सूर्य नमस्कार के स्टेप कितने होते हैं? 12 पोज़ के सूर्य नमस्कार को करने से बॉडी को एनर्जी मिलती है. तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं सूर्य नमस्कार करने का स्टेप बॉय स्टेप प्रोसेस. जानें सूर्य नमस्कार के हर स्टेप के फायदे.
सूर्य नमस्कार के 12 आसन कौन कौन से हैं?
सूर्य नमस्कार में बारह आसन होते हैं
- प्रणाम आसन
- हस्तउत्तानासन
- हस्तपाद आसन
- अश्व संचालन आसन
- दंडासन
- अष्टांग नमस्कार
- भुजंग आसन
- पर्वत आसन
- अश्वसंचालन आसन
- हस्तपाद आसन
- हस्तउत्थान आसन
- ताड़ासन
सूर्य नमस्कार कैसे करें?
स्टेप 1- प्रणामासन (प्रेयर पोज़)
अपने योगा मैट के किनारे पर खड़े हो जाएं. अब अपने पैरों को एक साथ रखें और अपने वजन को दोनों पैरों पर समान रूप से बैलेंस करें. अपने चेस्ट को एक्सपैंड करें और अपने कंधों को रिलैक्स करें. ब्रीद इन करते हुए दोनों हाथों को साइड से ऊपर उठाएं और सांस छोड़ते हुए अपनी हथेलियों को चेस्ट के सामने एक साथ प्रार्थना की स्थिति में लाएं.
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फायदा : शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है.
स्टेप 2- हस्तौतानासन (आर्म्स को ऊपर उठाएं)
अब अगले स्टेप में सांस अंदर लेते हुए बाइसेप्स को कानों के पास रखते हुए बाजुओं को ऊपर और पीछे उठाएं. इस मुद्रा में पूरे शरीर को एड़ी से लेकर उंगलियों के सिरे तक फैलाने का प्रयास किया जाता है.
फायदा: चेस्ट की मसल्स को मजबूत करता है जो बदले में सांस लेने में मदद करता है.
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स्टेप 3- हस्तपादासन (आगे की तरफ झुकें)
सांस छोड़ते हुए स्पाइन को सीधा रखते हुए कमर से आगे की ओर झुकें. जैसे ही आप पूरी तरह से सांस छोड़ते हैं, हाथों को पैरों के बगल में फर्श पर ले आएं. हथेलियों को फर्श पर नीचे लाने के लिए अगर जरूरत हो तो आप घुटनों को मोड़ सकते हैं. अब घुटनों को सीधा करने का हल्का प्रयास करें.
फायदा: कमर और रीढ़ को लचीला बनाता है. यह मांसपेशियों को मजबूत करता है और लीवर के कामकाज के लिए फायदेमंद होता है.
स्टेप 4- अश्व संचालनासन (घुड़सवारी मुद्रा)
सांस अंदर लेते हुए अपने दाहिने (Right) पैर को जितना हो सके पीछे की ओर धकेलें. दाहिने घुटने को फर्श पर लाएं और ऊपर देखें.
फायदा: पैर की मांसपेशियों को मजबूत करता है और रीढ़ और गर्दन की मांसपेशियों को लचीला बनाता है.
स्टेप 5-दंडासन (स्टिक पोज)
सांस अंदर लेते हुए बाएं पैर को पीछे ले जाएं और पूरे शरीर को एक सीध में लाएं. अपने आर्म्स को फर्श पर सीधा रखें.
फायदा: बाहों को मजबूत करता है और बॉडी के पोश्चर को मेंटेन रखता है.
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स्टेप 6-अष्टांग नमस्कार (आठ भागों या बिंदुओं के साथ प्रणाम)
धीरे से अपने घुटनों को फर्श पर ले आएं और सांस छोड़ें. हिप्स को थोड़ा पीछे ले जाएं, आगे की ओर खिसकें और फिर अपने चेस्ट और चिन को फर्श पर टिकाएं. अपने पोस्टीरियर को थोड़ा ऊपर उठाएं. दोनों हाथ, दो पैर, दो घुटने, छाती और ठुड्डी (शरीर के आठ अंग) को फर्श से छूना चाहिए.
फायदा: रीढ़ और कमर को लचीला बनाता है और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है.
स्टेप 7-भुजंगासन (कोबरा पोज़)
आगे की ओर स्लाइड करें और छाती को ऊपर उठाकर कोबरा पोज़ में ले आएं. आप इस मुद्रा में अपनी कोहनियों को कानों से दूर रखते हुए कंधों को मोड़कर रख सकते हैं. अब ऊपर छत की ओर देखें
फायदा: रीढ़ और कमर को लचीला बनाता है और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
(पोज़ीशन 5, 6 और 7 एक साथ, बाजुओं को मजबूत और पेट और कमर के आसपास की चर्बी को कम करने में मदद करते हैं)
स्टेप 8-अधो मुख संवासन
सांस छोड़ते हुए, हिप्स और टेलबोन को ऊपर उठाकर शरीर को उल्टे 'वी' मुद्रा में लाएं. अगर संभव हो तो, एड़ी को जमीन पर रखने की कोशिश करें और टेलबोन को ऊपर उठाने के लिए एक प्रयास करें.
फायदा: रीढ़ और कमर की मांसपेशियों के लिए फायदेमंद.
स्टेप 9- अश्व संचालनासन (घुड़सवारी मुद्रा)
सांस अंदर लेते हुए दाहिने पैर को दोनों हाथों के बीच में आगे लाएं. बायां घुटना फर्श पर नीचे चला जाता है. हिप्स को नीचे प्रेस करें और ऊपर देखें.
स्टेप 10- हस्तपादासन (आगे की ओर झुकना)
सांस छोड़ते हुए बाएं पैर को आगे लाएं. हथेलियों को फर्श पर रखें. अगर जरूरी हो तो आप घुटनों को मोड़ सकते हैं. घुटनों को धीरे से सीधा करें, और अगर आप कर सकते हैं, तो कोशिश करें और अपनी नाक को घुटनों से टच करें. सांस लेते रहें.
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स्टेप 11- हस्तौतनासन (उठाए हुए हाथ की मुद्रा)
सांस अंदर लेते हुए रीढ़ को ऊपर की ओर मोड़ें. हाथों को ऊपर उठाएं और थोड़ा पीछे की ओर झुकें, हिप्स को थोड़ा बाहर की ओर धकेलें.
स्टेप 12- ताड़ासन (पर्वत मुद्रा)
जैसे ही आप सांस छोड़ते हैं, पहले शरीर को सीधा करें, फिर बाजुओं को नीचे लाएं. इस स्थिति में आराम करें और अपनी बॉडी में सेंसेशन को ओब्सर्व करें.
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