
Chhath Puja 2025: छठ पूजा सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था, प्रकृति और पवित्रता का उत्सव है. यह त्योहार सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है, जिसमें व्रती महिलाएं कठिन उपवास रखकर जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं. लेकिन, बीते कुछ सालों में छठ पूजा के दौरान नदियों में बढ़ते प्रदूषण और गंदगी ने पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. 2025 में छठ पूजा 27 और 28 अक्टूबर को मनाई जाएगी और इस बार सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि यह पर्व ईको-फ्रेंडली और सुरक्षित तरीके से मनाया जाए. आइए जानते हैं यमुना-गंगा की सफाई से लेकर पर्यावरण के अनुकूल पूजा और जरूरी सेफ्टी गाइडलाइन्स के बारे में.
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यमुना और गंगा की सफाई पर विशेष अभियान
छठ पूजा से पहले यमुना और गंगा के घाटों की सफाई को लेकर प्रशासन ने कमर कस ली है. हरियाणा सरकार ने यमुना किनारे से ठोस कचरे और प्लास्टिक हटाने के लिए विशेष अभियान चलाया है.
दिल्ली में यमुना में केमिकल डालने को लेकर विवाद भी सामने आया है, जिस पर राजनीतिक बहस छिड़ी हुई है. विशेषज्ञों का मानना है कि प्राकृतिक सफाई और लंबी लॉन्ग टर्म प्लानिंग ही स्थायी समाधान है.
ईको-फ्रेंडली छठ पूजा कैसे मनाएं?
छठ पूजा में पर्यावरण की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है. इसके लिए कुछ आसान उपाय अपनाए जा सकते हैं:
प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करें: पूजा में प्लास्टिक की जगह पत्तों की डलिया, मिट्टी के दीपक और बांस की टोकरी का इस्तेमाल करें.
घरों में कृत्रिम तालाब बनाएं: जिन इलाकों में नदी या तालाब नहीं हैं, वहां छोटे कृत्रिम टैंक बनाकर पूजा की जा सकती है.
फूल और पूजा सामग्री नदी में न डालें: पूजा के बाद सामग्री को कचरे में अलग से नष्ट करें या खाद बनाने के लिए इस्तेमाल करें.
सामूहिक सफाई अभियान में भाग लें: पूजा से पहले और बाद में घाटों की सफाई में सहयोग करें.
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सेफ्टी गाइडलाइन्स जो हर श्रद्धालु को अपनानी चाहिए
छठ पूजा में लाखों की भीड़ एकत्र होती है, ऐसे में सुरक्षा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है:
भीड़भाड़ से बचें: घाटों पर सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें, खासकर बुजुर्गों और बच्चों के साथ.
साफ पानी का इस्तेमाल करें: अगर नदी का पानी गंदा है, तो फिल्टर या टैंक का पानी उपयोग करें.
फिसलन से बचाव करें: घाटों पर रेत या चटाई बिछाएं ताकि फिसलने का खतरा न हो.
प्रशासन के निर्देशों का पालन करें: स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन्स और समय-सारणी का पालन करें.
प्राकृतिक रोशनी का उपयोग करें: बिजली की लाइट्स की जगह दीपक और मोमबत्ती का प्रयोग करें.
छठ पूजा एक ऐसा पर्व है जो प्रकृति और पवित्रता का प्रतीक है. लेकिन अगर हम इसे प्रदूषण फैलाकर मनाएंगे, तो इसका मूल उद्देश्य ही खो जाएगा. 2025 में हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम छठ पूजा को ईको-फ्रेंडली, सुरक्षित और सामूहिक जिम्मेदारी के साथ मनाएंगे. यमुना और गंगा की सफाई सिर्फ सरकार की नहीं, हम सबकी जिम्मेदारी है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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