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स्ट्रोक होने पर गोल्डन आवर के भीतर कराएं इलाज, जेरोधा की CEO ने बताया हर मिनट कीमती

Stroke Treatment: स्ट्रोक के दौरान ब्रेन सेल्स हर सेकंड नष्ट होती जाती हैं, इसलिए समय पर इलाज और दवा लेना बहुत जरूरी है. इससे जीवन बचाया जा सकता है और हेल्दी होने की संभावना बढ़ जाती है.

स्ट्रोक होने पर गोल्डन आवर के भीतर कराएं इलाज, जेरोधा की CEO ने बताया हर मिनट कीमती
Stroke Treatment: स्ट्रोक होने के 4.5 घंटे के भीतर तुरंत इलाज करवाना जरूरी है.

Golden Hour Importance in Stroke: विश्व स्ट्रोक दिवस हर साल 29 अक्टूबर को मनाया जाता है, ताकि लोगों को स्ट्रोक के बारे में जागरूक किया जा सके. जेरोधा के सह-संस्थापक और सीईओ नितिन कामथ ने बुधवार को कहा कि स्ट्रोक के समय हर मिनट बहुत कीमती होता है. उन्होंने बताया कि अगर किसी व्यक्ति को स्ट्रोक हो जाए, तो 4.5 घंटे के भीतर तुरंत इलाज करवाना जरूरी है. उन्होंने खुद के ब्रेन रिलेटेड प्रोब्लम्स से गुजरने के अनुभव के बाद लोगों को समय पर मेडिकल हेल्प लेने की सलाह दी.

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स्ट्रोक क्या है और कब होता है?

स्ट्रोक तब होता है जब ब्रेन में ब्लड फ्लो रुक जाता है. स्ट्रोक के दौरान ब्रेन सेल्स हर सेकंड नष्ट होती जाती हैं, इसलिए समय पर इलाज और दवा लेना बहुत जरूरी है. इससे जीवन बचाया जा सकता है और हेल्दी होने की संभावना बढ़ जाती है.

स्ट्रोक के इलाज में गोल्डन आवर क्या है?

पिछले साल स्ट्रोक से उबर चुके नितिन कामथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि अगर स्ट्रोक के 4.5 घंटे के भीतर इलाज किया जाए, जिसे ‘गोल्डन आवर' कहा जाता है, तो मरीज की स्थिति को बेहतर तरीके से संभाला जा सकता है. उन्होंने कहा कि अगर समय पर इलाज न मिले, तो ब्रेन को स्थायी नुकसान हो सकता है और दिव्यांगता का खतरा बढ़ जाता है.

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उन्होंने कहा कि कई लोग स्ट्रोक के लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, यह सोचकर कि वे बिल्कुल ठीक हैं और उन्हें कुछ नहीं होगा. कामथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "जनवरी में जब मुझे स्ट्रोक आया था, तो अगर कोई एक चीज है जो मैं अलग तरीके से करना चाहता, तो वह यह होती कि मैं उसे सोकर ठीक करने की बजाय, 'गोल्डन आवर' (साढ़े चार घंटे के अंदर) तुरंत अस्पताल जाता."

50 साल से कम उम्र के लोगों में बढ़े मामले

उन्होंने कहा, मुझे कुछ नहीं होगा, वाला रवैया बहुत आम है, खासकर 50 साल से कम उम्र के लोगों में. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों में 50 साल से कम उम्र के लोगों में स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़े हैं.

कामथ ने कहा, "सच्चाई यह है कि स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पिछले कुछ सालों में कुल स्ट्रोक मामलों में से लगभग 30 प्रतिशत मरीज 30 से 50 साल की उम्र के हैं."

हर मिनट कीमती

उन्होंने कहा, स्ट्रोक के मामले में समय सबसे जरूरी होता है, हर मिनट कीमती है. लगभग 80 प्रतिशत स्ट्रोक को सरल और लगातार उपायों से रोका जा सकता है. इनमें शामिल हैं: ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को कंट्रोल रखना, तंबाकू और शराब से बचना, बैलेंस डाइट लेना, रेगुलर एक्सरसाइज करना और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखना.

कोलकाता के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. दीप दास के अनुसार, स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानना पहला कदम है और इसे बीई फास्ट के तरीके से आसानी से याद रखा जा सकता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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