विज्ञापन

Delhi Pollution: क्या होता है PM 2.5 और PM 10 क्या है, सेहत के लिए क्यों है इतना खतरनाक

पीएम 2.5 और पीएम 10 वे शब्द हैं जिनका उपयोग वायुमंडल में पाए जाने वाले विभिन्न आकार के वायुजनित कणों का वर्णन करने के लिए किया जाता है.

Delhi Pollution: क्या होता है PM 2.5 और PM 10 क्या है, सेहत के लिए क्यों है इतना खतरनाक
खराब एयर क्वालिटी आफको बना रही है बीमार.

वायु प्रदूषण एक ग्लोबली कंसर्न का विषय बन गया है, जिसका असर लोगों की सेहत और पर्यावरण पर पड़ता है. जैसे-जैसे औद्योगिकीकरण और शहरीकरण बढ़ा है, वैसे-वैसे कई शहरों में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा है. हालाँकि, दिल्ली जैसी गंभीर समस्या का उदाहरण बहुत कम जगहों पर देखने को मिलता है. शहर की एयर क्वालिटी इतनी खराब हो गई है कि सरकार ने हाल ही में दिवाली के दौरान पटाखों पर बैन तक लगा दिया ताकि पहले से ही खतरनाक स्थितियों को कम किया जा सके.

पीएम 2.5 और पीएम 10 क्या है?

रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, पीएम 2.5 और पीएम 10 वो शब्द हैं जिनका इस्तेमाल एटमॉस्फियर में पाए जाने वाले अलग-अलग शेप के एयरबोन पार्टिकल का वर्णन करने के लिए किया जाता है:

पीएम 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर 2.5)

पीएम 2.5 का मतलब 2.5 माइक्रोमीटर या उससे छोटे डायमीटर वाले पार्टिकल हैं. ये कण बेहद छोटे होते हैं और लंबे समय तक हवा में रह सकते हैं. पीएम 2.5 मुख्य रूप से कई सोर्स से पैदा होता है, जिसमें कार, बाइक, इंड्रस्टियल प्रोसेस, बिल्डिंग बनाने का काम जीवाश्म ईंधन का जलना शामिल है.

क्या टाइट, पैडेड और अंडरवायर ब्रा पहनने से होता है ब्रेस्ट कैंसर? जानिए इस दावे में है कितनी सच्चाई

पीएम 10 (पार्टिकुलेट मैटर 10)

दूसरी ओर, पीएम 10 में 10 माइक्रोमीटर या उससे छोटे डायमीटर वाले पार्टिकल शामिल हैं. ये कण सड़क की धूल, निर्माण गतिविधियों, औद्योगिक उत्सर्जन और धूल भरी आंधी जैसे प्राकृतिक सोर्स से पैदा हो सकते हैं.

पीएम 2.5 और पीएम 10 कितने खतरनाक हैं?

कैलिफोर्निया वायु संसाधन बोर्ड के अनुसार, पीएम 2.5 और पीएम 10 श्वसन तंत्र में गहराई तक प्रवेश करने की अपनी क्षमता तथा विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े होने के कारण खतरनाक हैं.

स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव:

PM2.5 एक्सपोजर

PM2.5 के संपर्क में आने से सेहत पर काफी हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं, जैसे कि समय से पहले मृत्यु, हार्ट या फेफड़ों की बीमारियों के वजह से अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या में वृद्धि, तीव्र और जीर्ण ब्रोंकाइटिस, अस्थमा के दौरे, सांस से जुड़ी परेशानियां. ये सेहत से जुड़ी परेशानियां मुख्य रूप से शिशुओं, बच्चों और पहले से ही हार्ट या फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित वृद्धों जैसे कमजोर लोगों में देखे जाते हैं.

PM 10 एक्सपोजर

पीएम10 के संपर्क में आने से अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी श्वसन संबंधी बीमारियां बढ़ सकती हैं, जिसके कारण अस्पताल में भर्ती होने और आपातकालीन विभाग में जाने की नौबत आ सकती है.

सबसे ज़्यादा खतरा:

- हार्ट और फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित वृद्ध लोग.

- बच्चे और शिशु जो अपने छोटे शरीर के आकार, तेज़ साँस लेने की दर और अपरिपक्व प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण अधिक संवेदनशील होते हैं.

- शोध से पता चलता है कि उच्च PM2.5 स्तरों के संपर्क में आने वाले बच्चों में 18 वर्ष की आयु में फेफड़ों की वृद्धि धीमी हो सकती है और फेफड़े छोटे हो सकते हैं.

पर्यावरणीय प्रभाव:

- PM प्रकाश को बिखेरकर और अवशोषित करके दृश्यता को प्रभावित करता है, जिससे वायुमंडल में दृश्यता कम हो जाती है.

- PM पौधों या जल निकायों द्वारा जमाव और अवशोषण के माध्यम से पौधों, मिट्टी और पानी को प्रभावित करके पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है. यह पानी की गुणवत्ता और स्पष्टता को भी प्रभावित कर सकता है.

- PM में धातु और कार्बनिक यौगिक पौधों की वृद्धि और उपज को बदलने की क्षमता रखते हैं.

- सतहों पर PM के जमाव से सामग्री में गंदगी हो सकती है.

इनडोर चिंताएँ:

- कुछ इनडोर PM बाहरी स्रोतों से उत्पन्न होते हैं, जैसे कि PM2.5 कण जो दरवाज़ों, खिड़कियों और बिल्डिंग लीक के माध्यम से प्रवेश करते हैं.

- इनडोर PM धूम्रपान, खाना पकाने, लकड़ी, मोमबत्तियाँ या धूप जलाने जैसी इनडोर गतिविधियों से भी आ सकते हैं.

- घरेलू सफाई उत्पादों और एयर फ्रेशनर जैसे स्रोतों से उत्सर्जित गैसीय प्रदूषकों की जटिल प्रतिक्रियाओं के माध्यम से कण घर के अंदर बन सकते हैं.

परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक:

- परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए बाहरी हवा में प्रदूषकों के अधिकतम स्वीकार्य स्तरों को परिभाषित करने के लिए निर्धारित किए गए हैं.

- 2002 में, बोर्ड ने PM2.5 के लिए वार्षिक औसत मानकों को अपनाया और PM10 के लिए मौजूदा मानकों को बनाए रखा.

- राष्ट्रीय PM2.5 मानक को 2012 में संशोधित किया गया था ताकि कम PM2.5 सांद्रता पर समय से पहले मृत्यु के बढ़ते जोखिम को दर्शाया जा सके.

सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों की सुरक्षा के लिए PM स्तरों की निगरानी और नियंत्रण आवश्यक है.

Gut Health: क्या है Gut Health, पाचन को कैसे बनाएं मजबूत, क्यों जरूरी हैं Probiotics| Tips to Improve Gut Health

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com