Delhi Air Pollution: दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बदतर स्थिति में पहुंचता जा रहा है. दिल्ली का एवरेज एक्यूआई 464 तक पहुंच गया है. जबकि राजधानी (Delhi Air Poluution) के कई हिस्से में एक्यूआई (Air Quality Index (AQI)) इससे भी अधिक है. मुंडका में शुक्रवार सबसे अधिक एक्यूआई 494 दर्ज किया गया. बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए ग्रेडेड एक्शन रेस्पॉन्स सिस्टम का तीसरा चरण यानी ग्रैप-3 लागू कर दिया गया है. GRAP-3 के नियम लागू होने के साथ सभी गैर-जरूरी निर्माण और तोड़फोड़ के कार्यों पर रोक लग गई है. इसके साथ BS-III पेट्रोल और BS-VI डीजल वाहनों के लिए दिल्ली में एंट्री पर रोक लगा दी गई है. दिल्ली के साथ ही एनसीआर के हिस्से जैसे नोएडा, ग्रेटर नोएडा और फरीदाबाद आदि का भी यही हाल है. आइए जानते हैं एयर पॉल्यूशन किस तरह से शरीर को नुकसान पहुंचाता है और इससे बचाव के लिए क्या किया जाना चाहिए.
तो दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते पॉल्यूशन के बीच जानें यह आपके शरीर के लिए कितना घातक है और इससे बचाव के उपाय क्या हैं.
एयर पॉल्यूशन का आपके शरीर पर होने वाला घातक असर (Deadly effect of air pollution)
डब्ल्यूएचओ (WHO) के मुताबिक प्रदूषण सेहत को सीधे तौर पर प्रभावित करता है. यूरोपीय क्षेत्र में होने वाली सभी मौतों में तकरीबन 20% इससे संबंधित हैं. वायु प्रदूषण और टाइप 2 मधुमेह, मोटापा और अल्जाइमर रोग के बीच गहरा संबंध है. यूरोपियन एनवायरमेंट एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार समयपूर्व मृत्यु में वायु प्रदूषण की बड़ी भूमिका है. 2021 में 97% शहरी जनसंख्या हानिकारक स्तर के वायु प्रदूषण के संपर्क में थी. अनुमान है कि 2020 में, 27 यूई मेंबर स्टेट्स में तकरीबन 238,000 असामयिक मौतें PM2.5 के कारण हुईं. इंटरनेशनल एजेंसी ऑफ रिसर्च ने वायु प्रदूषण, खासतौर पर PM2.5 को कैंसर के प्रमुख कारण के रूप में वर्गीकृत किया.
2019 की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क शरीर में रहने से यह हर अंग को प्रभावित कर सकता है. यह मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियों को और जटिल बना सकता है. तकरीबन 5 लाख लंग कैंसर और 16 लाख COPD मौतों के पीछे वायु प्रदूषण को जिम्मेदार रहा है. कार्डियोवस्कुलर रोगों का 19% और स्ट्रोक से हुई मौतों का 21% दोष भी इसे ही जाता है.
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शरीर के किस हिस्से पर कैसा असर डालता है वायु प्रदूषण (Ηow air pollution affects our health)
दिमाग पर प्रदूषण का असर : स्ट्रोक, डिमेंशिया, पार्किंसंस रोग
आंखों पर प्रदूषण का असर : कंजंक्टिवाइटिस, ड्राई आई डिजीज, मोतियाबिंद
नाक पर प्रदूषण का असर : एलर्जी
दिल पर प्रदूषण का असर : इस्केमिक हार्ट डिजीज, हाइपरटेंशन, हार्ट फेल्योर, एरिथमिया या इर्रेगुलर हार्ट बीट
फेफड़ों पर प्रदूषण का असर : लंग कैंसर, लैरींगाइटिस, अस्थमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, ब्रोन्किइक्टेसिस और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)
लिवर पर प्रदूषण का असर : हेपेटिक स्टीटोसिस, हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा
ब्लड में प्रदूषण का असर : ल्यूकेमिया, एनीमिया, सिकल सेल, इंट्रावैस्कुलर कोएग्युलेशन
फैट पर प्रदूषण का असर : मेटाबोलिक सिंड्रोम, मोटापा
पेनक्रियाज पर प्रदूषण का असर : टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल पर प्रदूषण का असर : गैस्ट्रिक कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (आईबीडी)
यूरोजेनिटल पर प्रदूषण का असर : ब्लैडर कैंसर, किडनी कैंसर, प्रोस्टेट हाइपरप्लासिया
हड्डियां और जोड़ों पर प्रदूषण का असर : रूमेटिक डिजीज, ऑस्टियोपोरोसिस, कमजोर हड्डियां
स्किन पर पर प्रदूषण का असर : एटॉपिक स्किन रोग, स्किन एजिंग, यूट्रिकेरिया, डर्मोग्राफिज्म, मुंहासे
कुल मिलाकर शरीर पर होने वाला प्रदूषण का असर : यह जीवन प्रत्याशा यानी लाइफ एक्सपेक्टेंसी को कम कर सकता है.
प्रदूषण से बचने के घरेलू उपाय | वायु प्रदूषण से बचाव के उपाय (Home Remedies to Avoid Pollution)
- प्रदूषण, धुंध और धुएं से बचने के लिए आप बाहर जाते समय एन95 मास्क जरूर लगाएं.
- खाना खाने से पहले हाथों को साबुन या लिक्विड शॉप से जरूर धोना चाहिए. हाथ धोने से बैक्टीरिया और वायरस खत्म हो जाएंगे.
- पॉल्यूशन से अपने फेफड़ों को बचाने के लिए साफ पानी पीएं. पानी उबालकर और उसे छानकर पीएं.
- प्रदूषण का प्रभाव आपकी स्किन और सेहत पर न पड़े इसके लिए अपने कपड़ों को नियमित रूप से साफ करें.
- एयर पॉल्यूशन का असर फेफड़ों पर सबसे अधिक पड़ता है. ऐसे में आपको हर दिन गर्म पानी का भाप लेना चाहिए, इससे फेफड़े साफ होते हैं.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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