' की समस्या, Orthopedic Surgeon से जानिए लक्षण, कारण और इलाज

हमने बच्चों में बढ़ती नॉक नी की समस्या पर हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक अरोड़ा (मैक्स हॉस्पिटल, पटपड़गंज) से बात की है, जिन्होंने इसके बढ़ते कारणों और आसान इलाज के बारे में बताया है....

बच्चों में क्यों बढ़ रही 'नॉक नी' की समस्या, Orthopedic Surgeon से जानिए  लक्षण, कारण और इलाज
डॉक्टर दीपक अरोड़ा कहते हैं कि अगर शुरूआत में ही समस्या का पहचान कर लिया जाए तो फिर सर्जरी जैसी समस्या से बचा जा सकता है.

What is knock Knee : अगर आप देखते हैं कि आपका बच्चा सीधा खड़ा होते समय या चलते वक्त अपने घुटनों को आपस में टकराता है, तो यह सिर्फ चलने का एक तरीका नहीं, बल्कि एक मेडिकल कंडीशन हो सकती है जिसे आम भाषा में 'नॉक नी' (Knock Knee) और मेडिकल भाषा में 'जेनू वल्गम' (Genu Valgum) कहते हैं. हमने इस विषय पर हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक अरोड़ा (मैक्स हॉस्पिटल, पटपड़गंज) से बात की है, जिन्होंने इस समस्या के बढ़ते कारण, लक्षण और इसके आसान इलाज के बारे में डिटेल में बात की है. तो चलिए जानते हैं...

Knock Knee क्या है - What is Knock Knee

डॉक्टर के मुताबिक, नॉक नी में इंसान के पैर अंदर की तरफ मुड़ जाते हैं. जब बच्चा खड़ा होता है, तो उसके घुटने एक-दूसरे से सटे या टकराते हैं, जबकि उसके टखनों (Ankles) के बीच काफी गैप बन जाता है.

यह आमतौर पर 2 से 4 साल की उम्र तक बच्चों में थोड़ा-बहुत दिख सकता है और 6 साल की उम्र तक अपने आप ठीक हो जाता है. लेकिन अगर यह समस्या 6 साल के बाद भी बनी रहे या बढ़ती जाए, तो यह एक परेशानी का संकेत है.

कैसे पहचानें 'नॉक नी' के लक्षण - How to recognize the symptoms of a knock knee

घुटनों का गैप

डॉ. अरोड़ा बताते हैं कि बच्चे को सीधे खड़े होने के लिए कहें. अगर घुटने आपस में टकरा रहे हैं और टखनों के बीच का फासला ज्यादा है, तो यह नॉक नी हो सकता है.

चलने में बदलाव

बच्चा चलते या दौड़ते समय पैर बाहर की तरफ करके चलेगा.

थकान

बच्चा बहुत जल्दी थक जाता है, क्योंकि उसे घुटनों के बल ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है.

घुटने या पैर में दर्द

कुछ बच्चों को घुटनों या पैरों में दर्द की शिकायत भी हो सकती है.

नॉक नी प्रॉब्लम बच्चों में क्यों बढ़ रही है - Why is knock knee problem increasing in children

आजकल बच्चों में नॉक नी के मामले बढ़ने के पीछे लाइफस्टाइल से जुड़े ये तीन बड़े कारण हैं-

विटामिन D और कैल्शियम की कमी

यह सबसे मुख्य कारण है. आजकल बच्चे धूप में कम खेलते हैं. धूप न मिलने से शरीर में विटामिन D की कमी हो जाती है, जिससे हड्डियां कमजोर होती हैं. 

बच्चों का मोटापा

बच्चों का बढ़ता वजन भी इस समस्या को बढ़ा रहा है. शरीर का पूरा भार घुटनों पर आता है. जब वजन ज्यादा होता है, तो घुटनों पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे उनके मुड़ने का खतरा बढ़ जाता है.

फास्ट और जंक फूड का सेवन

फास्ट फूड और जंक फूड के कारण बच्चों को जरूरी पोषण नहीं मिल पाता, जिससे हड्डियों का विकास ठीक से नहीं हो पाता. साथ ही, फिजिकल एक्टिविटी कम होने से भी हड्डियां कमजोर होती हैं.

नॉक नी का क्या है इलाज - What is the treatment for knock knee

नॉक नी का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि समस्या कितनी गंभीर है.

शुरुआती स्टेज

डॉक्टर अरोड़ा कहते हैं कि शुरूआत में डाइट में सुधार, विटामिन D और कैल्शियम सप्लीमेंट्स, और कुछ खास तरह की एक्सरसाइज करने की सलाह बच्चों की दी जाती है. कई बार पैरों में पहनने के लिए कस्टमाइज्ड इनसोल (Insoles) या खास जूते दिए जाते हैं.

गंभीर स्टेज

अगर घुटनों में गैप ज्यादा हो, तो डॉक्टर रात में पहनने के लिए ब्रेस (Braces) या स्पेशल स्प्लिंट (Splints) दे सकते हैं.

माइनर ऑपरेशन भी है ऑपश्न

अगर बच्चों में डीफॉर्मिटी ज्यादा होती है 7 या 8 साल तक करेक्शन नहीं होता है, तो फिर एक माइनर ऑपरेशन करके नॉक नी की परेशानी को ठीक किया जा सकता है. लेकिन बच्चा 15 साल का हो चुका है और अभी भी बच्चे के घुटनों में गैप बना हुआ है तो फिर सर्जरी ही मात्र एक उपाय है, जिससे घुटनों के आपस में टकराने की परेशानी को ठीक किया जा सकता है.

इस बात का रखें खास ख्याल

अंत में डॉक्टर दीपक अरोड़ा कहते हैं कि अगर शुरूआत में ही समस्या का पहचान कर लिया जाए तो फिर सर्जरी जैसी समस्या से बचा जा सकता है. बच्चों की ग्रोविंग बोन्स (Growing bones ) के लिए कैल्शियम, फॉस्फोर्स, मैग्निशियम, विटामिन के और डी की जरूरत होती है. ऐसे में फिर पेरेंट्स को बच्चों के खान पान में हरी सब्जियां, अंडे, दूध, चिकन, पनीर, पिश्ता बादाम, सी फूड, दाल जरूर शामिल करना चाहिए. ये सारे पोषक तत्व बच्चों को आसानी से मिल जाएंगे.  

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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