1. गुड कोलेस्ट्रॉल है फायदेमंद
खून में मौजूद वैक्स या वसा जैसे पदार्थ को हम कोलेस्ट्रॉल कहते हैं खून में गुड और बैड दो तरह का कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है. शरीर के लिए जरूरी गुड कोलेस्ट्रॉल ब्लड में एक्स्ट्रा फैट नहीं जमने नहीं देता. धमनियों को साफ रखता इसका निर्माण हमारा शरीर खुद कर सकता है.
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2. बैड कोलेस्ट्रॉल से हार्ट अटैक व स्ट्रोक का खतरा
बैड कोलेस्ट्रॉल बॉडी के लिए अच्छा नहीं होता है. अगर कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है तो ये धमनियों में जमने लगता है इससे हार्ट तक पहुंचने वाले ब्लड का फ्लो काफी कम हो जाता है. इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है.
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3. हाई कोलेस्ट्रॉल बनता है साइलेंट किलर का कारण
बॉडी में हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण पता करना बहुत मुश्किल होता है इस अवस्था को 'साइलेंट किलर' के नाम से भी जानते हैं. इसके लिए जरूरी है कि आप बॉडी में होने वाले छोटे बदलावों का भी ध्यान रखें ताकि बीमारियों से बचा जा सकते हैं.
4. हिप मसल्स पर ऐसे असर डालता है हाई कोलेस्ट्रॉल
हाई कोलेस्ट्रॉल हमारी रक्त कोशिकाओं के बीच ब्लॉक के रूप में पनपता है. जैसे-जैसे ब्लॉक बढ़ते है कोशिकाओं में ब्लड के फ्लो में रुकावट होने लगती है. इस कारण मसल्स में जरूरी ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती. इसलिए बॉडी में जहां-जहां ऑक्सीजन नहीं पहुंचती वहां दर्द की समस्या होने लगती हैं. जानकारों का कहना है कि हाई कोलेस्ट्रॉल की वजह से हिप मसल्स में दर्द बहुत ज्यादा होता है.
5. रहती है पैरों में ऐंठन
कई हेल्थ रिपोर्ट्स ये कहती हैं कि हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण पेरीफेरल धमनी रोग भी हो जाता है. जिस कारण पैरों में ऐंठन की समस्या, हिप्स मसल्स में दर्द, पैर और टांगों में दर्द का हो सकता है.
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6. ऐसे पहचानें
आप कम फिजिकल एक्टिविटी करते हैं बावजूद इसके आपको हिप्स में काफी दर्द रहता है. तो यह हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी हो सकती है. ऐसे में आप डॉक्टर से संपर्क करें. समय पर ध्यान न देने से आपको चलते समय भी इस दर्द से गुजरना पड़ सकता है. हिप्स का ये दर्द बढ़ते हुए आपके कूल्हे, जांघ और पिंडलियों तक जा सकता है. कुछ समय आराम करने से दर्द कम तो हो सकता है लेकिन जैसे ही आप कोई फिजिकल एक्टिविटी करते हैं तो ये दर्द फिर से आपको परेशान कर सकता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.