भारत के गांव हमेशा से शांत वातावरण, खुली हवा के लिए जाने जाते हैं. लोग मानते हैं कि ग्रामीण इलाकों में तनाव कम होता है और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है. लेकिन, ICMR की एक नई स्टडी ने इस धारणा को हिला कर रख दिया है. रिसर्च में पाया गया है कि ग्रामीण भारत, खासकर खेती वाले क्षेत्रों में डिप्रेशन, एंग्जायटी और यहां तक कि डिमेंशिया जैसे मानसिक रोग तेजी से बढ़ रहे हैं.
यह बढ़ोतरी सामान्य कारणों से नहीं हो रही, बल्कि एक ऐसी वजह से हो रही है जिसे कई लोग आज भी नजरअंदाज करते हैं. पेस्टीसाइड का बहुत ज्यादा इस्तेमाल. स्टडी के अनुसार, कई किसान हफ्ते में कम से कम एक बार पेस्टीसाइड स्प्रे करते हैं और यही उनके लिए गंभीर मानसिक और न्यूरोलॉजिकल दिक्कतों का कारण बन रहा है.
इसे भी पढ़ें: AIIMS के डॉक्टर ने बताया दिल्ली की हवा ‘पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी', प्रदूषण अब जानलेवा और गंभीर, जरूरी नहीं, तो घर से न निकलें
किसानों के शरीर में मिले खतरनाक बायोमार्कर
ICMR की रिसर्च टीम ने किसानों के ब्लड सैंपल जांचे और शरीर में ऐसे बायोमार्कर पाए जो बताते हैं कि पेस्टीसाइड उनके नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा रहे हैं. ये बायोमार्कर इस बात का संकेत देते हैं कि शरीर लंबे समय से ऐसे केमिकल्स के संपर्क में है जो दिमाग पर असर डाल सकते हैं-
- याददाश्त कमजोर होना
- लगातार बेचैनी
- मूड में बदलाव
- निर्णय लेने की क्षमता कम होना
ये सभी लक्षण आगे चलकर डिमेंशिया जैसे गंभीर रोगों में बदल सकते हैं.
पेस्टीसाइड मानसिक स्वास्थ्य को कैसे नुकसान पहुंचाते हैं? | How Do Pesticides Harm Mental Health?
ICMR के वैज्ञानिकों का कहना है कि पेस्टीसाइड में मौजूद ऑर्गेनोफॉस्फेट और कार्बामेट जैसे केमिकल्स सीधे शरीर के नर्व सिग्नलिंग सिस्टम को प्रभावित करते हैं.
- ये दिमाग में मौजूद “न्यूरो-ट्रांसमीटर” के संतुलन को बिगाड़ते हैं.
- हॉर्मोनल गतिविधि गड़बड़ा जाती है.
- दिमाग की कोशिकाएं समय के साथ कमजोर होने लगती हैं.
इसी वजह से किसान धीरे-धीरे डिप्रेशन, एंग्जायटी और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की ओर बढ़ने लगते हैं, जबकि उन्हें इसका पता भी नहीं चलता.
इसे भी पढ़ें: किस पॉजिशन में सोने से कौन सी बीमारी ठीक होती है? पीठ के बल, बाईं या दाईं ओर जानें सोने की सबसे सही मुद्रा क्या है
ग्रामीण इलाकों में जोखिम ज्यादा क्यों है?
- किसान बिना सुरक्षा उपकरण के स्प्रे करते हैं.
- कई लोग मास्क, ग्लव्स या चश्मा नहीं पहनते.
- स्प्रे के बाद नहाना या कपड़े बदलना आम तौर पर नहीं किया जाता.
- खेतों के पास ही पानी के स्रोत होते हैं जिससे केमिकल मिलकर दूषित कर देते हैं.
- इन सब कारणों से ग्रामीण समुदाय पेस्टीसाइड के असर में लंबे समय तक रहता है.
किसानों को कैसे बचाया जा सकता है?
डॉक्टर और वैज्ञानिक कुछ जरूरी कदम सुझाते हैं-
- स्प्रे करते समय N95 मास्क, ग्लव्स और गॉगल्स पहनें.
- स्प्रे के तुरंत बाद कपड़े बदलें.
- जैविक या कम-जहरीले पेस्टीसाइड का इस्तेमाल बढ़ाएं.
- गांवों में मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता बढ़ाई जाए.
ICMR की यह स्टडी एक बड़ी चेतावनी है कि खेती जितनी जरूरी है, उतना ही जरूरी है किसानों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य. अगर अब भी सावधानी नहीं बरती गई, तो आने वाली पीढ़ियों को इसका बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है.
Watch Video: ब्रेन ट्यूमर के शुरुआती लक्षण, कारण और इलाज | Brain Tumor In Hindi
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं