हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग का बच्चों के बिहेवियर पर पड़ता है बुरा असर, जानिए क्या है ये और इससे कैसे बचें

Helicopter Parenting: हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग में पेरेंट बच्चों की लाइफ में इतने ज्यादा शामिल होते हैं कि बच्चों की सेल्फ स्टीम इफेक्ट होने लगती है.

हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग का बच्चों के बिहेवियर पर पड़ता है बुरा असर, जानिए क्या है ये और इससे कैसे बचें

पेरेंट की लगातार निगरानी और दखलअंदाजी से बच्चे स्ट्रेस और एंग्जायटी फील करने लगते हैं.

पेरेंटिंग आसान नहीं है. इसके लिए बहुत ज्यादा एनर्जी और समय की जरूरत होती है. कभी कभी बेस्ट पेरेंट बनने की कोशिश में हम कई गलतियां कर बैठते हैं जिसका असर अलग-अलग तरह से बच्चों पर पड़ता है. हम समझ ही नहीं पाते हैं कि हमारा ओवरप्रोक्टेटिव बिहेवियर बच्चों को अंडर कॉन्फिडेंट बना सकता है. इस तरह की पेरेंटिंग को हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग (Helicopter parenting) कहा जाता है. इसमें पेरेंट बच्चों की लाइफ में इतने ज्यादा शामिल होते हैं कि बच्चों की सेल्फ स्टीम प्रभावित होने लगती है. आइए जानते हैं हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग का बच्चों पर क्या असर पड़ता है.

हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग का बच्चों पर असर (Effects of helicopter parenting on child)

1. आजादी की कमी महसूस होना

हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग के कारण बच्चों को ठीक से आजादी नहीं मिल पाती है जिसके कारण उनमें निर्णय लेने की क्षमता का विकास नहीं हो पाता है. इससे बच्चे अपनी गलतियों से सीख नहीं पाते हैं और उनमें लाइफ स्किल की कमी रह जाती है.

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2. फ्लेक्सिबिलिटी की कमी

हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग में माता पिता बच्चों को बुरी कंडिशन और असुविधाओं से बचाते रहते हैं. यह उस समय तो तुरंत राहत दिला देता है लेकिन बच्चों में लचीला बनने और मुकाबला करने का गुण विकसित नहीं हो पाता है.  ऐसे में जब उन्हें अपने जीवन में असफलताओं का सामना करना पड़ता है तो उससे डील करने में परेशानी होती है.

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3. स्ट्रेस और एंग्जायटी

पेरेंट की लगातार निगरानी और दखलअंदाजी से बच्चे स्ट्रेस और एंग्जायटी फील करने लगते हैं. उनमें पैरेंट को परेशान करने का डर पनपने लगता है और वह खुद को कमतर समझने लगते हैं. इसका असर उनके सोशल रिलेशनशिप पर पड़ने लगता है.

4. निर्णय लेने की क्षमता पर असर

हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग के कारण बच्चों में निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है. अक्सर माता पिता ही बच्चों की गतिविधियों के निर्णय लेने लगते हैं. इसके कारण बच्चों में मैच्योरिटी और लॉजिकल थिकिंग के गुण डेवलप नहीं हो पाते हैं. उनके पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ पर इसका असर पड़ता है.

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5. संबंधों पर असर

हेलिकॉप्टर पेरेंट भले ही सोचें कि वे जो कर रहे हैं अपने बच्चे की भलाई के लिए कर रहे हैं लेकिन इसका असर बच्चे के साथ उनके रिश्ते पर पड़ता है. घुटन और अपने स्पेस की कमी फील करने के कारण बच्चा धीरे धीरे पेरेंट से दूर होने लगता है.

हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग से बचने के लिए क्या करें:

  • बच्चे को अपने निर्णय खुद लेने और उसकी उम्र के अनुसार रिस्क लेने के लिए प्रोत्साहित करें.
  •  बच्चों को उनके जीवन में आने वाली छोटी मोटी परेशानियों को पार करने में मदद करें. असफलता को जीवन बेहतर करने के अवसर के रूप में समझने के लिए प्रोत्साहित करें.
  • बातचीत करते रहें. उन्हें अपनी राय थोपे बगैर सलाह दें. उनकी चिंताओं, भय और इच्छाओं पर ध्यान दें.
  • उनसे लिमिट में उम्मीद रखें.
  • अपने जीवन में निर्णय लेने की क्षमता, समस्याओं और चुनौतियों का सामना करते हुए उनके लिए अच्छा उदाहरण बनें. बच्चे आपको देखकर जीवन के महत्वपूर्ण सबक सीखते हैं.


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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)